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Last Modified: बुधवार, 25 नवंबर 2020 (16:48 IST)

कोरोनावायरस को लेकर सामने आई IIT Bombay की चौंकाने वाली रिपोर्ट

कोरोनावायरस को लेकर सामने आई IIT Bombay की चौंकाने वाली रिपोर्ट - COVID-19 Virus Survives On Surfaces Within Thin Films: IIT Bombay Study
मुंबई। आईआईटी-बंबई (IIT Bombay) के अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) पतली तरल परतों से चिपककर सतह पर जीवित बना रहता है। इससे इस बारे में जानकारी मिलती है कि दुनियाभर के लिए ‘जी का जंजाल’ बना यह घातक विषाणु ठोस सतहों पर कई घंटे और कई दिन तक कैसे अस्तित्व में बना रहता है।
अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका ‘फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स’ में प्रकाशित हुई है। इसमें नए कोरोनावायरस के लंबे समय तक जीवित बने रहने के कारकों संबंधी जानकारी दी गई है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि विभिन्न सतहों पर कोरोनावायरस के जीवित बने रहने संबंधी जानकारी कोविड-19 पर कंट्रोल में मदद कर सकती है। 
 
उन्होंने कहा कि हालिया प्रयोगों में पाया गया है कि सांस के जरिए निकले सामान्य कण जहां कुछ सेकंड के भीतर सूख जाते हैं, वहीं सार्स-कोव-2 वायरस के अस्तित्व में रहने का मामला घंटों के क्रम से जुड़ा है।
 
अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि किस तरह नैनोमीटर- तरल परत ‘लंदन वान डेर वाल्स फोर्स’ की वजह से सतह से चिपकती है और इसी कारक की वजह से कोरोनावायरस घंटों तक जीवित रह पाता है। 
 
‘लंदन वान डेर वाल्स फोर्स’ परमाणुओं और अणुओं के बीच दूरी निर्भरता प्रतिक्रिया है जिसका नाम डच वैज्ञानिक जोहनेस डिडेरिक वान डेर वाल्स के नाम पर रखा गया है। बल के इस सिद्धांत में परमाणुओं, अणुओं, सतहों और अन्य अंतर-आण्विक बलों के बीच आकर्षण-विकर्षण शामिल है।
 
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने कहा कि पतली परत संचरण का हमारा मॉडल दिखाता है कि सतह पर पतली तरल परत का मौजूद बना रहना या सूखना घंटों और दिनों के क्रम पर निर्भर है जो विषाणु सांद्रण के मापन के समान ही रहा है। (भाषा)
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