मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. पुण्यतिथि
  4. Ahilya Bai Holkar Death Anniversary
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 31 अगस्त 2024 (12:08 IST)

13 अगस्त पुण्‍यतिथि विशेष: कौन थीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर, जानें उनके बारे में

13 अगस्त पुण्‍यतिथि विशेष: कौन थीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर, जानें उनके बारे में - Ahilya Bai Holkar Death Anniversary
Highlights  
 
अहिल्याबाई की पुण्‍यतिथि पर विशेष।
रानी अहिल्याबाई कौन थीं।
मालवा राज्य की पूर्व रानी के बारे में जानें।

Ahilya bai Holkar Punyatithi : 13 अगस्त या‍नि आज महारानी अहिल्याबाई होलकर की पुण्यतिथि है। अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल के दौरान मराठा-मालवा साम्रज्य ने बड़ी-बड़ी विजय प्राप्त की थी। उन्होंने कई सारे हिंदू मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। वे एक बहादुर योद्धा थी। इंदौर शहर को अहिल्या नगरी भी कहा जाता है। रानी अहिल्याबाई का नाम आज भी मालवा क्षेत्र में पूरे अदब से लिया जाता है। 
आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए यहां जानते हैं अहिल्याबाई होलकर के बारे में-
 
जन्म और शिक्षा : अहिल्याबाई का जन्म 31 मई, 1725 को महाराष्ट्र के चैंडी गांव में हुआ था, बचपन से ही उनके मन में दया भाव बहुत अधिक था। उनके पिता का नाम मानको जी शिंदे था। वह धनगर समाज से ताल्लुक रखते थे। वह एक सरपंच थे।

अहिल्याबाई किसी राजघराने परिवार से नहीं थीं। अहिल्याबाई उस जमाने की थी जब लड़कियों के लिए शिक्षा अधिक मायने नहीं रखती थी, ना ही उस दौरान शिक्षा का बहुत अधिक प्रचलन था। लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया। पढाई के साथ उन्हें शस्त्र ज्ञान भी सिखाया।
 
विवाह और जीवन : एक दिन वह मंदिर में गरीबों को भोजन करा रही थी। उसी दौरान मालवा के अधिपति मल्हारराव होलकर की नजर अहिल्याबाई पर पड़ी। उसी वक्त उन्होंने तय कर लिया की यही उनके बेटे खंडेराव होलकर की पत्नी बनेंगी। वर्ष 1733 में अहिल्याबाई का विवाह खंडेराव से हो गया। उस वक्त अहिल्याबाई की उम्र सिर्फ 8 वर्ष थी। खंडेराव अहिल्याबाई से 2 साल बड़े थे। 
 
शादी के बाद अहिल्याबाई महेश्वर आ गई। अहिल्याबाई खुश थी। उनका जीवन अच्छे से बीत रहा था। सन 1745 में उन्हें बेटा हुआ मालेराव होलकर और 1748 में उन्हें बेटी हुई मुक्ताबाई। सन् 1754 में अहिल्याबाई के जीवन में अंधेरा छा गया।

एक युद्ध के दौरान पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हो गए। यह खबर सुनते ही अहिल्याबाई सती हो जाना चाहती थी। लेकिन अहिल्याबाई को उनके ससुर ने रोका और मानसिक तौर पर उन्हें मजबूत किया। वह हर विपरित परिस्थिति में अहिल्याबाई के साथ देते थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण बेटे की मृत्यु हो गई। और कुछ समय बाद ससुर मल्हारराव का भी निधन हो गया। पूरा भार अहिल्याबाई पर आ गया था। लेकिन अहिल्याबाई ने इस भार को भार नहीं बनने दिया और मालवा के शासन की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली।
 
मालवा राज्य की पूर्व रानी : अहिल्याबाई होलकर पर जब यह जिम्मेदारी आई वह तैयार थी लेकिन स्त्री होने के नाते उनकी राह आसान नहीं थी। अत: चारों ओर से उन्हें विरोध की लौ में भी जलना पड़ना लेकिन वह उसमें और अधिक मजबूत बनकर उभरी। और 11 दिसंबर, 1767 को वे स्वयं इंदौर की शासक बन गईं। राज्य में एक तबका था जो उनके विरोध में था लेकिन होलकर सेना हमेशा उनके समर्थन में रहीं। वहीं रानी भी हर लड़ाई में अपनी सेना के साथ ही खड़ी रहीं। 
 
अपनी सेना का नेतृत्व किया, उनका हौंसला बढ़ाया। अपने पंसदीदा हाथी पर चढ़कर युद्ध में उतरी, तीर-कमान से अन्य सेनाओं पर हमला किया। अहिल्याबाई की बहादुरी देखकर समूचे देश में उनकी चर्चा होने लगी। उन्होंने मालवा और प्रजा की रक्षा की। क्षेत्रों को लूटने से बचाया। धीरे-धीरे अहिल्याबाई जिम्मेदारियों का बांटती गई। उन्होंने अपने विश्वसनीय सेनानी सूबेदार तुकोजीराव होलकर को सेना प्रमुख बनाया। अहिल्याबाई को बचपन से ही शस्त्र का ज्ञान और चलाना सीखाया गया। लेकिन इसके साथ वह एक अच्छी रणनीतिकार भी थी।
 
अपनी प्रजा की समस्या के लिए रानी अहिल्याबाई हर दिन एक सार्वजनिक सभा रखती थीं। और जल्द से जल्द प्रजा की समस्या का निवारण करती थी। वह हमेशा अपने राज्य और लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी। 30 साल के शासन में अहिल्याबाई ने एक छोटे से गांव का फलीभूत शहर का विकास किया। आज मालवा क्षेत्र में बनी सड़कें, किले का श्रेय अहिल्याबाई को ही जाता है।
 
निधन : अहिल्याबाई को जीवन में बहुत अधिक दुख नहीं रहा क्योंकि वह उन सभी से उभर पाने में सक्षम रहीं। लेकिन एक बात का मलाल उन्हें हमेशा रहा कि अपनी जमाई की मृत्यु के बाद बेटी सती हो गई थी। रानी अहिल्याबाई का लंबे वक्त तक शासन रहा। और 13 अगस्त 1795 को 70 वर्ष की आयु में अहिल्याबाई होल्कर का निधन हो गया।

मालवा राज्य की पूर्व महारानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर का नाम आज भी भारतीय इतिहास की श्रेष्ठ योद्धा रानियों में बड़े ही गर्व से लिया जाता है। अहिल्याबाई के मृत्यु के पश्चात उनके विश्वसनीय सेना प्रमुख रहें तुकोजीराव होल्कर ने शासन की कमान संभाली। आज भी इंदौर अपनी उस महान और दयालु रानी अहिल्याबाई को अपार सम्मान के साथ याद करते हैं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।