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Last Updated : शनिवार, 13 नवंबर 2021 (17:29 IST)

Dev Uthani Ekadashi 2021 : श्रीहरि विष्णु को जगाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए

Dev Uthani Ekadashi 2021 : श्रीहरि विष्णु को जगाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए - Dev Uthani Ekadashi Vishnu Jagran Mantra
Dev Uthani Ekadashi 2021 : आषाढ़ माह की एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा में चले जाने के बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। फिर कार्तिक मास में देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। उन्हें जगाने के लिए विशेष मंत्रों से उनका आह्‍वान किया जाता है।
 
प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए। एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाने चाहिए। रात्रि के समय घर के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए और लोक कहावत दोहराना चाहिए-
 
1. उठो देवा, बैठो देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाएं। देव उठाएं भाग्य जगावे...उठो देवा, बैठो देवा...।
 
2. उठो देव सांवरा, भाजी बोर आंवला, सांटा(गन्ना) की झोपड़ी और शंकर जी की यात्रा।
अर्थात् सांवले सलोने भगवान विष्णु जी आप अपनी नींद से जागिए, भाजी, बेर और आंवले का भोग लीजिए और शंकर जी को कैलाश की यात्रा की अनुमति दीजिए, सृष्टि का भार आप संभालिए...।
 
देवउठनी एकादशी के दिन दान, पुण्य आदि का भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।
 
देवउठनी एकादशी मंत्र
“उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुणध्वज।
उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु।।”
अर्थात यह है कि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु आप उठिए और मंगल कार्य की शुरुआत कीजिए।
या इस मंत्र का उच्चारण करें:
 
'उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते। 
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम॥ 
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। 
गता मेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:॥ 
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'
 
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए थे। इन चार महीनों तक भगवान शिव सृष्टि के पालनकर्ता होते हैं। इस दौरान विवाह, उपनयन संस्कार जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।
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