क्या होता है महाभियोग, क्या है इसकी प्रक्रिया और क्या होगा जस्टिस यशवंत वर्मा का?
आमतौर पर जहां आरोपी न्यायालय के कठघरे में खड़े होते हैं, वहीं एक घटना ने न्याय करने वाले एक न्यायाधीश को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले करोड़ों रुपए की घटना ने भारतीय न्यायपालिका को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर हाई कोर्ट ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई जिसमें सबूत के तौर पर वीडियो भी मौजूद हैं। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की कुर्सी जाएगी या उन पर महाभियोग चलाया जाएगा।
जानते हैं क्या होता है महाभियोग, क्या होती है इसकी प्रक्रिया और किस पर किन हालातों में लगाया जाता है।
पूर्व जज सौमित्र सेन पर लाया गया था : बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज सौमित्र सेन स्वतंत्र भारत के ऐसे पहले न्यायाधीश थे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, राज्यसभा में प्रस्ताव पास हो गया था, लेकिन इसके पहले कि लोकसभा में प्रस्ताव लाया जाता उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से महाभियोग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। सेन पर वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप था। जांच में सेन को दोषी पाया गया, जिसके बाद उनके खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग चलाया गया।
क्या होता है महाभियोग या Impeachment Motion?
बता दें कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज को महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग यानी 'इम्पीचमेंट' शब्द का लैटिन भाषा में अर्थ है पकड़ा जाना। इस शब्द की उत्पति भले ही लैटिन भाषा से निकलती हों, परंतु इस वैधानिक प्रक्रिया की शुरूआत ब्रिटेन से मानी जाती है। यहां 14वीं सदी के उत्तरार्ध में महाभियोग का प्रावधान किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 124(4)127 में सुप्रीम कोर्ट या किसी हाई कोर्ट के जज को हटाए जाने का प्रावधान है। महाभियोग के जरिए हटाए जाने की प्रक्रिया का निर्धारण जज इन्क्वायरी एक्ट 1968 द्वारा किया जाता है।
क्या है महाभियोग की प्रकिया :
1. किसी जज को हटाए जाने के लिए जरूरी महाभियोग की शुरुआत लोकसभा के 100 सदस्यों या राज्यसभा के 50 सदस्यों के सहमति वाले प्रस्ताव से की जा सकती है। ये सदस्य संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी को जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की अपनी मांग का नोटिस दे सकते हैं।
2. प्रस्ताव पारित होने के बाद संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा तीन जजों की एक समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश और एक कानूनविद को शामिल किया जाता है। यह तीन सदस्यीय समिति संबंधित जज पर लगे आरोपों की जांच करती है।
3. जांच पूरी करने के बाद यह समिति अपनी रिपोर्ट पीठासीन अधिकारी को सौंपती है। आरोपी जज जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है, को भी अपने बचाव का मौका दिया जाता है।
4. पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट में अगर आरोपी जज पर लगाए गए दोष सिद्ध हो रहे हैं तो पीठासीन अधिकारी मामले में बहस के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सदन में वोट कराते हैं।
5. किसी जज को तभी महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है जब संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई मतों (उपस्थिति और वोटिंग) से यह प्रस्ताव पारित हो जाए।
क्या हुआ था जस्टिस वर्मा के घर : बता दें कि पॉश लुटियंस दिल्ली इलाके में 14 मार्च के दिन जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम' में आग लगने की घटना के बाद फायर ब्रिगेड कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर करोड़ों की नकदी मिली थीं। दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने 21 मार्च को अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। इस रिपोर्ट में आरोपों की गहन जांच की बात कही थी, जिसके बाद CJI ने 3 सदस्यीय समिति का गठन किया।