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Covid-19 Vaccines Mixing: वैक्सीन मिक्स करने से एंटीबॉडी पर कैसा पड़ता है असर

Covid-19 Vaccines Mixing: वैक्सीन मिक्स करने से एंटीबॉडी पर कैसा पड़ता है असर - does different dose of vaccine increase the antibody more
  • तीनों वैक्सीन के इम्यूनिटी बूस्ट करने का तरीका अलग है - डाॅ दोसी
  • कितना अधिक लाभ मिल जाएगा?, 100 फीसदी कुछ भी नहीं होता - डाॅ रावत
  • साइंटिफिक डेटा उपलब्ध नहीं हैं, एक ही वैक्सीन लगवाएं - डाॅ थोरा
  • दूसरे डोज की अलग खुराक में मामूली साइड इफेक्ट - शोध 

कोविड-19 से बचने का सुरक्षा कवच वैक्सीनेशन। जी हां, शुरुआत में जनता इसे लगाने से काफी डर रही थी। लेकिन अब जागरूक हो गई है, साथ ही समझने लगी है कि वैक्सीनेशन उनके साथ बच्चों को भी कही न कहीं सुरक्षित रखे गा। लेकिन वैक्सीनेशन की कमी के चलते अब नए तरह से जनता विकल्प तलाश रही है। पहला डोज जिस वैक्सीन का लगाया था वह नहीं मिलने पर दूसरा डोज अन्य वैक्सीन का लगाने की चर्चा है। इस पर एक्सपर्ट्स का क्या मत है, वैज्ञानिक क्या सोचते हैं। आइए जानते हैं -

चेस्ट फिजिशियन डॉ रवि दोसी ने बताया कि, ‘‘भारत में अब तीन वैक्सीन है। कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक वी। इन तीनों वैक्सीन के अलग - अलग वैज्ञानिक आधार है। तीनों की इम्यूनिटी बूस्ट करने  का तरीका अलग - अलग होता है। नियम स्पष्ट है कि आप ने जिस भी वैक्सीन का पहला डोज लगाया है दूसरा भी उसी का लगवाएं। तभी आपका टीकाकरण पूर्ण माना जाएगा। और आपकी बॉडी में पूर्ण रूप से एंटीबॉडी विकसित होगी।

ह्दय रोग विशेषज्ञ डाॅ भारत रावत ने बताया कि, ‘‘हालांकि इस पर रिसर्च जारी है। तो यह कहना भी सही नहीं होगा कि वैक्सीन को मिक्स करना चाहिए या नहीं। क्योंकि वर्तमान में किसी प्रकार का डाटा उपलब्ध नहीं है। यह भी निर्भर करता है कि कौन - सी वैक्सीन मिक्स कर रहे हैं।

अगर कोई सी वैक्सीन 90-95 फीसदी अगर इफेक्टिव है उसको मिक्स करके एडिशनल फायदा आप कितना दिखा सकते हैं। क्योंकि 100 फीसदी इफेक्टिव कुछ नहीं होता। और 2 से 4 फीसदी अधिक प्रभावित होना बहुत बड़ा अंतर नहीं है’’।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज  के पूर्व डीन  डॉ शरद थोरा, ‘‘ऐसा नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिक तौर पर अभी रिसर्च जारी है। वैक्सीन को मिक्स करना ही नहीं चाहिए। भारत में तीन वैक्सीन है कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक-वी। कोविशील्ड का प्रोटेक्शन 70 फीसदी है, कोवैक्सीन का 80 फीसदी है और स्पुतनिक-वी का 90 फीसदी है। इन सभी का अंतराल भी अलग है।

स्पुतनिक में दो तरह के एडिनोवायरस मिलाए गए है। इसमें दो वेक्टर मिले है। बाकी दोनों में एक - एक वेक्टर मिले हैें। न सरकार कहती है, न विज्ञान कहता है और न ही डॉक्टर कहता है कि हमे मिक्स करके लगाना चाहिए।

अगर आपने गलती से वैक्सीन ले भी लिया या लगा भी लिया तो कोई नुकसान नहीं है। लेकिन अभी ऐसा करने के लिए किसी भी तरह का सुझाव नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कोई साइंटिफिक डेटा अभी उपलब्ध नहीं है।

अभी कुछ समय तक यह वैक्सीन हर साल लगेगा। तो आप 1 साल बाद दूसरी वैक्सीन लगवा सकते हैं। क्योंकि वैक्सीन की इम्यूनिटी 1 साल बाद खत्म हो जाएगी। तब आप दूसरे ब्रांड का वैक्सीन लगवा सकते हैं।

रिसर्च में आया सामने
 
दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर अलग - अलग स्तर पर रिसर्च जारी है। हाल ही में यूके में एक अध्ययन हुआ जिसे लैंसेट में पब्लिश किया गया। शुरुआत में 50 से अधिक उम्र के 830 लोगों पर अध्ययन किया गया है। एस्ट्राजेनेका और फाइजर की अलग - अलग खुराक दी गई। दूसरे डोज के बाद कुछ लोगों में साइड इफेक्ट दिखें। लेकिन वह भी मामूली और कुछ दिन ही।

यूके के बाद स्पेन में भी ट्रायल किया गया। जिसमें लोगों को अलग - अलग वैक्सीन की खुराक दी गई।  वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद लोगों में अधिक प्रभावी एंटीबॉडी पाई गई। साथ ही यह भी देखा की एंटीबॉडी काफी असरदार भी है।