महालक्ष्मीजी की महाआरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय...उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय...तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय...तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय...जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय...तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय...शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय...(
आरती करके शीतलीकरण हेतु जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें, पूजा में सम्मिलित सब लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।)मंत्र-पुष्पांजलि :(
अपने हाथों में पुष्प लेकर निम्न मंत्रों को बोलें) :-ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।स मे कामान् कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।ॐ महालक्ष्म्यै नमः, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि ।(
हाथ में लिए फूल महालक्ष्मी पर चढ़ा दें।)प्रदक्षिणा करें, साष्टांग प्रणाम करें, अब हाथ जोड़कर निम्न क्षमा प्रार्थना बोलें :-
क्षमा प्रार्थना :आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ॥पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥त्वमेव माता च पिता त्वमेवत्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेवत्वमेव सर्वम् मम देवदेव ।पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः ।त्राहि माम् परमेशानि सर्वपापहरा भव ॥अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥पूजन समर्पण :हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-'
ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्री महालक्ष्मीः प्रसीदतुः'(
जल छोड़ दें, प्रणाम करें)विसर्जन :अब हाथ में अक्षत लें (गणेश एवं महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी) प्रतिष्ठित देवताओं को अक्षत छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जन कर्म करें :-यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् ।इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!
॥ श्री महालक्ष्मी पूजन विधि सम्पूर्णम्॥