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Last Modified: मंगलवार, 5 नवंबर 2024 (00:15 IST)

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का इतिहास, प्रक्रिया और प्रमुख मुद्दे

US election
History of US Elections: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैदान में हैं। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है। न्यूयॉर्क टाइम्स/सिएना के सर्वेक्षण में डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस सभी ‘स्विंग’ राज्यों में ट्रंप से बहुत कम अंतर से आगे चल रही हैं या लगभग बराबरी पर हैं। इस चुनाव के 4 मुख्य मुद्दे हैं। इनमें आम आदमी की जेब का मुद्दा,  घरेलू बजट, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और भविष्य में आर्थिक सुरक्षा को लेकर मतदाताओं की चिंताएं। घर खर्च से लेकर ईंधन के दामों तक में पिछले 4 वर्षों के दौरान वृद्धि हुई है। इसका नुकसान हैरिस को हो सकता है।
 
हालांकि अर्थव्यवस्था के मामले में लोग ट्रंप को ज्यादा मुफीद मानते हैं। आव्रजन भी अमेरिका में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। आव्रजकों के मुद्दों से निपटने के लिए मतदाता ट्रंप को ट्रंप सबसे उपयुक्त मानते हैं। हालांकि महिलाओं में हैरिस का पलड़ा भारी है। कई सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मतदाता प्रजनन अधिकारों के मामले में ट्रंप की तुलना में हैरिस पर अधिक भरोसा करते हैं, वह भी बड़े अंतर से। ट्रंप के लिए एक और नकारात्मक बात यह है कि एक सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा मतदाता ट्रंप को अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरे के तौर पर देखते हैं। आखिर कैसा है अमेरिकी लोकतंत्र और कैसे होते हैं वहां चुनाव। आइए, जानते हैं दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के बारे में....
 
सबसे पुराना लोकतंत्र : भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है तो अमेरिका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। करीब 225 वर्ष पहले सन 1789 में हुआ और जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने। पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज ही करता था, लेकिन तब अलग-अलग मत नहीं डाले जाते थे। उस समय जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते थे, वह राष्ट्रपति बनता था और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता था। अमेरिका में हर 4 साल राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होते हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए नवंबर का महीना तय है। नवंबर माह के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को चुनाव होता है। 
 
संसद के 2 सदन : भारत की तरह अमेरिकी संसद में भी दो सदन होते हैं। पहला हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव जिसे प्रतिनिधि सभा भी कहा जाता है। इसके सदस्यों की संख्या 435 है। दूसरे सदन सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से तीन सदस्य आते हैं। इस तरह संसद में कुल 538 सदस्य होते हैं। यही 538 इलेक्टोरल राष्ट्रप‍ति का चुनाव करते हैं। 
 
द्विदलीय व्यवस्था : अमेरिकी लोकतंत्र में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है। इसलिए त्रिशंकु संसद का खतरा भी नहीं होता। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट यहां दो प्रमुख पार्टियां हैं। वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं मैदान में हैं, जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन उम्मीदवार हैं। अन्य दलों का यहां कोई वजूद नहीं है। राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा रखने वाले उम्मीदवार सबसे पहले एक समिति बनाते हैं, जो चंदा इकट्ठा करने और संबंधित नेता के प्रति जनता का रुख भांपने का काम करती है। कई बार यह प्रक्रिया चुनाव से दो साल पहले ही शुरू हो जाती है।
US election
उम्मीदवार की योग्यता : अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति का जन्म अमेरिका में हुआ हो और वह 14 साल से देश में रह रहा हो। उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। साथ ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अंग्रेजी भाषा आना भी जरूरी है। राष्ट्रपति का चुनाव 538 इलेक्टर्स करते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत हासिल करना आवश्यक होता है। अमेरिकी कानून के मुताबिक राष्ट्रपति पद के दो कार्यकाल के बाद कोई भी व्यक्ति तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकता। 
 
चुनाव प्रक्रिया : दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया भारत के मुकाबले काफी पेचीदा और लंबी होती है। अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख है। संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है। हालांकि अमेरिकी संविधान निर्माताओं का एक वर्ग इस पक्ष में था कि संसद को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार मिले, जबकि दूसरा धड़ा सीधी वोटिंग के जरिए चुनाव के हक में था। ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ को इन दोनों धड़ों की अपेक्षाओं के बीच की एक कड़ी माना गया। 
 
पहले होता है पार्टी में चुनाव : राष्ट्रपति चुनाव के पहले राजनीतिक दल अपने स्तर पर दल का प्रतिनिधि चुनते हैं। प्राथमिक चुनाव में चुने गए पार्टी के प्रतिनिधि दूसरे दौर में राजनीतिक दल का हिस्सा बनते हैं और अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। यही वजह है कि कुछ राज्यों में जनता ‘प्राइमरी’ दौर में मतदान का इस्तेमाल न करके ‘कॉकस’ के जरिए पार्टी प्रतिनिधि का चुनाव करती है। 
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क्या है कॉकस और प्राइमरी? : कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। स्कूलों, घरों या फिर सार्वजनिक स्थलों पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है। वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार का चयन करते हैं। वहीं प्राइमरी में मतपत्र के जरिए मतदान होता है। हर राज्य के नियमों के हिसाब से अलग-अलग तरह से प्राइमरी होती है और कॉकस प्रक्रिया भी हर राज्य के कानून के हिसाब से अलग-अलग होती है। 
 
कहां से शुरू होती है चुनाव प्रक्रिया : राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आयोवा और न्यू हैंपशायर से शुरू होती है। दोनों ही छोटे राज्य हैं मगर यहां की आबादी में करीब 94 प्रतिशत लोग गोरे हैं, जबकि पूरे अमेरिका में गोरी आबादी 77 फीसदी के लगभग है। यहां सबसे पहले कॉकस या प्राइमरी होता है। इन दो राज्यों में मिली जीत आगे की चुनावी मुहिम पर खासा असर डालती है। हालांकि यहां की जीत का अर्थ यह नहीं होता कि प्रत्याशी को पार्टी की उम्मीदवारी मिल ही जाएगी, लेकिन आयोवा और न्यू हैंपशायर की जीत मीडिया कवरेज दिलाने में जरूर मददगार होती है। हालांकि यहां 60 दिन पहले वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस अवधि में अमेरिका से बाहर रहने वाला व्यक्ति भी ऑनलाइन वोट डाल सकता है।
 
इस तरह बनता है मंत्रिमंडल : अमेरिका मंत्रिमंडल बनाने की प्रक्रिया भारत से बिलकुल ही भिन्न है। यहां मंत्री बनने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं कि वह संसद का सदस्य हो, ना ही उसके लिए राजनीतिक दल का सदस्य होना जरूरी है। यदि राष्ट्रपति को लगता है तो वह विरोधी पार्टी के सदस्य अथवा किसी विषय विशेषज्ञ को भो मंत्री बना सकता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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