खरसिया फिर सुर्खियों में, पूर्व आईएएस ओपी चौधरी लड़ सकते हैं चुनाव
राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से खरसिया से टिकट मिलने के पक्के आश्वासन के बाद ही आईएएस की नौकरी से चौधरी ने इस्तीफा दिया है। भाजपा को कांग्रेस के इस अभेद गढ़ को चौधरी के बूते पर जीतने का पूरा विश्वास है। इस सीट पर वे नौकरी में रहते हुए भी सामाजिक एवं अन्य कार्यक्रमों के जरिए वर्षों से काफी सक्रिय रहे हैं।
इस सीट पर अर्जुनसिंह के बाद नंदेली गांव के सरपंच रहे स्व. नंदकुमार पटेल ने 1990 से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और वे 2013 तक विधायक एवं अविभाजित मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के गठन के बाद भी कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे। 2013 में बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर किए गए हमले में वे मारे गए। इसके बाद उनके पुत्र उमेश पटेल को 2013 में कांग्रेस ने मैदान में उतारा जिन्होंने भारी मतों से जीत अर्जित की थी।
कांग्रेस से मौजूदा विधायक उमेश पटेल को टिकट मिलना तय है लेकिन भाजपा से चौधरी के उतरने के स्पष्ट संकेत मिलने के बाद वे प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर होने के बाद भी क्षेत्र छोड़कर कहीं जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। उन्होंने पार्टी को चुनाव तक अध्यक्ष पद के दायित्व से मुक्त रखने का अनुरोध भी कर दिया है। पार्टी ने इसके मद्देनजर 2 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है।
इस सीट पर चुनावी मुकाबला इस कारण भी काफी रोचक रहने की संभावना है कि कांग्रेस विधायक उमेश पटेल एवं ओपी चौधरी दोनों ही पिछड़े वर्ग के अघरिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस सीट पर चौधरी चुनाव लड़ते हैं, तो जाहिर तौर पर न सिर्फ अघरिया समाज के वोटरों का बंटवारा होगा बल्कि आदिवासी वोटरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ये माना जा रहा है कि आदिवासी वोटर जिनके साथ होंगे जीत उसी की होगी। इस बात का अंदाजा दोनों ही पार्टियों को है। इसी कारण पटेल एवं चौधरी का जनसंपर्क अभी से आदिवासी बाहुल क्षेत्रों में चल रहा है। (वार्ता)