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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 26 अगस्त 2025 (14:09 IST)

गणेश उत्सव पर्यावरण अनुकूल क्यों जरूरी है?

Eco-friendly Ganesha celebration
Eco-friendly Ganesh Utsav: गणेश उत्सव भारत का एक सबसे प्रिय और भव्य पर्व है। लेकिन बीते कुछ सालों में, इस उत्सव के पारंपरिक तरीके हमारे पर्यावरण पर गहरा असर डाल रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम अपनी श्रद्धा को प्रकृति के प्रति सम्मान के साथ जोड़ें और पर्यावरण-अनुकूल गणेश उत्सव मनाएं। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि हमारी धरती को बचाने की एक जिम्मेदारी है।ALSO READ: गणेश उत्सव के लिए घर की सजावट कैसे करें? जानें डेकोरेशन थीम और सुझाव
 
पर्यावरण-अनुकूल गणेश उत्सव क्यों जरूरी है: हर साल गणपति विसर्जन के बाद, नदियों, तालाबों और समुद्रों में भारी प्रदूषण होता है। इसके मुख्य कारण हैं:
* पीओपी यानी Plaster of Paris की प्रतिमाएं: पीओपी पानी में आसानी से घुलता नहीं है और इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले जिप्सम और सल्फर जैसे रसायन पानी में घुलते हैं, जिससे जलीय जीवों को नुकसान पहुंचता है।
 
* रासायनिक रंग: मूर्ति को रंगने के लिए इस्तेमाल होने वाले भारी धातु जैसे मरकरी, कैडमियम, लेड वाले रंग पानी को जहरीला बना देते हैं।
 
* सजावट का कचरा: प्लास्टिक, थर्माकोल और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री विसर्जन के बाद कचरे के ढेर में बदल जाती है।
 
कैसे मनाएं पर्यावरण-अनुकूल गणेश उत्सव? अपनी भक्ति को बिना कम किए, आप इन सरल तरीकों से पर्यावरण को बचा सकते हैं:ALSO READ: ऑफिस में किस मुद्रा की गणेश प्रतिमा स्थापित करना चाहिए? जानिए कैसी होनी चाहिए मूर्ति
 
1. मिट्टी की मूर्ति चुनें: गणेश जी की प्रतिमा को प्राकृतिक मिट्टी से बनी हुई खरीदें। यह पानी में आसानी से घुल जाती है और मिट्टी को भी नुकसान नहीं पहुंचाती। आजकल, ऐसी मूर्तियां भी उपलब्ध हैं जिनके भीतर बीज होते हैं, जो विसर्जन के बाद एक पौधा बन जाते हैं।
 
2. प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें: अपनी मूर्ति को सजाने के लिए हल्दी, कुमकुम, चंदन, मुल्तानी मिट्टी और फूलों से बने प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें।
 
3. सजावट में प्रकृति का सहारा लें:
- फूलों की सजावट: प्लास्टिक के फूलों और झालरों की जगह गेंदे, गुलाब और अन्य ताजे फूलों का इस्तेमाल करें।
 
- पौधे और प्राकृतिक सामग्री: मंडप को सजाने के लिए गमलों में लगे पौधों, केले के पत्तों और बांस की लकड़ियों का उपयोग करें।
 
- दुबारा/पुन: उपयोग करें: पुराने अखबारों, कपड़ों और जूट से बने बैग्स से सजावट की चीजें बनाएं।
 
- प्रसाद और भोग:
- प्रसाद को प्लास्टिक की प्लेटों में देने के बजाय, केले के पत्तों या स्टील के बर्तनों का उपयोग करें।
 
- कोशिश करें कि भोग के लिए स्थानीय और मौसमी फलों और मिठाइयों का इस्तेमाल हो।
 
5. घर पर ही करें विसर्जन:
- सबसे महत्वपूर्ण कदम है विसर्जन के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों में जाने से बचना।
 
- एक बड़े बर्तन या बाल्टी में पानी भरकर मूर्ति का विसर्जन करें। घुलने के बाद, उस पानी को अपने बगीचे के पौधों में डाल दें। इससे पौधे भी बढ़ेंगे और कोई प्रदूषण भी नहीं होगा।
 
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने त्योहारों को इस तरह से मनाएं कि वे हमारी संस्कृति और प्रकृति दोनों का सम्मान करें।
 
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