अपने रहने या काम करने की जगह को संवारने का शौक तो कई लोगों को होता है, लेकिन दूसरों के लिए भी व्यावसायिकता के साथ यह काम करते हुए करियर की नींव रखी जा सकती है। डिजाइनिंग कलात्मकता और सृजन का मिला-जुला रूप है।
इंटीरियर डिजाइनिंग का अर्थ मकान, दुकान, ऑफिस, शोरूम, होटल, एयरपोर्ट, एग्जीबिशन हॉल, कांफ्रेंस सेंटर, थिएटर, टीवी व फिल्म स्टूडियो और दूसरी व्यावसायिक जगहों को सुंदर, व्यवस्थित व कलात्मक तरीके से सजाना है। ग्राहक के सीमित बजट में मन माफिक काम करके देना, इस व्यवसाय की मांग है। पिछले कुछ वर्षो में ही लोगों की इंटीरियर डिजाइनिंग में रुचि बढ़ी है।
बढ़ रही है माँग वैश्वीकरण के साथ देश में पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव ब़ढ़ रहा है। इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के देश में आने से कार्यालयों का लुक पूरी तरह से बदल गया है। ये कंपनियां अपने दफ्तरों की अंदरूनी साज-सज्जा को खासी अहमियत देती हैं, जिसे काम के मुताबिक डिजाइन किया जाता है। इनकी देखादेखी भारतीय कार्पोरेट कंपनियां भी इसी ट्रेंड पर चल रही हैं। लोगों में वर्क प्लेस के साथ पर्सनल प्लेस को भी खूबसूरत बनाने की हो़ड़ मची हुई है। इन तमाम बातों के चलते इंटीरियर डिजाइनिंग का व्यवसाय आजकल बहुत मांग वाला हो चला है।
विशेषज्ञता जरूरी ज्यादातर इंटीरियर डिजाइनर किसी न किसी विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं, जैसे कुछ अपनी विशेषज्ञता बिजनेस डिजाइन में प्रदर्शित करते हैं, तो कुछ किसी विशेष कक्ष जैसे ड्राइंगरूम, बेडरूम, किचन, किड्स रूम या बाथरूम की डिजाइन में माहिर होते हैं। ग्राहकों की रुचि, बजट तथा जरूरत के मुताबिक इंटीरियर डिजाइनर आंतरिक निर्माण की ड्राइंग और विशिष्टताएँ तैयार करता है।
इसमें दीवार, फर्श, छत की पसंद तथा सजावट, फर्नीचर और अन्य अंदरूनी समान की जमावट, विंडो ट्रीटमेंट, लाइटिंग, विजुअल और साउंड इफेक्ट्स पर नियंत्रण आदि शामिल है।
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क्या हैं योग्यताएँ? रचनात्मक अभिरुचि वाले युवाओं के लिए इंटीरियर डिजाइनिंग एक बहुत ही अच्छा करियर विकल्प है। एक अच्छा और सफल इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए कई तरह के कौशल की जरूरत होती है। इनमें से कुछ कौशल या कलाएँ अंतर्निहित होती हैं, तो कुछ कौशल प़ढ़ाई और प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं।
इनमें से कुछ कौशल ऐसे हैं, जो आपके व्यक्तित्व में होने चाहिए, वे हैं-उत्कृष्ट डिजाइन बोध, गहन पर्यवेक्षण, सूक्ष्म दृष्टि, अच्छी टीम निर्माण क्षमता, अच्छा समन्वयन ज्ञान, समय प्रबंधन का अच्छा कौशल तथा धैर्य। इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में कुछ बुनियादी ज्ञान और निर्देशों की जानकारी अपेक्षित है।
12वीं पास होना जरूरी इंटीरियर डिजाइनिंग के विभिन्ना कोर्सों में प्रवेश हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उर्त्तीण होना आवश्यक है। विज्ञान समूह से बारहवीं उत्तीर्ण छात्र इंटीरियर डिजाइनिंग के डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा किसी भी विषय में बारहवीं करने वाले छात्र इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं।
अवसरों की नहीं कमी जिस तरह से इन दिनों रीयल एस्टेट, प्रापर्टी और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का जबर्दस्त दौर चल रहा है, इसे देखते हुए इंटीरियर डिजाइनरों के लिए बहुत संभावनाएँ हैं। वे चाहें तो स्थापित इंटीरियर डिजाइनर संस्थान, आर्किटेक्ट फर्म या कंसल्टेसी फर्मों या बिल्डर,कॉन्ट्रेक्टर के साथ काम कर सकते हैं। वे बड़ी होटलों, हॉस्पिटल, शॉपिंग मॉल या डिजाइन स्टूडियो और फर्नीचर स्टोर्स में डिजाइन कंसल्टेंट के रूप में भी काम कर सकते हैं।
इंटीरियर डिजाइनर थिएटरों में सेट डिजाइनर का दायित्व निभा सकते हैं या ड्रामा प्रोडक्शन और म्यूजिकल शो में सेट बना सकते हैं। नई संरचनाओं के अलावा इंटीरियर डिजाइनर्स मौजूदा संरचनाओं के नवीनीकरण, विस्तार या पुनरुद्वार का काम कर सकते हैं। इंटीरियर डिजाइनर्स की आय उनके डिजाइनिंग कार्य पर निर्भर करती है।
फिर भी शुरुआती वेतन 10 से 25 हजार रुपए मासिक होता है, जो अनुभव बढ़ने के साथ-साथ बढ़कर 40 हजार से एक लाख रुपए मासिक तक हो सकता है।