एक समय था, पुरुषों का सजना-सँवरना अच्छा नहीं माना जाता था। घर के बड़े-बूढ़े कहते थे क्या लड़कियों की तरह श्रृंगार करता रहता है। पर अब जमाना बदल गया है। पुरुष भी अपनी देह के सौंदर्य व व्यक्तित्व के प्रति सचेत हो गए हैं। आँखों के नीचे पड़ने वाले काले निशान, शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियों से उन्हें घबराहट होने लगी है।
पुरुष अपनी देह को निखारने के लिए पेडीक्योर, मेनीक्योर, दाढ़ी-मूँछ व बालों को अच्छे से सेट करवाने, अपनी भौं को सुंदर आकार देने, सलीके से नाखून कटवाने, फेशियल, चेहरे की ब्लीचिंग, पेट व सीने के बालों की वैक्सिंग, त्वचा में चमक लाने के लिए मालिश आदि के लिए मेन्स ब्यूटी पार्लर में जाने लगे हैं।
पुरुष अपने व्यक्तित्व में निखार लाने के लिए परिधान, जूता, चश्मा, सही बातचीत, चलने, उठने, बैठने के ढंग को भी समझने लगे हैं। शेक्सपीयर का कहना था, देह व सौंदर्य प्रदर्शन का नाम नारी है। इसे नकारते हुए आज पुरुष अपनी देह के सौंदर्य को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए सौंदर्य प्रसाधन का जमकर इस्तेमाल करने लगे हैं। पुरुष द्वारा बालों के अनुरूप शैम्पू, जेल, कोलोन, स्प्रे, टेलकम पावडर, नेल पॉलिश, काजल शरीर के रंग की लिपिस्टक आदि का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
पुरुषों के लिए नित्य नए सौंदर्य प्रसाधन बाजार में आ रहे हैं। पिछले एक दशक में पुरुष सौंदर्य प्रसाधन का कारोबार 50 करोड़ रु. से बढ़कर 150 करोड़ रु. तक हो गया है। नारीत्व के प्रतीक माने जाने वाले गहने भी पुरुषों में काफी लोकप्रिय हो गए हैं। कान में बाली, नाक में नथुनी, उँगलियों में अँगूठी, गले में मालाएँ, हाथों में कंगन, कड़ा, ब्रेसलेट आदि पुरुषों द्वारा पहना जा रहा है।
नागपुर के नश्तर कुमार कहते हैं कि दाढ़ी रखना कोई पिछड़ेपन का प्रतीक नहीं है बशर्ते दाढ़ी चेहरे पर भली लगे। सावधानी से सेट की हुई दाढ़ी का भी अपना अलग ही ग्लैमर है। सात फुट नौ इंच लंबी मूँछ वाले रामचंद्र तिवारी का कहना है कि मूँछ पुरुष के व्यक्तित्व वसौंदर्य में चार चाँद लगाती है। महिलाओं की तरह लंबे पोनीटेल पुरुषों में भी लोकप्रिय हो गए हैं।
नागपुर निवासी राजेश पारीख का कहना है पोनीटेल आज के युवाओं की सबसे पहली पसंद है। गले में ढेर सारी मालाएँ डाले रमेश पवार कहते हैं कि पुरुषों द्वारा अनेक प्रकार के जेवर पहनना कोई नई बात नहीं है। पुरातन काल में पुरुषों द्वारा अनेक प्रकार के जेवर पहनने का विवरण मिलता है। जहाँ एक ओर महिला पुरुष की बराबरी करने में लगी है, वहीं दूसरी ओर पुरुष महिला के साज-श्रृंगार को अपनाकर उनकी बराबरी करने में लगे हुए हैं।