पांडुलिपि, जिसमें छुपा है जीवन का संपूर्ण रहस्य...
इंदौर। प्राचीन और मध्यकाल में हस्तलिखित दस्तावेज बहुत होते थे। उनमें से लाखों तो लुप्त हो गए या जला दिए गए। फिर भी हजारों आज भी किसी लाइब्रेरी, संग्रहालय, आश्रम में या किसी व्यक्ति विशेष के पास सुरक्षित हैं।
ऐसी ही एक हस्तलिखित पांडुलिपि या किताब इंदौर के रहने वाले साधारण से व्यक्ति नरेन्द्र चौहान के पास सुरक्षित है। इस पांडुलिपि या किताब में जीवनोपयोगी संबंधी कई ऐसी चमत्कारिक जानकारियां छुपी हुई हैं जिन्हें आजमाकर आप सफल हो सकते हैं।
पेशे से टेलरिंग का कार्य करने वाले 68 वर्षीय नरेन्द्र चौहान के पास यह पांडुलिपि उनके पिताजी से प्राप्त हुई थी। उनके पिताजी को यह पांडुलिपि कहां से प्राप्त हुई? यह वे नहीं जानते। लेकिन वे यह जरूर कहते हैं कि यह पांडुलिपि सैकड़ों साल पुरानी है और इस पर शोध करने की जरूरत है। उनके अनुसार इस पांडुलिपि की भाषा मराठी, हिन्दी, संस्कृत और मालवी-मिश्रित है और लिपि देवनागरी है।
नरेन्द्रजी बताते हैं कि इस पांडुलिपि में मेरे अनुसार आयुर्वेद की महत्वपूर्ण औषधियों के अलावा सोना, चांदी और तांबा बनाने की विधि है। इसमें 5 से 84 हजार वर्ष तक जीने के अचूक नुस्खे दिए हुए हैं। इसमें हर तरह की गंभीर बीमारी का अचूक और चमत्कारिक इलाज दिया गया है। इसमें तमाम तरह के घरेलू नुस्खे हैं, दवाओं की जानकारी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसमें नक्षत्रों पर आधारित पौधों के संबंध में कुछ ऐसा लिखा गया है जिसके संबंध में शोध किए जाने की जरूरत है।
नरेन्द्रजी से बात करने के बाद हमें भी यह लगा कि मध्ययुगीन इस पांडुलिपि पर शोध किए जाने की जरूरत है। यह पांडुलिपि किसी ऐसे व्यक्ति के पास होना चाहिए, जो आयुर्वेद, रसायनशात्र और खगोलशास्त्र का ज्ञान रखता हो या जिसकी शोधकार्य में रुचि हो। निश्चित ही इस पांडुलिपि में बहुत कुछ लिखा हुआ है।
नरेन्द्रजी बताते हैं कि यह पांडुलिपि भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय के संवाद पर आधारित है। एक पिता अपने पुत्र को संसार का अद्भुत ज्ञान दे रहा है। इस पांडुलिपि में लगभग 131 पन्ने हैं। हर पन्ने पर एक चौपाई जैसा लिखा हुआ है।
चौपाई मानें तो हर चौपाई में एक नुस्खा, रहस्य, विधि या अन्य किसी बातों के बारे में उल्लेख मिलता है। वीडियो को देखकर आप और भी अच्छे से समझ पाएंगे कि आखिर इस पांडुलिपि में क्या है?