• Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. kill fil review in hindi starring lakshya
Last Updated : शुक्रवार, 5 जुलाई 2024 (18:52 IST)

Kill movie review: खून के कीचड़ से सनी सिंगल लोकेशन थ्रिलर किल

Kill movie review खून के कीचड़ से सनी सिंगल लोकेशन थ्रिलर किल - kill fil review in hindi starring lakshya
एक्शन मूवी के हार्डकोर फैंस कोरियाई एक्शन मूवी को इसलिए पसंद करते हैं कि वे सिर्फ एक ट्रैक पर चलती हैं और उनमें जबरदस्त खून-खराबा होता है। अमेरिकी एक्शन थ्रिलर फिल्मों की सीरिज 'जॉन विक' भी इसी कैटेगरी में आती है। इसी राह पर चलते हुए निखिल नागेश भट ने 'किल' फिल्म बनाई है जो खून-खराबे से लबरेज है। 
 
आर्मी कमांडो अमृत (लक्ष्य) रांची से दिल्ली अपनी प्रेमिका तुलिका (तान्या मनिकतल) के साथ ट्रेन में जा रहा है और ट्रेन में यात्रियों को लुटने आए चार-पांच दर्जन लुटेरों से उसकी लड़ाई होती है। इस सिंगल लाइन स्टोरी पर एक्शन फिल्म को तेज गति से दौड़ा कर 106 मिनटों में समेटा गया है।
 
रेल तेज स्पीड से भागती रहती है और अमृत तथा फनी (राघव जुयाल) की गैंग में जबरदस्त लड़ाई चलती रहती है। 
 
'किल' में हिंसा को बेहद क्रूर तरीके से दिखाया गया है। चाकू, छुरे, हथौड़े, चेन, फरसे जैसे नुकीले और तीखे हथियारों के जरिये इंसानों को गाजर-मूली की तरह काटा गया है। गर्दन और जबड़े काटने से लेकर पेट फाड़ने और सिर को कुचल-कुचल कर कीमा बनाने जैसे दृश्यों से फिल्म पटी पड़ी है। 
 
निर्देशक और लेखक निखिल नागेश भट का सिर्फ एक लक्ष्य रहा है कि हर फ्रेम में एक्शन दिखाया जाए और एक्शन लवर्स को ध्यान में रख कर उन्होंने फिल्म बनाई है।
 
'किल' देखते समय कई विदेशी फिल्में आपको याद आएंगी, लेकिन हिंदी फिल्म में इस तरह का यह प्रयास संभवत: पहला है। 
 
नागेश ने हीरो को कमांडो बता कर किरदार को विश्वसनीय बना दिया है कि यह अकेला कई से मुकाबला कर सकता है। रफ-टफ है इसलिए चाकू-छुरों के कई वार झेल सकता है। लेकिन स्क्रीनप्ले में उन्होंने कुछ कमियों पर ध्यान नहीं दिया। 

 
जैसे- चलती ट्रेन में हिंसा का तांडव मचता है, लेकिन कोई रेल को रोकने का प्रयास नहीं करता। माना कि लुटेरों ने मोबाइल नेटवर्क को जाम कर दिया था, लेकिन अन्य प्रयास तो संभव थे। बीच में किसी भी स्टेशन पर ट्रेन रूकती ही नहीं है। हीरो जो कि बेहद होशियार है, बोगी को अलग कर सकता था। रेलवे पुलिस और टीसी, सपोर्टिंग स्टाफ, ट्रेन में नदारद रहता है और आखिर में तब आता है जब मामला खत्म होने की कगार पर रहता है।
 
फिल्म देखते समय ये सवाल थोड़ा परेशान करते हैं, लेकिन नागेश ने जिस दर्शक वर्ग के लिए यह फिल्म बनाई है उसे एक्शन का इतना भारी-भरकम डोज दिया है कि उसके नशे में वो दर्शक वर्ग इन बातों को ज्यादा महत्व नहीं देता है।
 
कहानी में थोड़ा इमोशन का तत्व डाला जाता तो एक्शन ज्यादा स्वाभाविक लगता, हालांकि हीरो के गुस्से के पीछे जो वजह बताई गई है वो बेहद ठोस है, लेकिन उसे असरदायक तरीके से पेश करने में निर्देशक थोड़ा चूक गए हैं।  
 
इंटरवल के बाद जिस तरह से फिल्म को दौड़ाया गया है वो शानदार है। यहां से एक्शन फ्रंट सीट पर है और एक्शन डायरेक्टर परवेज शेख और सी यंग ओ ने कमान संभाल ली। रेल की बोगी में सीमित जगह रहती है, बावजूद इसके दोनों एक्शन डायरेक्टर्स ने कमाल के स्टंट सीन रचे हैं।
 
कमजोर दिल या एक्शन को नापसंद करने वाले तो इस तरह के दृश्यों को शायद ही बर्दाश्त कर पाएं, लेकिन फिल्मों में मारकाट पसंद करने वालों को ये एक्शन सीन बेहद पसंद आएंगे। 
 
किरदारों की सोच में एक दिलचस्प यू-टर्न को फिल्म में अच्छी तरह से अंडरलाइन किया गया है जब रक्षक बना अमृत, राक्षस बन जाता है और सामने वाली गैंग को बुरी तरह मारता है। उसका यह रूप देख कर गैंग का सीनियर लीडर सिद्धांतों की बात करने लगता है। 
 
निखिल नागेश भट ने फिल्म को फालतू की बातों से दूर रखा, फिल्म की लंबाई पर नियंत्रण रखा और उनके दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट थी कि वे क्या बना रहे हैं और उस पर वे डटे रहे। विदेश में इस तरह की बनने वाली  एक्शन फिल्मों को उन्होंने जवाब देने की कोशिश की है कि बॉलीवुड में भी इस तरह की फिल्म बनाई जा सकती है। 
 
एक सिंगल लोकेशन थ्रिलर बनाना आसान नहीं होता, लेकिन बतौर निर्देशक वे दर्शकों पर अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहे। लेखक के रूप में वे और बेहतर हो सकते थे। 
 
सिनेमैटोग्राफर राफे महमूद ने शानदार तरीके से एक्शन दृश्यों को फिल्माया है। शिवकुमार वी. पनिकर की एडिटिंग फिल्म की गति को निर्देशक की सोच के अनुरूप तेज गति देती है। 
 
लक्ष्य ने लीड रोल अदा किया है और एक्शन दृश्यों में उनकी फुर्ती और फिनिशिंग प्रभावित करती है। उन्हें संवाद कम बोलना और हाथ-पैर चलाने के काम ज्यादा करना था जो उन्होंने खूब किया। 
 
राघव जुयाल बेहद खौफनाक लगे। गुस्सैल और शतिर बदमाश के रूप में वे दर्शकों में सिरहन पैदा करने में कामयाब रहे। आशीष विद्यार्थी का सपोर्ट उम्दा रहा। तान्या को स्क्रीन टाइम भले ही कम मिला हो, लेकिन वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहीं। 
 
हिंसा से लबरेज यह फिल्म 'किल' एक विस्फोटक मूवी है जो सिर्फ हार्ड कोर एक्शन लवर्स के लिए है। 
  • निर्देशक: निखिल नागेश भट
  • फिल्म : Kill (2024) 
  • संगीतकार : विक्रम मोंट्रोज़, शाश्वत सचदेव, हारून-गेविन 
  • कलाकार : लक्ष्य, राघव जुयाल, तान्या, आशीष विद्यार्थी, हर्ष छाया 
  • सेंसर सर्टिफिकेट : केवल वयस्कों के लिए * 1 घंटा 46 मिनट 21 सेकंड 
  • रेटिंग : 3/5