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children's day poem: बच्चा सरकार बनाने दो

children's day poem: बच्चा सरकार बनाने दो - Childrens Day 2019 poem
-डॉ. राज सक्सेना
 
पप्पू सोया देखा सपना,
जो सोचा वह हो जाने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
संसद में सांसद चुन केवल
दस तक के बच्चे जाएंगे।
इस श्वान युद्ध से बचें सदा,
संसद को ठीक से चलाएंगे।
 
जो शोर करेंगे संसद में,
उनको वापस घर जाने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
हो राष्ट्रपति केवल बच्चे,
बच्चे अफसर बन पाएंगे।
बच्चे फौजों के जनरल हों,
बच्चे ही रेल चलाएंगे।
 
बच्चे ही उड़ाएं सब विमान,
बच्चों को टैंक चलाने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
सरकार बना सबसे पहले,
जारी ये हुक्म किए जाएं।
जो रहे पीटते वे शिक्षक
सेवानिवृत्ति ले घर जाएं।
 
उनकी जगहों पर मां जैसी,
शिक्षिका हमें ले आने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
पिताजी सोते हैं जब दस तक
क्यों वे हमें पर उठाते हैं
 
जल्दी-जल्दी तैयार करा
बस में जाकर बैठाते हैं।
 
फिर लौट पलंग पर गिरते हैं
खर्राटे उन्हें बजाने दो,
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
जो बच्चा जब भी जी चाहे,
विद्यालय में पढ़ने जाए।
पढ़ने से जी जब ऊब उठे,
इन्डोर गेम्स में घुस जाए।
 
सेहत भी बहुत जरूरी अब,
अच्‍छा सा स्वास्थ्य बनाने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
संदर्भ हेतु पुस्तक ले सब,
जब न्यायालय तक जाते हैं
हम पर यह अत्याचार नहीं?
हमसे रट्टा लगवाते हैं।
 
पुस्तक लेकर हमको भी अब,
भवन परीक्षा जाने दो।
नियमों में कर दो फेरबदल,
बच्चा सरकार बनाने दो।
 
जब उठे सुनो टूटा सपना
देखा बापू उर लगा रहे।
गुस्सा आया अपने ऊपर
हम कैसे सपना सजा रहे।
 
बच्चों के हित मां-बापों को,
अपने विवेक पर जाने दो।
है यही व्यवस्था सर्वोचित,
इसको ही चलता जाने दो।