India Canada Diplomatic Row: भारत और कनाडा के बीच एक बार फिर से तनातनी है। बीच में कुछ वक्त के लिए दोनों देशों के बीच स्थिरता थी, लेकिन एक बार फिर से दोनों के बीच गर्मागर्मी बढ़ गई है। दरअसल, कनाडा ने भारतीय राजनयिकों का हत्या में हाथ होने का आरोप लगाते हुए देश से बाहर कर दिया है। इसके जवाब में भारत ने भी कनाडा के 6 राजनयिकों को भारत से निकाल दिया है। इस घटना के बाद दोनों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है।
इस तनातनी से वहां रहने वाले भारतीयों समेत हजारों स्टूडेंट पर असर होने के साथ ही दोनों देशों के बीच करीब 70,000 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। जानते हैं वो क्या क्या उत्पाद हैं जो भारत से कनाडा जाते हैं और कनाडा से भारत मंगाए जाते हैं। जानते हैं इस तनाव का क्या और कितना असर दोनों देशों पर होगा।
खालिस्तान पर भारत और कनाडा के बनते बिगडते रिश्तों की दास्तां पहले समझते हैं क्या हुआ दोनों देशों के बीच : दरअसल, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत सरकार पर लगाया है। इतना ही नहीं, आरोप लगाने के साथ कनाडा ने उच्चायुक्त सहित 6 राजनयिकों को वापस भारत जाने के लिए कह दिया। भारत ने इसका पलटवार करते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निकाल दिया। जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि कनाडाई नागरिकों की हत्या में भारतीय अधिकारियों का हाथ होने से जुड़ी रिपोर्ट अपने सहयोगियों से साझा की है।
कहां-कहां और क्या होगा इसका असर : अब ऐसे में सवाल उठता है कि दोनों देशों के बीच की इस खटास का असर कहां और कितना होगा। सबसे ज्यादा असर छात्रों पर दिख सकता है। इस वक्त 60 से 70 हजार भारतीय छात्र पहले से ही डेप्युटेशन का सामना कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा असर स्टूडेंट पर : बता दें कि कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। वहीं हर साल हजारों छात्र कनाडा में पढ़ाई के लिए जाते हैं। कनाडा और भारत के बीच गहरे व्यापारिक संबंध हैं। सोमवार को भारत के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी ट्रूडो ने व्यापारिक और नागरिक संबंध का जिक्र करते हुए कहा कि वह भारत के साथ खराब रिश्ते नहीं चाहते। ट्रूडों के आरोपों के बाद अगर भारत-कनाडा के बीच तनाव बढ़ता है तो इसका सभी पर असर पड़ सकता है।
भारत-कनाडा का कितना है व्यापार : साल 2022 में भारत कनाडा का 10वां बड़ा व्यापारिक भागीदार था। दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 10.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। इसमें से कनाडा को 6.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात और कनाडा से 4.10 अमेरिकी डॉलर का आयात किया। सर्विस सेक्टर जैसे वित्त, आईटी आदि में द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 8.74 बिलियन यूएस डॉलर था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 600 से ज्यादा कनाडाई कंपनियां और संगठन भारत में हैं।
किस चीजों का होता है कारोबार : दोनों देशों के बीच होने वाले आयात और निर्यात की बात करें तो भारत की ओर से कनाडा के लिए रत्न, ज्वेलरी और कीमती पत्थर, फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स, रेडीमेड कपड़े, मैकेनिकल अपलायंसेज, ऑर्गेनिक कैमिकल्स, लाइट इंजीनियरिंग सामान, आयरन और स्टील जा जाता है। जबकि भारत, कनाडा से कागज, लकड़ी का गूदा, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, कॉपर, मिनरल्स और इंडस्ट्रीयल केमिकल खरीदता है।
भारतीय कंपनियां कनाडा में देती है नौकरी : कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी सीआईआई (CII) की बीते साल आई एक रिपोर्ट की मानें तो 30 से ज्यादा भारतीय फर्मों की कनाडा में मौजूदगी है और इनके द्वारा देश में किए गए इन्वेस्टमेंट की बात करें तो ये 40,446 करोड़ रुपए का है। इन कंपनियों के जरिए वहां पर करीब 17,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। इन कंपनियों द्वारा R&D खर्च भी 700 मिलियन कैनेडियन डॉलर बताया गया था।
छात्रों पर क्या हो सकता है असर : कनाडा में बड़ी संख्या में विदेशी छात्र पढ़ने जाते हैं। भारत की बात करें तो भारत के 230,000 छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं। विदेशी छात्रों के लिए कनाडा सबसे बड़ा एजुकेशन हब है। दोनों देशों का तनाव इनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। कनाडा में पढ़ने की योजना बना रहे हजारों छात्रों को वीजा मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड सकता है। यह भी हो सकता है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद कनाडा भारतीय छात्रों के लिए वीजा में सख्ती करे।
पहले से वीजा में आ रही दिक्कतें : बता दें कि भारत और कनाडा के बीच यह तनातनी कोई नई बात नहीं है। ऐसे में पहले से यह ट्रेंड बना हुआ है कि भारतीय छात्रों को कनाडा की ओर से कम वीजा मिल रहे हैं। इसके साथ ही कनाडा में वीजा नियमों के बदलाव से पहले ही भारतीय और दुनियाभर के छात्रों की ओर से वीजा के लिए किए जाने वाले आवेदनों की संख्या घटी है।
20 लाख भारतीय मूल के लोग असंमजस में : कनाडा में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार ताहिर गोरा के मुताबिक तनातनी से भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक परेशान और असंमजस की स्थिति में आ गए हैं। भारत और कनाडा के रिश्ते और ठंडे हो गए हैं। भारत ने कनाडा में अपने राजनयिकों से वापस आने को कहा है। दरअसल कनाडा ने भारत से कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय राजनयिक पर्सन्स ऑफ इंटरेस्ट हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में कनाडा में रह रहे तकरीबन 20 लाख भारतीय मूल के कनाडाई लोग असमंजस की स्थिति में हैं। उनका कहना है कि अपनी कर्मभूमि के लिहाज से कनाडा को चाहते हैं तो दूसरी तरफ भारतीय अपने मुल्क भारत को भी प्यार करते हैं। ऐसे में वे फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।
कनाडा के लिए नुकसानदायक : हालांकि इस पूरी घटना का ज्यादा असर या नुकसान कनाडा को ज्यादा होना है। कनाडा की कार्लटन विश्वविद्यालय में राजनीतिक विश्लेषक और प्रोफेसर स्टेफनी कार्विन के मुताबिक कनाडा के भारत पर लगाए गए नए आरोप बेहद गंभीर हैं। इन आरोपों के बाद भारत के साथ कनाडा के संबंधों में और भी बाधा आने की रिस्क नजर आ रही है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'यह कनाडा को और भी मुश्किल स्थिति में डालता है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ अपने संबंध बढ़ा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हम अपने सभी सहयोगियों से दूर होते जा रहे हैं
क्यों हो रहा ऐसा : बता दें कि कनाडा में 2025 में चुनाव हैं। इस दौरान जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता लगातार घट रही है। कनाडा की अर्थव्यवस्था भी ठीक हालत में नहीं है। ऐसे में अगर वहां नई सरकार सत्ता में आती है तो भारत से संबंध सुधर सकते हैं।
Edited by Navin Rangiyal