सोमवार, 23 दिसंबर 2024
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Written By नूपुर दीक्षित

आज के युवा और त्‍योहार ईद का...

आज के युवा और त्‍योहार ईद का... -
Praveen BarnaleND
कहते हैं कि इस दुनिया में अगर कुछ शाश्‍वत है तो वह है परिवर्तन। बात चाहे रस्‍मो-रिवाज की हो या त्‍योहार की, हर जगह हमें परिवर्तन दिखाई देता है। परिवर्तन की इस बयार का ईद के त्‍योहार पर कितना प्रभाव पड़ा, यह जानने के लिए हमने कुछ युवाओं से बातचीत की कि वे किस तरह मनाते हैं त्‍योहार ईद का।

काश! दिन 48 घंटे का होता
जावेद बताते हैं कि ईद पर मैं सबके साथ नमाज अदा करता हूँ। इसके बाद मैं अपने रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों के घर पर जाकर सबको ईद की मुबारकबाद देता हूँ। शाम तक बधाइयों का दौर इसी तरह चलता रहता है। ईद के दिन मुझे लगता है कि काश दिन 48 घंटे का होता।

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खुदा की इबादत और दोस्‍तों का सा
24 वर्षीय अजीम कहते हैं कि ईद के रोज अपने दिन की शुरुआत नमाज पढ़ने के साथ करता हूँ। नमाज अदा करने के बाद मैं अपने सारे दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के साथ मिलकर ईद मनाता हूँ। मुझे लगता है रमजान के आते ही बंदा खुद ही नमाज पढ़ने लगता है। यही है इस त्‍योहार का जादू, जो हमें बार-बार नेकी की राह दिखाता है।

ट्रेडिशनल वियर और सेवइयाँ
इरफान मुल्‍ली का कहना है कि ईद पर बनने वाली सेवइयाँ मुझे बहुत पसंद हैं। ईद तो मैं वैसे ही मनाता हूँ, जैसे बचपन से मनाता आ रहा हूँ। हर साल मेरे नए दोस्‍त बनते हैं और वो भी मेरे साथ ईद की खुशियों में शामिल हो जाते हैं। कुल मिलाकर ईद का त्‍योहार मेरे लिए दोस्‍तों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने का एक जरिया है। इसके साथ ही उन मूल्‍यों को भी स्‍वयं में आत्‍मसात करने की कोशिश करता हूँ, जो ईद की मूल भावना के साथ जुड़े हैं।

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परिजनों के साथ मनाता हूँ ईद
ईद के बारे में पूछने पर सतलज राहत बताते हैं कि बचपन से ही ईद मेरा पसंदीदा त्‍योहार रहा है। बचपन बीतने के बाद कॅरियर बनाने के लिए जब मुझे अपने घर से दूर रहना पड़ा तो मैं ईद का इंतजार किया करता था। खुदा की नेमत से एक बार फिर मैं अपने ही शहर में हूँ तो परिजनों और बचपन के दोस्‍तों के साथ मिलकर मनाऊँगा ईद।

हम साथ-साथ हैं
बाईस वर्षीय लकी बताते हैं कि मैं ईद अपने सभी दोस्‍तों के साथ मिलकर मनाता हूँ। मेरे अधिकतर दोस्‍त हिन्दू और ईसाई हैं, लेकिन ईद की खुशियों में वे मेरे साथ खुले दिल से शामिल होते हैं। हम साथ मिलकर शीर खुरमा खाते हैं। इस दिन मेरा यह विश्‍वास और पक्‍का हो जाता है कि दुनिया वाले कुछ भी कहें, लेकिन हम साथ-साथ हैं।