जाइए चायना मेडिकल यूनिवर्सिटी
डॉक्टर बनकर भारत लौट आइए
जिस तरह हमारे यहाँ मेडिकल एजुकेशन में प्रवेश मुश्किल दर मुश्किल होता जा रहा है, डॉक्टर बनने की चाहत स्टूडेंट्स को फॉरेन की डिग्री हासिल करने की दिशा में प्रेरित करती जा रही है। पिछले कुछ दिनों से भारतीय छात्रों का चीन जाकर एमबीबीएस करने का सिलसिला तेजी से चल पड़ा है। चीन ही क्यों? : चीन से एमबीबीएस करने के कई कारण हैं। एक तो यह कि चीन और भारत के बीच कोई खास दूरी नहीं है, फिर यहाँ भारतीय छात्रों को पढ़ने और रहने के लिए ही नहीं, बल्कि खाने-पीने की भी भारतीय शैली के अनुसार सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। कोर्स सस्ता है। एंट्री प्रोसेस आसान है और फीस भी अन्य देशों की तुलना में कम है। यही कारण है कि हमारे यहाँ मेड इन चायना के इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स के साथ मेड इन चायना डॉक्टरों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। बढ़ रहा है चीन का रुतबा : अपनी फीस, फेसिलिटी और स्पेशलाइजेशन के कारण मेडिकल एजुकेशन के रूप में चीन एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। उसने विदेशी छात्रों के लिए मेडिकल एजुकेशन हेतु अपने दरवाजे खोल दिए हैं तथा वहाँ की यूनिवर्सिटी अंतरराष्ट्रीय स्वरूप हासिल कर चुकी है, क्योंकि उन्हें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की डायरेक्ट्री ऑफ वर्ल्ड मेडिकल स्कूल्स में शामिल किया जा चुका है। |
चीन के मेडिकल एजुकेशन की एक खासियत यह भी है कि न तो यहाँ स्टूडेंट्स से केपिटेशन फीस ली जाती है और न ही डोनेशन का कोई फंडा है। चीन सरकार के लोक स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारी सबसिडी देकर मेडिकल एजुकेशन को इतना सस्ता बनाया है। |
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चीन में मेडिकल एजुकेशन की विशेषताएँ : चीन में मेडिकल एजुकेशन पश्चिमी देशों की लाइन पर ही तैयार किया गया है। अब अधिकांश कोर्स अँगरेजी में ही पढ़ाए जाते हैं। पहले ही वर्ष से छात्रों को चीनी भाषा अलग से पढ़ाई जाती है। प्रत्येक सेशन में वीकली टेस्ट अनिवार्य रूप से ली जाती है ताकि चीन में मेडिकल एजुकेशन का स्टैंडर्ड किसी तरह कम न आँका जा सके। चीन के मेडिकल एजुकेशन की एक खासियत यह भी है कि न तो यहाँ स्टूडेंट्स से केपिटेशन फीस ली जाती है और न ही डोनेशन का कोई फंडा है। चीन सरकार के लोक स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारी सबसिडी देकर मेडिकल एजुकेशन को इतना सस्ता बनाया है कि दुनियाभर के स्टूडेंट्स यहाँ आकर पढ़ाई कर सकें। इसकी एक अच्छी बात यह भी है कि यहाँ किसी तरह की प्रवेश परीक्षा या एंट्री टेस्ट अथवा सीईटी, जीआरई, जीमेट, टॉफेल अथवा सेट जैसी कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती है। यदि कोई स्टूडेंट्स निर्धारित योग्यता रखता है तो उसे आसानी से प्रवेश मिल जाता है।
पात्रता : 60 प्रतिशत अंकों सहित 10+2 उत्तीर्ण छात्र जिनके अँगरेजी में 50 प्रतिशत अंक हैं, चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रवेश की पात्रता रखते हैं। एससी/ एसटी छात्रों के लिए प्रवेश के लिए न्यूनतम प्रतिशत 50 है। कोर्स की अवधि : चीन में एमबीबीएस की डिग्री पाँच वर्ष अवधि की है जिसका शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर से 20 जुलाई तक जारी रहता है। 1 अगस्त से 31 अगस्त तक अवकाश रहता है। इस दौरान स्टूडेंट्स अनुमति लेकर स्वदेश आ सकते हैं। चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए 1 मार्च से 30 जून तक की अवधि निश्चित की गई है। होस्टल तथा सिक्योरिटी : चीन में छात्रों तथा छात्राओं के लिए अलग-अलग होस्टल सुविधाएँ हैं। होस्टल पूरी तरह इंटरनेशनल सुविधाओं यथा टीवी, टेलीफोन, फ्रिज, वाशिंग मशीन, रेडिएटर तथा एयरकंडीशनर से सुसज्जित हैं, जहाँ निजी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की गई है। भारतीय छात्रों के लिए भारतीय कुक द्वारा हिन्दुस्तानी खाना बनाया जाता है। यदि पैरेंट्स अपने बच्चों से मिलने चीन जाना चाहें तो उन्हें इसकी अनुमति मिल जाती है। आवेदन कैसे करें : इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स द्वारा भारत में जगह-जगह रीजनल ऑफिस स्थापित किए गए हैं, जहाँ से आवेदन फार्म लेकर इंडियन एडमिशन ऑफिस में जमा भी करवाए जा सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी निम्नलिखित पते से प्राप्त की जा सकती है : इंटरनेशनल एजुकेशनल कंसल्टेंट्स नं. 1274, आरएसबी टॉवर्स, एमटीपी रोड, कोयम्बटूर, फोन 422 6533389/ 4384871-72 Email : [email protected]