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Written By ND

मैं हूँ खुशरंग हिना!

मैं हूँ खुशरंग हिना! -
- नीरजा आपटे

हिना या मेहँदी लगाना वह कला है जो संस्कृति, धर्म या किसी तरह की पाबंदी, सीमाएँ नहीं जानती। ये कला प्रकार मानव विकास का प्रतीक हैं बिलकुल आदिम अवस्था से। जब मनुष्य ने खोजा पौधों और जानवरों को अपने उपयोग के लिए। शायद तभी पहली बार ठंडक देने के अपने विशेष गुण के कारण मेहँदी ने मानव सभ्यता में जगह बना ली।

अधिकांश समाजों में विवाह से जुड़ा एक रिवाज है हिना का। शादी में एक विशेष रस्म मेहँदी की होती है। जब वर के घर से वधू के लिए मेहँदी भेजी जाती है और ऐसा मानते हैं कि मेहँदी का रंग जितना गहरा होगा, आपसी प्यार भी ज्यादा होगा।

हिना या मेहँदी लगाना वह कला है जो संस्कृति, धर्म या किसी तरह की पाबंदी, सीमाएँ नहीं जानती। ये कला प्रकार मानव विकास का प्रतीक है बिलकुल आदिम अवस्था से। जब मनुष्य ने खोजा पौधों और जानवरों को अपने उपयोग के लिए। शायद तभी पहली बार ठंडक देने के अपने विशेष गुण के कारण मेहँदी ने मानव सभ्यता में जगह बना ली।

जलवायु की समानता की वजह से हिन्दू, बौद्ध, क्रिश्चियन, इस्लाम आदि समाजों में हिना का उपयोग होने लगा। क्योंकि मेहँदी की पैदावार उष्ण जलवायु इलाके में होती है। चाहे इसका मूल मध्य-पूर्व हो या भारत या अफ्रीका। मेहँदी हमारी जिंदगी और संस्कृति से जुड़ी हुई है। जीवनावश्यक जरूरत के तौर पर मानव समाज में प्रवेश करने वाली मेहँदी कला धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से आज आधुनिक समाज में एक फैशन का रूप ले चुकी है।

सारे विश्व में हिना डिजाइन्स में काफी विविधता मिलती है। ये हिना मोटिफ या नमूने प्रायः व्यक्तिगत रुचि और उस जगह की सभ्यता को प्रतिबिंबित करते हैं। अरब देशों में तो हिना का बहुत ही महत्व है। अरेबिक डिजाइन्स मुख्य रूप से बड़े फूलों और बेलों वाले होते हैं, जिन्हें हाथ-पैरों पर कोन की सहायता से लगाते हैं। पहले छोटी लकड़ी को विशेष आकार में काटकर उसका उपयोग मेहँदी लगाने के लिए किया जाता था।

अरब समाज में मेहँदी का धार्मिक महत्व भी है। ईद या अन्य धार्मिक समारोहों के आते ही अरब महिलाएँ खूबसूरत मेहँदी से हाथ-पैरों को सजाती हैं। जबकि नववधू के हाथ-पैरों के नमूने कुछ अलग विशिष्टता लिए होते हैं। इनमें अमीराती और भारतीय डिजाइन्स का अनोखा मेल हम देख सकते हैं। सूडानी मोटिफ भी यहाँ काफी लोकप्रिय हैं, जिनमें बड़े आकार के ज्यामितीय कोण वाले डिजाइन्स होते हैं। खलीजी डिजाइन्स मुख्य रूप से युवा लड़कियों की पसंद हैं। इसमें अरेबिक पद्धति के फूल-पत्तियों का पैटर्न होता है।

भारतीय मेहँदी की तरह बहुत बारीक डिजाइन्स या रेखाएँ अरेबिक मेहँदी में नहीं हैं। इन दिनों डिजाइनर मेहँदी में नमूने के बीच चमकीले पत्थर का चूरा या दूसरे चमकदार रंगों का प्रयोग किया जाता है। फिर भी अधिकतर महिलाएँ पारंपरिक हिना डिजाइन्स की ही चाह रखती हैं। तो देर किस बात की। इस बार आप भी सजाइए अपने हाथों को अरेबिक हिना डिजाइन्स से।