टीवी सीरियल 'तितली' के लिए नेहा सोलंकी ने सीखी गुजराती, शेयर किया अपना अनुभव
Neha Solanki On Titli: स्टारप्लस अपने दर्शकों के लिए एक अलग और पहले कभी न देखी गई लव स्टोरी 'तितली' लेकर आया है। इस शो के साथ स्टारप्लस ने एक और प्रतिभाशाली एक्ट्रेस नेहा सोलंकी को लॉन्च किया है। नेहा सोलंकी तितली की टाइटिलर रोल निभाती नजर आएंगी। तितली शो एक ट्विस्टेड लव स्टोरी है जहां तितली नाम की एक खुशमिजाज और जीवंत लड़की अपने आइडियल पार्टनर को खोजने और उसके साथ एक फेयरीटेल लाइफ जीने की तलाश में है।
हाल में मेकर्स ने 'तितली' का पेचीदा और दिलचस्प प्रोमो रिलीज किया है। तितली में नेहा सोलंकी के अपोजिट अविनाश मिश्रा, गर्व का किरदार निभा रहे हैं। प्रोमो में तितली और गर्व की ट्विस्टेड और असामान्य लव स्टोरी को दिखाया गया है। प्रोमो के साथ, दर्शकों को तितली और गर्व के किरदारों में एक बदलाव देखने को मिलेगा। यह देखा जा सकता है कि गर्व और तितली एक खुशहाल जगह पर हैं, लेकिन शादी के बाद का जीवन तितली के लिए अनजाने में चीजों को बदल देगा।
दर्शकों को तितली के किरदार के अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे, जिसमें एक महत्वाकांक्षी युवा महिला से लेकर भावनात्मक रूप से कमजोर होने तक उसकी हर साइड नजर आएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि तितली के जीवन में ड्रामा कैसे सामने आता है।
शो में तितली का किरदार निभा रहीं नेहा सोलंकी एक साधारण, मिडिल क्लास गुजराती परिवार से आती हैं। नैनीताल की रहने वाली नेहा गुजराती भाषा से परिचित नहीं हैं, लेकिन खुद को तितली के रूप में ढालने और भाषा को समझने ने लिए नेहा ने सेट पर गुजराती सीखी।
अपने इसी अनुभव को साझा करते हुए नेहा ने कहा, यह मेरे लिए एक बहुत ही अलग लेकिन एक नया अनुभव है। मुझे नई चीजें सीखने में मजा आता है और गुजराती सीखना उनमें से एक है। मैं इसे एंजॉय कर रही हूं और हर नए दिन के साथ मैं गुजराती में एक नया शब्द सीखती हूं। 'सरस छे' कुछ ऐसा है जो मैंने हाल ही में सीखा है। जैसा कि मैं तितली शो में एक गुजराती लड़की की भूमिका निभा रही हूं, मुझे ये भाषा सीखनी पड़ी क्योंकि मैं नैनीताल से हूं और इस भाषा में फ्लूएंट नहीं थी।
नेहा सोलंकी ने कहा, तितली के रूप में खुद को ढालने के लिए मैं गुजराती सीख रही हूं। हमारे सेट पर एक ट्यूटर भी है, जो मुझे गुजराती सिखाता है। गुजराती सीखना इतना मुश्किल नहीं है। जब आप नई चीजें सीखने में दिलचस्पी रखते हैं, तो सभी बाधाएं चमत्कार बन जाती हैं। अब मैं भी गुजराती पढ़ सकती हूं और मुझे ऐसा लगाता है कि मैं खुद भी गुजराती हूं जबकि मैं हूं नही। यह एक नई भाषा सीखने का अद्भुत अनुभव रहा है।