बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. Indore mill tableaus not allowed in Coronavirus period
Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला
Last Updated : बुधवार, 26 अगस्त 2020 (17:21 IST)

Corona Effect: इंदौर में इस बार नहीं झिलमिलाएंगी झांकियां, टूट जाएगी 100 साल पुरानी परंपरा

Corona Effect: इंदौर में इस बार नहीं झिलमिलाएंगी झांकियां, टूट जाएगी 100 साल पुरानी परंपरा - Indore mill tableaus not allowed in Coronavirus period
एक वक्त था जब इंदौर में मिलों की चिमनियों से उठता धुआं अंधकार का नहीं बल्कि जीवन का प्रतीक हुआ करता था। मिलों में बजने वाला भोंगा शोर नहीं संगीत के मानिंद लगता था। इसी सीटी को सुनकर लोग आंखें खोलते थे, अपनी बंद घड़ियों की सुइयां मिलाते थे। वक्त ने करवट बदली और शहर की जीवन रेखा समझी जाने वाली मिलें एक-एक कर बंद हो गईं और बंद हो गया आसमान को चुनौती देता चिमनियों से उठता धुआं। 
 
मां अहिल्या की नगरी इंदौर में इन्हीं मिलों से शुरू हुई थी झांकियों की परंपरा। दूर-दूर से लोग इंदौर की झांकियां देखने आया करते थे। मिलें बंद होने का असर इस वर्षों पुरानी परंपरा पर भी पड़ा। जैसे-तैसे झांकियां तो निकलती रहीं, लेकिन पहले-सा उत्साह नहीं रहा। लेकिन, विषम परिस्थितियों में भी आपसी सहयोग और समन्वय से झांकियां निकलती रहीं। इस बार कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते करीब 100 वर्ष पुरानी यह परंपरा टूटने जा रही है। 
 
पिछले दिनों मिलों की गणेशोत्सव समितियों ने संयुक्त रूप से शासन-प्रशासन को आवेदन देकर इंदौर की पहचान झांकियों की परंपरा को जीवित रखने के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन कोरोना महामारी के भय से प्रशासन ने इस बार झांकी निकालने की अनुमति नहीं दी है।
 
हुकुमचंद मिल गणेशोत्सव समिति के प्रधानमंत्री नरेन्द्र श्रीवंश कहते हैं कि गणेश पूजा की शुरुआत तो 1914 में मिल की शुरुआत के साथ ही हो गई थी, लेकिन पहली झांकी 1924 में निकाली गई। तब झांकी लालटैन की मदद से बैलगाड़ी पर किशनपुरा पुल तक निकाली गई थी। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौर में भी झां‍कियां निकली थीं। 1996 में भारी बारिश भी झांकियों को नहीं रोक पाई थी। तब रात 2 बजे झांकियां निकाली गई थीं। वहीं, स्वगत अध्यक्ष प्रतिभानसिंह बुंदेला कहते हैं कि भले ही झांकियां न निकलें लेकिन हम अपनी परंपरा का पालन करेंगे। मिल परिसर में ही गणेश स्थापना कर भजन-कीर्तन, रामायण पाठ आदि करेंगे। उन्होंने मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मजदूरों की बकाया राशि दिलवाने की भी मांग की। 
मालवा मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश कुशवाह कहते हैं कि हमने इस मामले में प्रशासन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, सज्जनसिंह वर्मा आदि सभी आग्रह किया है। इस परंपरा को जीवित रखने के लिए एक-एक झांकी मिल परिसरों में ही रख दी जाए और लोगों को ऑनलाइन दिखाई जाएं। उन्होंने कहा कि मिल की गणेशोत्सव समितियों को नगर निगम और आईडीए द्वारा आर्थिक मदद भी दी जाए। 
 
कल्याण मिल समिति के अध्यक्ष हरनाम सिंह धारीवाल कहते हैं कि 84 साल से लगातार झांकी निकल रही है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। हमारा आग्रह है कि आयोजन का स्वरूप छोटा कर दिया जाए, लेकिन परंपरा को कायम रखा जाए। वहीं, महामंत्री देवीसिंह सेंगर ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब देशभर में दूसरे बड़े आयोजन रहे हैं तो वर्षों पुरानी इस परंपरा पर रोक क्यों? इससे तो लोगों को रोजगार भी मिलता है। 
राजकुमार मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश सिंह ठाकुर झांकियां नहीं निकलने से निराश हैं। उन्होंने कहा कि झांकियां इंदौर की पहचान रही हैं। हमने प्रशासन, सांसद, विधायक, आईडीए आदि सभी से आग्रह किया था कि एक झांकी निकालने की अनुमति दें। हम सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए झांकियां निकालेंगे। झांकियों पर रोक से कलाकार भी निराश हैं क्योंकि उन्हें भी इससे रोजगार मिलता था।
 
इसी तरह स्वदेशी मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल मरमट का कहना है कि इस बार गणेशोत्सव का 90वां साल है। हम चाहते हैं कि इस परंपरा को बरकरार रहना चाहिए। कोषाध्यक्ष हीरालाल वर्मा कहते हैं कि मिल बंद होने के बाद भी मजदूरों ने आपसी सहयोग से परंपरा को कायम रखा, लेकिन इस बार झांकी नहीं निकलेगी, काफी दुखद है। (फोटो : धर्मेन्द्र सांगले)