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Written By WD
Last Modified: शनिवार, 26 सितम्बर 2009 (17:01 IST)

नासा की खोज और तेज होगी

नासा की खोज और तेज होगी -
-वेबदुनिया डेस्क
कहा जाता है कि जल ही जीवन है तो चाँद पर पानी के अणुओं की मौजूदगी ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी-नासा-को भी इस दिशा में और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इस जानकारी के साथ ही इस बात की संभावना भी बढ़ गई है कि अमेरिका चाँद पर मानव बस्तियों को बसाने की योजना बना सकता है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक नया कदम बढ़ाया है। करीब दो हफ्ते बाद 9 अक्टूबर को नासा का प्रोब चाँद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से टकराएगा। इससे यह पता लगाया जाएगा कि क्या चंद्रमा की सतह के नीचे बर्फ मौजूद है और अगर है तो इससे वैज्ञानिकों का पानी खोजने का काम और आसान हो जाएगा।

इंग्लैंड की किंग्सटन विश्वविद्यालय में एस्ट्रोनॉमिक्स और स्पेस सिस्टम विशेषज्ञ डॉ. क्रिस वेल्स का कहना है कि चाँद पर ज्यादा पानी की संभावना से लोगों के वहाँ रहने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन अंतरिक्ष में पानी ले जाना बहुत कठिन होगा। इसलिए चंद्रमा पर मिलने वाले पानी को ही पीने योग्य बना लिया जाए तो यह बेहतर विकल्प होगा।

इतना ही नहीं, चाँद पर पाए जाने वाले दो अवयवों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग भी रॉकेट प्रोपेलेंट के तौर पर किया जा सकता है। साथ ही ऑक्सीजन का उपयोग वहाँ पहुँचने वाले वैज्ञानिकों को साँस लेने के लिए भी किया जा सकता है।

सौर हवाओं में भी पानी के कणों के बारे में डॉ. वेल्स कहती हैं कि चाँद पर पानी के कणों की मौजूदगी सौर हवाओं के कारण भी हो सकती है। ये हवाएँ सूर्य से लगातार निकलती रहती हैं। चाँद के सतह पर कोई चुंबकीय क्षेत्र न होने से या वायुमंडल से किसी तरह का कोई प्रतिरोध न होने के कारण ये हवाएँ सीधी चंद्रमा की सतह से टकराती हैं।

यह हवा चंद्रमा की सतह पर रासायनिक क्रिया के लिए सहायक होती है और ऑक्सीजन के परमाणु, हाइड्रोजन के साथ मिलकर पानी या हाइड्रोक्सिल (एचओ) के अणु बनाते हैं। पहले लगाए गए अनुमानों के तहत चाँद पर काफी मात्रा में पानी (बर्फ) के रूप में मौजूद है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि चाँद+सूरज मिलकर पानी बनाते हैं। इसके पीछे परिकल्पना है कि चार्जर्ड हाइड्रोजन के कण सूरज की रोशनी से विखंडित हो जाते हैं जो कि चाँद की धरती पर मौजूद ऑक्सीजन रखने वाले खनिजों के साथ प्रतिक्रिया कर पानी, भाप के कण बनाते हैं।

नौ अक्टूबर को नासा का एलसीओडबलएस (ल्यूनार क्रेटर ऑबर्जवेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट ) मिशन एक बड़े क्रेटर से टकराएगा और उम्मीद की जाती है कि स‍‍‍तह के अंदर पानी दिखेगा। मैरीलैंड की एप्लाइड फिजिक्स लैब की प्लेनेटरी साइंटिस्ट डाना हर्ली का कहना है कि पानी की खोज हमारी पहेली का एक भाग है और हमें लगता है कि पहेली के बहुत से भाग अभी भी हमें मिले नहीं हैं।

पर उम्मीद की जाती है कि इस पहेली की गायब कडि़याँ मिल जाएँगी और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को न केवल चाँद पर वरन मंगल और बृहस्पति पर भी पानी नजर आ सकेगा और इनसानी क्रियाकलापों का दायरा दूसरे ग्रहों तक फैल जाएगा।

वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्म कहे जाने बृहस्पति पर भी उन्हें पानी की भाप देखने को मिली है। प्लेनेट एचडी 189733 बी पर भी पानी पाए जाने के संकेत मिले हैं। कुछ ऐसी ही संभावना एचडी 209458 बी के बारे में भी जाहिर की गई है जिससे यह संकेत मिलते हैं कि पानी की संभावना हमारे सोलर सिस्टम, एक्सोप्लेनेट्‍स, के बाहर पाए जाने वाले ग्रहों में भी है।

इसी तरह मंगल ग्रह पर भी पानी की संभावनाएँ नजर आती हैं और इनके जीवन हितैषी होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि नौ माह पहले नासा के मार्स रिकनिसांस ऑर्बिटर (एमआरओ) ने इस ग्रह पर बहुत अधिक मात्रा में पानी पाए जाने की संभावना जगाई थी लेकिन बाद में नई खोजों से जाहिर हुआ कि यह वास्तव में पानी के नहीं वरन धूलभरी आँधियों के संकेत थे। पर ग्रह के ठंडे स्थानों पर बर्फ या पानी के पाए जाने की संभावना अभी भी बनी हुई है।