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Written By ND

अल्लाह की इबादत में रोजेदार मशगूल

माहे-रमजान का अशरा

अशरा
- गुलरेज गौरी
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रमजान माह के मुबारक महीने के पहले अशरे (दस दिन) में तमाम मुस्लिम हजरात रोजा रख अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। इस महीने में हर नेक काम पर सवाब बढ़ा दिया जाता है, इसलिए सभी ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह को राजी करने की कोशिश में लगे हैं।

कुरान की तिलावत, नमाजों की पाबंदी, जकात, सदका, अल्लाह का जिक्र व रोजा खुलवाने जैसे नेक काम और इबादत का दौर जारी है।

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रमजान माह में हर इबादत पूरे इख्लास के साथ होनी चाहिए। इबादत में कोई दिखावा नहीं होना चाहिए। यह भी जरूरी है कि इस मुबारक महीने के एक-एक मुबारक लम्हे का सही-सही इस्तेमाल किया जाए।

इसी महीने में कुरान नाजिल किया गया, इसलिए इसकी एहमियत और बढ़ जाती है। तरावीह की नमाज में भी इमाम द्वारा कुरान की तिलावत की जाती है। रमजान में पूरा कुरान मुकम्मल किया जाता है।

पहला अशरा (दस रोज) मुकम्मल होने के बाद दूसरा अशरा जिसे मगफिरत का अशरा कहा जाता है, शुरू होगा।
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