भाजपा शासित मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन का असर कुछ खास नहीं रहा। हालांकि कई स्थानों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर किसानों के समर्थन में विभिन्न बाजारों और मंडियों को बंद करवाने की कोशिश की। इसके बावजूद बाजार खुले रहे, यातायात पर भी कोई खास असर नहीं दिखा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने जहां कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कानून को किसान हितैषी बताया।
भोपाल : राजधानी भोपाल में भारत बंद का कोई असर नहीं दिखाई दिया। रोज की तरह ही यहां सुबह 11 बजे बाजार खुल गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रैली निकाल कर बंद को सफल बनाने के लिए एमपी नगर इलाके में कुछ दुकानों को बंद कराने की असफल कोशिश की लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद वह बैंरग वापस लौटने के लिए मजबूर हो गए।
इंदौर : इंदौर में भारत बंद के समर्थन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेसी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में छावनी अनाज मंडी में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान जीतू पटवारी, विशाल पटेल, संजय शुक्ला, शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव सहित कई नेता कार्यकर्ता उपस्थित थे। इस दौरान यहां भारी पुलिस बल तैनात रहा। कांग्रेस नेता पिंटू जोशी ने निकाली साइकिल रैली।
डबरा : आज सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर डबरा पहुंचे अंचल के किसान। सुबह से ही मंडी गेट पर किसानों ने एकत्रित होकर कराया बंद। किसानों द्वारा बुलाए गए राष्ट्रयापी बंद को कांग्रेस और भीम आर्मी का मिला समर्थन। अग्रसेन चौराहे पर सरकार के खिलाफ कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन किया गया।
खरगोन : खरगोन जिले में किसानों के राष्ट्रव्यापी बंद को मिला व्यापक समर्थन। सुबह से ही किसान ट्रैक्टरों में भरकर जिला मुख्यालय पहुंचे। सुबह खुली दुकानों को बंद करने का किया आह्वान। किसानों ने केंद्र सरकार से बिल वापल लेने की मांग की। व्यापारियों ने भी किया भारत बंद का समर्थन। शहर में भारी पुलिस बल मौके पर तैनात।
जबलपुर : संशोधित कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर जबलपुर में भी कांग्रेसियों ने विशाल रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने गांधीगिरी दिखाते हुए व्यापारियों से अपनी दुकानें बंद करने का आह्वान करते हुए उन्हें फूल भेंट किए। रांझी और उसके आसपास के इलाकों का भ्रमण करते कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
अशोकनगर : किसानों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद के समर्थन का असर अशोकनगर में भी दिखाई दिया। यहां पर बड़ी संख्या में किसान गांधी पार्क पर एकत्रित हुए और नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
राजगढ़ : मध्यप्रदेश के राजगढ़ में भी कांग्रेस कार्यकर्ता बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे। ब्यावरा में दुकानें बंद कराने को लेकर विधायक रामचन्द्र दांगी का एक दुकानदार से विवाद। दुकानदार ने दुकान बंद करने से किया इनकार।
गुना : दुकानें बंद कराने के दौरान एक भाजपाई नेता से प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने गुना के हनुमान चौराहा पर चक्का जाम किया। इस दौरान शहर में भारी पुलिस बल तैनात रहा।
भिंड : भिंड में भारत बंद का असर कम ही दिखाई दिटा। किसान संगठनों ने यहां बाजार बंद करने की अपील की थी लेकिन यहां सुबह से दुकानें खुल गई। पारा चढ़ते ही घरों से निकले संगठनों के लोग, दुकानदारों से की दुकानें बंद करने की अपील की।
किसान आंदोलन पर क्या बोले दिग्गज : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों किसान कानून वापस लेना चाहिए। संसद की संयुक्त संसदीय समिति गठित कर किसाना संगठनों से चर्चा करना चाहिए, ताकि किसानों के हित में कानून बनें। उन्होंने कहा कि किसान मेहतन कर हमारा पेट भरता है। इसलिए उसे अन्नदाता कहते हैं। उन्होंने किसानों के भारत बंद का समर्थन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि क्या हम उनके लिए इतना भी नहीं कर पाएंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य के किसान तीनों कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। किसान संगठनों और विपक्षी दलों के भारत बंद के आह्वान के बीच चौहान ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि किसानों के पक्ष में किए जा रहे सुधार फायदेमंद हैं। यह बात यहां के किसान भी समझते हैं।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि देश के बहुत बड़े हिस्से में आंदोलन नहीं है। मध्यप्रदेश में किसान पूरी तरह संतुष्ट हैं। हम मानते हैं कि एक भी किसान के मन में शंका है तो उस पर चर्चा होना चाहिए और वह हो भी रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए किसान संबंधी तीनों कानून किसान विरोधी हैं, इसलिए उन्हें वापस लिया जाना चाहिए। यादव ने कहा कि ये 'काले कानून' वापस लिए जाने चाहिए। इनसे किसानों का अहित ही होगा। इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों की मौजूदगी में कानून और केंद्र सरकार का विरोध किया।