कुर्सी और कृपादृष्टि
हमारे तीन महामहिम
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राजनारायण बिसारिया जी हांजहां ठाठ करती है जी हां ना की जहां बत्तियां गुल हैंअच्छे-खासे लोग बांधतेझूठी तारीफों के पुल हैंजहांअक्ल का काम नहीं कुछसिर्फ चापलूसी चलती हैमेरी ठौर वहीं हैमुझको वहीं पहुंचने की जल्दी है मुझको भी चाहिए पदोन्नतिया ऊंचे पद पर नामांकनअभी इसी क्षण ! कुर्सीपद बढ़ने से मिल जाती है ऊंची कुर्सीऊंची कुर्सी से मिट जाते हैं सारे दुखसभी तरह की ऐशजोड़ कर हाथखड़ी रहती है सम्मुख ! नोट करे मीडियाजरा मेरी फरमाइशऊंची कुर्सी मेरी हर ख्वाहिश की ख्वाहिश मानामुश्किल होता था पानाकुर्सी का, लेकिन यह धारणा समय के साथ खो गई,अब सब कुछ संभाव्यक्योंकि संभव की देवी कृपादृष्टिअवतरित हो गई ! कृपादृष्टिकृपादृष्टि की कृपा मिले तोजो भी चाहो हो सकता है,लेकिन केवल जी हां रखतीकृपादृष्टि का अता-पता है !जो कहते हैं कृपादृष्टि तक जानाफिर कुर्सी का पानाहोता कुछ आसान नहीं है उनको निश्चयजी हां की क्षमताओं का अनुमान नहीं है, जी हां का है कृपादृष्टि के घरबचपन से आना-जाना,दोनों में मक्खन-रोटी का साथरात-दिन का याराना !कृपादृष्टि के अवलोकन के लिएलिखे थेजो मैंने कागज बस्ते भर, उन्हें फाड़ डालूंगा, जाऊंगा मैं जी हां के रस्ते पर !तोडूंगा नैतिकता की हदमैं सिर्फ खुशामद ऊंचा कर लूंगा अपना कद ! और एक दिनकृपादृष्टि के पैर पड़ूंगा,काले धन का सुरमा दूंगाकजरारी कर दूंगा आंखेंकाजल ही काजल मढ़ दूंगाऊपर से घोड़े के पट्टे का काला चश्मा जड़ दूंगा ! कृपादृष्टि की आधी अंधी आंखेंहो जाएंगी पूरी अंधीकृपा, दृष्टि के बिनाबनेगी मेरी बंदी !कृपा-कारिणी कृपादृष्टि फिरमेरी कृपा-कांक्षिनी होगी, कृपा करूंगा,मैं उसकी कुर्सी ले लूंगा -मेरी होगी मेरी, अब ये बड़े जतन से अर्जित कुर्सी प्रजातंत्र के आदर्शों में वर्जित कुर्सीलेकिन सबसे ज्यादा वांछित चर्चित कुर्सी ! मेरी होगी तानाशाही-सज्जित कुर्सी भ्रष्टाचार-निमज्जित कुर्सीभेद खुले लेकिन फिर भी निर्लज्जित कुर्सी मेरी होगी बड़े कड़े पहरे की कुर्सी कृपाशील चेहरे की कुर्सी !मेरी होगी देखी समझी सोची कुर्सी मालिक सहित दबोची कुर्सी जी हां जी हां के मधुरस से सींची कुर्सी सारे अधिकारों के साथ समूची कुर्सी सब से ऊंची ऊंचाई से ऊंची कुर्सी !मेरी होगी कृपादृष्टि कीमीठी भीनी भीनी कुर्सी कुछ छल-बल से कुछ जुगाड़ से छीनी कुर्सी ! सदा नहीं रह पाएगा इस पर मेरापुश्तैनी पट्टा,क्योंकि एक से एक झपट्टेमार यहां चिल्लाते रहते मार झपट्टा !