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Last Updated : सोमवार, 15 अप्रैल 2024 (16:09 IST)

Iran Israel War: ईरान और इजरायल के बीच कितना पुराना है दुश्‍मनी का इतिहास?

Iran Israel War
दमिश्क में 1 अप्रैल को तेहरान के दूतावास परिसर पर एक संदिग्ध हवाई हमले के बाद ईरान (Iran) ने अपने कट्टर दुश्मन इजरायल (Israel) पर 13 अप्रैल की रात हमला कर बदला ले लिया है। अब इजरायल भी बदले की कसम खा चुका है। पिछले साल गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद ईरान के इस हमले से तनाव और अधिक बढ़ने की आशंका है।

हालांकि, ईरान और इजरायल की दुश्मनी इन हमलों से दशकों पुरानी है। ईरान और इजराइल मध्य पूर्व के सबसे कट्टर दुश्मन हैं। उनके बीच जमीन से लेकर समुद्र, वायु और साइबरस्पेस में गुप्त हमलों का एक लंबा इतिहास है। यह पहली बार है कि दोनों खुलकर आमने-सामने आ गए हैं।

ईरान ने शनिवार रात और रविवार तड़के इजराइल पर 300 से ज्‍यादा बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया। हालांकि इजरायल ने 99 प्रतिशत मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराया। इजरायली सेना प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने दावा किया है कि कि ईरान ने 170 ड्रोन, 30 से अधिक क्रूज मिसाइलें और 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थी, जिनमें से 99 प्रतिशत प्रक्षेपणों को हवा में ही रोक दिया गया।

सवाल उठता है कि आखिर कितनी पुरानी है ईरान और इजरायल की दुश्‍मनी। जानते हैं कौन कितना ताकतवर है और दुनिया का कौनसा देश किसका साथ दे रहा है।

इजरायल- हमास में कैसे हुई ईरान की एंट्री : बता दें कि पिछले कुछ समय से इजरायल और हमास के बीच वॉर चल रही है, इन दोनों देशों के बीच आखिर ईरान की एंट्री कैसे हो गई। बता दें कि सीरिया में दूतावास पर हमले इजरायली हमले के दौरान एक शीर्ष ईरानी सैन्‍य कमांडर की मौत हो गई थी। इसके चलते ईरान पर आंतरिक दबाव आ गया था कि वह इजरायल पर सीधे हमला करके सैन्य कमांडर की मौत का बदला ले। ईरान अगर ऐसा नहीं करता तो उसे लोग ‘पेपर टाइगर’ समझ लेंगे। इसके चलते ही ईरान इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन की मदद से हमले कर रहा है।

क्‍यों है इजरायल- ईरान की दुश्‍मनी : ईरान और इजरायल के बीच विवाद की वजह हमेशा ही सीरिया रहा है। इस बार भी उसके सैन्य कमांडर की मौत सीरिया में ही हुई है। साल 2011 से सीरिया में जंग की स्थिति है और ईरान वहां की सरकार की मदद करता रहा है। सीरिया की बशर अल असद सरकार की ईरान मदद करता रहा है। दोनों देशों की ये दुश्मनी काफी पुरानी है। इजरायल के अस्तित्व को ईरान स्वीकार नहीं करता है। ईरान का कहना है कि इजरायल ने मुस्लिमों की जमीन को कब्जाया हुआ है। वहीं, इजरायल भी ईरान को अपने खतरे के रूप में देखता है।

क्‍या है अमेरिका की भूमिका : फिलहाल अमेरिका ईरान को आगाह कर रहा है कि वह इजरायल पर हमला न करे। अमेरिका एक तरह से दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की भूमिका में है, हालांकि इजरायल और अमेरिका दोनों की सेनांए तैयार हैं। इस पूरे समीकरण के बीच विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया में एक तरह से तीसरे विश्‍वयुद्ध की स्‍क्रिप्‍ट तैयार हो रही है।

ईरान-इजरायल में भारत की भूमिका : इजरायल और ईरान के बीच युद्ध को लेकर भारत का रुख वैसे तो शांति वाला ही है लेकिन वह पर्दे के पीछे से इजरायल का ही समर्थन करता है। क्योंकि इजरायल भारत का पुराना सहयोगी रहा है। फिलहाल भारत ईरान में अपने भारतीय नागरिकों को बचाने की कोशिश में हैं और इसीलिए उसने एडवाइजरी भी जारी की है कि कोई भी भारतीय ईरान और इजरायल दोनों ही मुल्कों की यात्रा न करें।

कौन किसके साथ : इजरायल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, कनाडा और न्यूजीलैंड ने हमास की आलोचना करते हुए इजराइल का साथ दिया था। ऐसे में ये सारे देश इजरायल के साथ नजर आ रहे हैं।

ईरान : ईरान की बात करें तो इसके साथ लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और फिलिस्तीन जैसे देश इरान के साथ हैं। गैर मुस्लिम देशों में रूस, उत्तर कोरिया और चीन के ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं।

ये है ईरान और इजरायल की दुश्मनी का इतिहास
1979 : ईरान के पश्चिम समर्थक नेता मोहम्मद रजा शाह इजराइल को एक सहयोगी मानते थे। हालांकि, ईरान में हुए इस्लामी क्रांति में वह सत्ता से बाहर हो गए। इसके बाद ईरान ने इजरायल के विरोध को एक वैचारिक अनिवार्यता के साथ एक नया धार्मिक शासन स्थापित किया।

1982 : जैसे ही इजरायल ने लेबनान पर हमला किया, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने हिजबुल्लाह की स्थापना के लिए वहां साथी शिया मुसलमानों के साथ काम किया और इजराइल की सीमा पर सबसे खतरनाक संगठन को खड़ा कर दिया।

1983 : ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने लेबनान से पश्चिमी देशों और इजरायल की सेना को खदेड़ने के लिए आत्मघाती बम विस्फोटों का इस्तेमाल किया। नवंबर में विस्फोटकों से भरी एक कार इजरायली सेना के मुख्यालय में घुसी। बाद में इजरायल लेबनान के अधिकांश हिस्से से हट गया।

1992-94 : अर्जेंटीना और इजरायल ने ईरान और हिजबुल्लाह पर 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजराइल के दूतावास और 1994 में शहर में एक यहूदी केंद्र पर आत्मघाती बम विस्फोटों के पीछे होने का आरोप लगाया। दोनों विस्फोटों में दर्जनों लोग मारे गए थे।

2002 : रिपोर्ट आती है कि ईरान के पास एक गुप्त यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम है और वह परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। ईरान इससे इनकार करता है। इसके बाद इजरायल ने तेहरान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आग्रह किया।

2006 : इजरायल ने लेबनान में एक महीने तक चले युद्ध में हिजबुल्लाह से लड़ाई की लेकिन भारी हथियारों से लैस समूह को कुचलने में असमर्थ रहा।

2009 : ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भाषण देते हुए इजरायल को खतरनाक और घातक कैंसर कहा।

2010 : खतरनाक कंप्यूटर वायरस स्टक्सनेट (Stuxnet) को संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल ने विकसित किया था और इसका उपयोग ईरान के नटान्ज़ परमाणु स्थल पर यूरेनियम संवर्धन केंद्र पर हमला करने के लिए किया गया था। यह किसी देश पर पहला सार्वजनिक रूप से ज्ञात साइबर हमला था।

2012 : ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफा अहमदी-रोशन की तेहरान में बम विस्फोट से मौत हो गई। एक मोटरसाइकिल चालक ने उनकी कार में बम लगा दिया था। शहर के एक अधिकारी ने हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया था।

2018 : इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विश्व के प्रमुख देशों के साथ ईरान के परमाणु समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पीछे हटने की सराहना की। उन्होंने ट्रंप के फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया था।

2020 : इजरायल ने बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी शाखा के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का स्वागत किया। ईरान ने अमेरिकी सैनिकों वाले इराकी ठिकानों पर मिसाइल हमले कर जवाबी हमला किया। इस हमले में लगभग 100 अमेरिकी सैन्यकर्मी घायल हो गए।

2021 : ईरान ने मोहसिन फखरीजादेह की हत्या के लिए इजरायल को दोषी ठहराया, जिन्हें पश्चिमी खुफिया सेवाओं ने परमाणु हथियार क्षमता विकसित करने के लिए एक गुप्त ईरानी कार्यक्रम के मास्टरमाइंड के रूप में बताया था। तेहरान लंबे समय से ऐसी किसी भी महत्वाकांक्षा से इनकार करता रहा है।

2022 : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायली प्रधानमंत्री यायर लैपिड ने ईरान को परमाणु हथियार लेने से रोकने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन की इजरायल की पहली यात्रा के "जेरूसलम घोषणा" का हिस्सा था।

2024 : दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर पर एक संदिग्ध इजरायली हवाई हमले में दो वरिष्ठ कमांडरों सहित इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के सात अधिकारी मारे गए। ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायली क्षेत्र पर हमले में ड्रोन और मिसाइलों की बौछार के साथ जवाब दिया।
Edited by: Navin Rangiyal
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