आज कॉफी का व्यवसाय न सिर्फ भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि भारतीय व्यवसाय के बदलते स्वरूप की भी परिचायक मानी जाती है। देश के दक्षिणी हिस्से में पैदा होने वाले इस पौधे की मुख्य पैदावार कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में होती है। गौरतलब है कि इस पैदावार का केवल पाँचवाँ भाग ही भारत के घरेलू बाजार में उतरता है, जबकि बाकी सारा उत्पादन दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। भारत में कॉफी के उत्पादन का अधिकांश भाग सोवियत संघ, जर्मनी, इटली तथा अमेरिका को निर्यात किया जाता है। कॉफी निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ कॉफी बोर्ड का दूसरा ध्येय भारत में कॉफी व्यवसाय को भी बढ़ावा देना है। इसके लिए बोर्ड तीन चरणों का अनुकरण कर रहा है- कॉफी चेन को बढ़ावा, वेंडिंग मशीनों का प्रयोग व 'रेडी टू ड्रिंक' उत्पादों में वृद्धि।
भारत में मध्य-वर्गीय जीवनशैली के विस्तार को देखते हुए वर्तमान में कॉफी व्यवसायियों का ध्यान व्यावसायिक कॉफी हाउस व कॉफी चेन पर विशेष रूप से है। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार दिसंबर 2008 तक भारत में करीब 1,135 अधिकृत कैफे हो जाएँगे। कॉफी बोर्ड का मुख्य ध्येय 2012 तक कॉफी की खपत में 50 फीसदी तक वृद्धि करना है।