कठघरे में न्यायाधीश, क्या जाएगी जस्टिस यशवंत वर्मा की कुर्सी, कौन कर रहा और कहां तक पहुंची जांच?
आमतौर पर जहां आरोपी न्यायालय के कठघरे में खड़े होते हैं, वहीं एक घटना ने न्याय करने वाले एक न्यायाधीश को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले करोड़ों रुपए की घटना ने भारतीय न्यायपालिका को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर हाई कोर्ट ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट शनिवार रात को सार्वजनिक की गई जिसमें सबूत के तौर पर वीडियो भी मौजूद हैं। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की कुर्सी जाएगी या उन पर महाभियोग चलाया जाएगा।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर आग लगने की घटना के बाद नोटों से भरी अधजली बोरियां मिलने की जांच के लिए CJI संजीव खन्ना ने 3 सदस्यीय समिति गठित की है। इसके साथ ही आंतरिक जांच प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद यह तय हो पाएगा कि जस्टिस वर्मा की कुर्सी रहेगी कि जाएगी।
क्या हुआ था जस्टिस वर्मा के घर : बता दें कि पॉश लुटियंस दिल्ली इलाके में 14 मार्च के दिन जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम' में आग लगने की घटना के बाद फायर ब्रिगेड कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर करोड़ों की नकदी मिली थीं। दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने 21 मार्च को अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। इस रिपोर्ट में आरोपों की गहन जांच की बात कही थी, जिसके बाद CJI ने 3 सदस्यीय समिति का गठन किया।
क्या क्या होगा जांच में : जस्टिस जज के घर से मिले करोड़ों रुपयों की जांच बेहद गहन तरीके से की जाएगी। इसके लिए मोबाइल रिकॉर्ड, फोरेंसिक जांच से लेकर मौके पर पहुंचने वाले पुलिस और दमकलकर्मियों से अब इस मामले में सवाल-जवाब होंगे। इसके साथ ही जस्टिस वर्मा के मोबाइल कॉल्स, लेपटॉप और उसके डेटा के साथ ही कॉल डेटा रिकॉर्ड को भी जांचा जाएगा। आग लगने के बाद सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों की सूची बनाकर कमेटी उनसे पूछताछ करेगी।
कौन कर रहा है जज की जांच : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के CJ शील नागू, हिमाचल हाई कोर्ट के CJ जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की अनु शिवरामन की कमेटी को CJI संजीव खन्ना ने मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है। सभी जजों का संवैधानिक अदालतों में एक दशक से अधिक का अनुभव है, लेकिन ये जांच उनके लिए आसान नहीं होगी। सबको अदालती कामकाज के बावजूद जांच करनी होगी और जस्टिस वर्मा से लेकर कई लोगों से पूछताछ करनी होगी।
क्या लग सकता है महाभियोग : सवाल उठ रहे हैं कि अगर जज वर्मा जांच में दोषी पाए जाते हैं तो क्या उन पर महाभियोग चलाया जा सकता है। बता दें कि भारतीय संविधान के तहत किसी भी जज को हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है, जो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित मोशन के आधार पर फैसला लेते हैं। जजों को हटाने की प्रक्रिया जज इंक्वायरी एक्ट, 1968 में तय की गई है।
कैसे लग सकता है महाभियोग : इम्पीचमेंट मोशन यानी महाभियोग लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों को इस पर हस्ताक्षर करने होंगे। राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों की सहमति जरूरी होगी। अगर स्पीकर या चेयरमैन इस मोशन को मंजूरी देते हैं, तो एक तीन-सदस्यीय जांच कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट जज, एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद होंगे। बता दें कि यह कमेटी आरोपों की जांच करेगी और जज को अपनी सफाई देने का मौका दिया जाएगा। अगर जांच में जज को दोषी पाया जाता है, तो रिपोर्ट संसद के सामने रखी जाएगी। संसद के दोनों सदनों में इस पर बहस होगी और अगर दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होता है, तो राष्ट्रपति जज को पद से हटा सकते हैं।
Edited By: Navin Rangiyal