Webdunia Night Reporter : रात के सन्नाटे में भी मुस्तैद हैं कोरोना योद्धा, पुलिस का ऐसा चेहरा नहीं देखा होगा कभी..
इंदौर। समय : रात करीब 10 बजे। स्थान : अरबिन्दो अस्पताल के निकट का चौराहा। चारों ओर दूर तक पसरा सन्नाटा। कभी-कभी एक-दो वाहनों या एम्बुलेंस की आवाज रात्रि की इस नीरवता को भंग कर रही थी। ड्यूटी पर मुस्तैद पुलिसकर्मी इन वाहनों को रोककर उनसे रात में घूमने का कारण पूछ रहे थे और संतुष्ट होने के बाद ही वे उन्हें जाने दे रहे थे।
वैसे तो इंदौर की सड़कों को पर रात 10 बजे इस स्थिति (सन्नाटे की) की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन कोरोना (Corona) काल में रातें अभूतपूर्व रूप से शांत हैं। तभी हमारी नजर रोशनी से नहाए चौराहे के एक कोने में खड़े पुलिसकर्मी पर पड़ी। डंडा हाथ में लिए वह पूरी सतर्कता के साथ खड़ा हुआ था।
हम उसके पास पहुंचे और उससे सवाल कर दिया। संभवत: इसके लिए वह तैयार नहीं था न ही उसे उम्मीद थी कि हम उससे कोई प्रश्न करेंगे। लेकिन, हमने सहज ही पूछ लिया ड्यूटी कैसी चल रही है? थोड़ा अचकचाते हुए उसने कहा कि ड्यूटी तो बढ़िया चल रही है, लेकिन लोग तरह-तरह के बहाने बनाकर लॉकडाउन तोड़ने की कोशिश करते हैं। कोई दवाई का पर्चा ले आता है तो कोई किसी कंपनी या फैक्टरी का पास। ऐसे में हम फैसला नहीं कर पाते कि व्यक्ति सही बोल रहा है या गलत।
जवान ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए हम रोज यूनिफॉर्म बदलते हैं। हमारे लिए लॉज में रहने की व्यवस्था की गई है। उसे इस बात का संतोष था कि ड्यूटी 8 घंटे ही रखी गई है। इसका श्रेय उसने आईजी विवेक शर्मा को दिया और कहा कि वे पुलिसकर्मियों का खास ध्यान रखते हैं।
यहां से रवाना होकर हम बाणगंगा, सदर बाजार होते हुए राजवाड़ा पहुंचे। इस बीच में हमें कोई पुलिसकर्मी नहीं मिला। कहीं-कहीं समूहों में घूमते हुए लोग जरूर नजर आए। करीब 11 बजे का वक्त हो चुका था। राजवाड़ा क्षेत्र में जरूर 8-10 पुलिसकर्मी नजर आए।
यहां मौजूद एक पुलिसकर्मी से हमने वही सवाल दोहराया। उसने कहा- सर! कोरोना के दौर में भी हम जो 8 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, वह आईजी विवेक शर्मा साहब की वजह से है। अन्यथा 12-16 घंटे की ड्यूटी मामूली बात होती है। आईजी साहब जवानों का खास ध्यान रखते हैं। वे रोज 11 बजे वायरलेस पर सभी मोटिवेट करते हैं। सभी की समस्याओं के बारे में भी जानते हैं।
जवान ने कहा कि मोटिवेशन के चलते ड्यूटी में हम किसी भी तरह का तनाव महसूस नहीं कर रहे हैं। इस दौरान हमारे परिवार का भी खास ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि हम रोज घर जाने से बचते हैं क्योंकि हमें इस बात का डर है कि कहीं हमारी वजह से जाने-अंजाने में परिजन संक्रमित न हो जाएं। जब हमने जवान से नाम पूछा तो मुस्कराते हुए उसने इंकार कर दिया।
आपको बता दें कि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान ही एक दिन पुलिसकर्मियों के वायरलेस सेट पर आईजी विवेक शर्मा की आवाज गूंजी थी। आईजी ने पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए 'हम होंगे कामयाब एक दिन, पूरा है विश्वास, मन में है विश्वास...' गाया था। उन्होंने COP शब्द को परिभाषित करते हुए कहा था कि CO-P यानी कोरोना पुलिस। वे रोज 11 बजे वायरलेस पर पुलिसकर्मियों को मोटिवेट करते हैं, उनकी समस्याओं के बारे में भी उनसे फीडबैक लेते हैं। शायद यही कारण है कि जवानों पर उसका सकारात्मक असर भी दिख रहा है। (फोटो : धर्मेन्द्र सांगले)