किसी भी आम इंसान से अगर यह पूछा जाए कि क्या उसने अपने व अपने परिवार के लिए किसी प्रकार की वित्तीय योजना बनाई है, तो संभवतः उसकी प्रतिक्रिया कुछ ऐसी हो सकती है, वित्तीय योजना और मैं? नहीं जी, मैं तो एक अदना-सा आदमी हूँ।
वित्तीय योजना तो उद्योगपति, देश के वित्तमंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर इत्यादि बनाते होंगे। इस महँगाई के जमाने में, रोजी-रोटी कमाकर परिवार का पालन-पोषण कर रहा हूँ, यही काफी है। और फिर, धन हो तो वित्तीय योजना के बारे में विचार करूँ।
जब से ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की है, जब से इंसान ने होश संभाला है, वह स्वयं का व अपने परिवार के सुखद जीवन के लिए मेहनत करता आया है, बचत करता आया है व निवेश करता आया है।
वित्तीय योजना बनाना और कुछ नहीं, बल्कि यहीं सब एक सुनियोजित तरीके से करने की प्रक्रिया है। वित्तीय योजना हर इंसान के लिए जरूरी है, चाहे तो 150 रुपए दैनिक कमाने वाला मजदूर हो या पाँच लाख कमाने वाला उद्योगपति हो।
वित्तीय योजना बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत करने से पहले जटिल लग सकती है, पर एक बार क्रियान्वित होने पर हमारे आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। आर्थिक लक्ष्य कई प्रकार के हो सकते हैं, मसलन एक माह में साइकल खरीदने से लेकर एक साल में ट्रैक्टर या स्कूटर खरीदने का हो सकता है, पाँच साल में मकान खरीदने से लेकर बच्चों की उच्च शिक्षा या अच्छी शादी कराने का हो सकता है या खुद की आराम की सेवानिवृत्त जिंदगी बिताने का भी हो सकता है।
जिस प्रकार नक्शा रास्ता ढूँढने में मंजिल तक पहुँचाने में सहायक होता है उसी प्रकार वित्तीय योजना आर्थिक लक्ष्यों को पाने का एक साधन है। वित्तीय योजना वर्तमान की आर्थिक स्थिति का आकलन करने में, भविष्य की जरूरतों को धनरूपी मापयंत्र में मापने में व इन जरूरतों को प्राप्त करने के लिए सुनियोजित मार्ग का चयन करने में मदद करती है।
वित्तीय योजना धन से संबंधित सभी पहलुओं को छूता है जैसे कि बचत खाते, पोस्ट ऑफिस में निवेश, आयकर, शेयर्स, म्युचुअल फंड, बीमा, जमीन-जायदाद, सोना-चाँदी, ऋण, रिटायरमेंट, वसीयत इत्यादि और इस कॉलम के माध्यम से हम आने वाले समय में इसके विभिन्न पहलुओं पर बात करेंगे।