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Last Modified: रविवार, 6 दिसंबर 2020 (21:12 IST)

8 दिसंबर को 'भारत बंद' का कांग्रेस ने किया समर्थन, देशभर में करेगी प्रदर्शन

8 दिसंबर को 'भारत बंद' का कांग्रेस ने किया समर्थन, देशभर में करेगी प्रदर्शन - Congress supports 'Bharat Bandh' on 8 December
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संघों द्वारा 8 दिसंबर को आहूत 'भारत बंद' के प्रति कांग्रेस ने रविवार को पूरा समर्थन जताया और घोषणा की कि इस दिन वह किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी।

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि 8 दिसंबर को पूरी ताकत के साथ 'भारत बंद' किया जाएगा। यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस आठ दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं। खेड़ा ने कहा, हमारे सभी जिला मुख्यालय एवं प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे। वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे।

उन्होंने कहा, सारी दुनिया हमारे किसानों की दयनीय अवस्था देख रही है। पूरा विश्व यह भयावह मंजर देख रहा है कि किसान जाड़े की रातों में राजधानी के बाहर बैठे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनकी बात सुन ले।कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि सरकार को कानूनों को लागू करने की इतनी जल्दी क्या थी।

उन्होंने आरोप लगाया, कोविड-19 महामारी के बीच, जून में सरकार चोरी छिपे अध्यादेश ले आई। इतनी जल्दी किस बात की थी। जब पूरे देश का ध्यान कोविड-19 के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर था तब सरकार अपने उद्योगपति-कॉर्पोरेट मित्रों की मदद करने के लिए चोरी-छिपे अध्यादेश लाने में व्यस्त थी।

खेड़ा ने कहा कि सरकार ने किसानों को भरोसे में नहीं लिया और अब किसानों के हितों की आड़ में छिप रही है।उन्होंने कहा, यदि आपको वाकई में किसानों के हितों की चिंता होती तो आपने इन विधेयकों को लाने से पहले उनकी सलाह ली होती।

खेड़ा ने आगे कहा, जो कुछ भी आज देखने को मिल रहा है वह सरकार और उसके कॉर्पोरेट मित्रों के बीच की साजिश का नतीजा है जिसमें पीड़ित किसान ही होगा और किसान इस बात को जानता है। शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही। पांच चरणों की बातचीत हो चुकी है तथा अगली बैठक केंद्र ने नौ दिसंबर को बुलाई है।

खाप प्रमुखों ने किया महाबंद का समर्थन : दिल्ली के किसानों एवं खापों के प्रधानों ने एकजुट होकर एक स्वर में कहा है कि वे प्रदर्शनकारी किसान भाइयों के साथ खड़े हैं एवं प्रतीकात्मक तौर पर 8 तारीख़ के महाबंद का पुरज़ोर समर्थन करते हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली देहात किसान बचाओ मंच के अध्यक्ष डॉ. नरेश कुमार ने रविवार को यहां मुंडका में अपने आवास पर भारतीय जनता पार्टी के किसान विरोधी कानूनों पर विस्तृत चर्चा की और इनसे किसानों के हितों पर पड़ने वाले प्रभावों का जिक्र किया। किसानों एवं खापों के प्रधानों ने एकजुट होकर एक स्वर में कहा है कि वे प्रदर्शनकारी किसान भाइयों के साथ खड़े हैं एवं प्रतीकात्मक तौर पर 8 तारीख़ के महाबंद का पुरज़ोर समर्थन करते हैं।

उन्होंने यह भी फ़ैसला लिया कि दिल्ली देहात से आने वाले दो भाजपा सांसदों रमेश बिधूडी, प्रवेश साहिब सिंह वर्मा एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सामाजिक बहिष्कार करेंगे क्योंकि उन्होंने सत्ता में रहते हुए किसानों के पक्ष को नज़रंदाज़ किया है। इन तीनों नेताओं ने किसान विरोधी कानूनों का समर्थन करके दिल्ली एवं देश के किसानों के साथ धोखेबाज़ी की है।

केजरीवाल इस मुद्दे पर भी आदतन पूर्वानुसार झूठ बोलते आ रहें है क्योंकि यदि ये सही में विरोध करते तो पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारों की तरह विधानसभा सत्र बुलाकर किसान विरोधी ऐसे क़ानूनों का विरोध करते। ऐसा नहीं करना यह दर्शाता है कि केजरीवाल भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं। कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आठ तारीख़ को आयोजित महाबंद का समर्थन करें और इस गूंगी-बहरी सरकार को नींद से जगाएं।

इस परिचर्चा में 360 खाप पालम के अध्यक्ष चौधरी किशनचंद, रामकरण सोलंकी, बवाना खाप के अध्यक्ष चौधरी धारा सिंह, नरेला खाप के अध्यक्ष चौधरी रणबीर सिंह, मेहरौली खाप के अध्यक्ष चौधरी पृथ्वी सिंह एवं ग्राम प्रधानों/पूर्व प्रधानों में मुख्यतया: प्रधान लक्ष्मीचंद चौधरी, चौधरी सुल्तान प्रधान, चौधरी ईश्वर प्रधान ने हिस्सा लिया था।(वार्ता/भाषा)
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