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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 18 अगस्त 2025 (11:45 IST)

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्‍यतिथि, जानें 5 अनसुनी बातें

Netaji Subhash Chandra Bose
Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त को मनाई जाती है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनके निधन की खबर आई थी। हालांकि, उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है।
 
आइए, जानते हैं उनसे जुड़ी 5 अनसुनी बातें:
1. जीवन परिचय: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। यह माना जाता है कि नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू (अब ताइपेई, ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था। लेकिन इस पर आज भी संदेह है। कई लोग मानते हैं कि वह जीवित थे और वर्षों तक गुप्त रूप से भारत में रहे। उनके निधन से जुड़े रहस्य पर कई आयोग और जांच भी हुई, लेकिन कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला। 
 
2. सिविल सेवा परीक्षा में चौथा स्थान: 1920 में, नेताजी ने इंग्लैंड में भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा दी थी। उन्होंने इसमें चौथा स्थान प्राप्त किया था, जो उस समय एक बड़ी उपलब्धि थी। हालांकि, उन्होंने अंग्रेजों के अधीन काम करने से इनकार कर दिया और इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
 
3. आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना: नेताजी ने जर्मनी में रहते हुए 'आज़ाद हिंद रेडियो' की स्थापना की थी। इस रेडियो के माध्यम से वे भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करते थे। उनके प्रेरणादायक भाषण सीधे बर्लिन से प्रसारित होते थे।
 
4. गांधीजी को 'राष्ट्रपिता' का संबोधन: यह एक बहुत ही कम ज्ञात तथ्य है कि महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' कहकर सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था। 6 जुलाई 1944 को आजाद हिंद रेडियो पर दिए गए एक भाषण में उन्होंने गांधीजी को यह उपाधि दी थी।
 
5. बोस और गांधी : जहां एक ओर नेताजी गांधीजी को सम्मान देते थे, वहीं दूसरी ओर उनके स्वतंत्रता प्राप्त करने के तरीकों से असहमत थे। गांधीजी अहिंसा के मार्ग पर चलते थे, जबकि नेताजी का मानना था कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सैन्य शक्ति और क्रांति आवश्यक है। इसी मतभेद के कारण उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
 
नेताजी का जीवन और उनकी मृत्यु आज भी कई अनसुलझे सवालों से घिरे हैं, लेकिन देश की स्वतंत्रता में उनका योगदान अतुलनीय है।
 
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