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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

प्रणब राष्ट्रपति तो देश को कोई लाभ नहीं

प्रणब मुखर्जी
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राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया लगभग प्रणबदा के नाम की घोषणा से समाप्त-सी नजर आ रही है। उनका लगभग राष्ट्रपति बनना तय ही है, यदि राजग कोई फैसला ना लें व उम्मीदवार के रूप में कलाम साहब को ना उतारे तो सर्वसम्मति से ही प्रणब मुखर्जी होंगे अगले राष्ट्रपति।

अब देखना यह है कि प्रणबदा अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो क्या देश को लाभ मिलेगा या सोनिया की ही वफादारी में रहेंगे।

जन्मकुंडली के अनुसार प्रणबदा का जन्म 11 दिसंबर 1935 को बंगाल के विरभूम जिला स्थित मराती गांव में एक ब्राह्मण परिवार में मिथुन चंद्र लग्न में हुआ।

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आपकी पत्रिकानुसार मिथुन चंद्र लग्न से वर्तमान की स्थिति का जायजा लिया जाता है कि अभी समय कैसा है व आगे का परिदृश्य कैसा होगा।

पत्रिका में राशि स्वामी व चतुर्थ भाव का स्वामी बुध षष्ट भाव में है। वहीं दशम भाव का स्वामी भी षष्ट में पराक्रमेश सूर्य के साथ है। अत: यदि कोई आपके विरुद्ध उतरता है, तो आपको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और यदि आप निर्विरोध चुने जाते हैं, तब भी आपको आने वाले समय में काफी चुनौतियों का सामना करना होगा।

किसी भी पत्रिका में जब चंद्र-केतु के साथ होते हैं, तो मन को कहीं ना कहीं अशांत करता ही है। राहु भी गुरु की राशि धनु में नीच का है, अतः यह आपकी निर्णय क्षमता को बहकाएगा एवं सही नीति पर लगाम लगाने की भी कोशिश करेगा।

गुरु, सूर्य-बुध-मंगल की राशि में है, वहीं मंगल उच्च का होकर राशि लग्न से अष्टम में है, जो बीच का रास्ता ही निकालने का रहेगा। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि राष्ट्रपति पद कमजोर नहीं होता, ना ही रबर स्टेम्प होता है। अत: जो भी फैसला लें। सोच-समझ कर लें।