क्षेत्रीय भाषाओं पर टिका मुंबई का व्यापार
प्रश्न: दद्दू जी, महाराष्ट्र के नाकाम नेता राज ठाकरे और अपने पिता की राजनीतिक विरासत डुबाने वाले उद्धव ठाकरे अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए मुंबई में मराठी और हिंदी विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि महानगर चुनाव में लाभ मिल सके। आप क्या कहेंगे इस बारे में?
उत्तर: उनकी इस कोशिश को जनता सिरे से नकार देगी। गुंडों के दम पर छुटपुट घटनाएं कर वे अखबार की सुर्खियां जरूर बटोर सकते है। उनका विरोध केवल हिंदी से क्यों? मराठी की सबसे बड़ी दुश्मन तो अंग्रेजी है। वे अंग्रेजी बोलने वालों को क्यों नहीं पीटते। उर्दू वालों की ओर आंख उठाने की हिम्मत उनमें नहीं है।
सबसे बड़ी बात मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। पूरे देश के सभी राज्यों का व्यापार मुंबई से उनकी प्रादेशित भाषा में होता है। क्या ठाकरे बंधु ऐसा फतवा जारी कर सकते हैं कि मुंबई के व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों से केवल मराठी में संवाद करेंगे। मराठी नहीं तो व्यापार नहीं। ऐसा हुआ तो आर्थिक राजधानी समुद्र में डूब जाएंगी।