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Last Updated : सोमवार, 2 मई 2022 (15:37 IST)

केजीएफ2 तीसरे सप्ताह में भी हीरोपंती2 और रनवे34 पर भारी: क्या बॉलीवुड फिल्म और सितारों से दर्शकों का हुआ मोहभंग?

केजीएफ2 तीसरे सप्ताह में भी हीरोपंती2 और रनवे34 पर भारी: क्या बॉलीवुड फिल्म और सितारों से दर्शकों का हुआ मोहभंग? - KGF2 box office collection, south Indian movies, bollywood movies, bollywod star
जिस तरह से दक्षिण भारतीय फिल्मों ने हिंदी बेल्ट में धमाकेदार सफलता हासिल की है, उससे हिंदी फिल्म निर्माता-निर्देशक क्या, सुपरस्टार्स में भी खलबली मच गई है। बाहुबली की चमत्कारिक सफलता के बाद पिछले पांच महीनों में पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ2 के ऐतिहासिक प्रदर्शन से बॉलीवुड थर्रा उठा है और सलमान खान के मुंह से निकल गया कि हमारी फिल्में ऐसी क्यों नहीं चलती? जो यह दर्शाता है कि इस आंधी में कई सुपरसितारों को अपने पैर उखड़ जाने का डर है। 
 
ताजा उदाहरण पेश है। इस सप्ताह दो नई हिंदी फिल्म, टाइगर श्रॉफ की 'हीरोपंती2' और अजय देवगन की 'रनवे34', रिलीज हुईं। हीरोपंती 2 ने अपने पहले वीकेंड के पर 15 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया जबकि रनवे 34 ने पहले वीकेंड पर 13 करोड़ रुपये जुटाए। जाहिर-सी बात है कि इन फिल्मों के कलेक्शन उम्मीद से बहुत कम रहे, जबकि दोनों फिल्मों को बनाने वाले बैनर बड़े हैं और इनमें अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, टाइगर श्रॉफ जैसे सितारे हैं जिनकी फिल्में अतीत में बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार शुरुआत करती आई है। 
 
अब, रनवे 34 और हीरोपंती 2 के कलेक्शन की तुलना केजीएफ 2 के तीसरे वीकेंड के कलेक्शन से कीजिए, जिसने 21 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया। यानी तीसरे वीकेंड पर भी केजीएफ 2 का कलेक्शन नई फिल्मों के पहले वीकेंड कलेक्शन पर भारी है और ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। 
 
रनवे34 और हीरोपंती2 की कमजोर बॉक्स ऑफिस ओपनिंग से एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है कि क्या बॉलीवुड के प्रति दर्शकों का मोहभंग हो गया है? वे इन सितारों की फिल्म के बजाय दक्षिण भारतीय सितारों की फिल्मों को तवज्जो दे रहे हैं। जिस तरह से केजीएफ2 और आरआरआर ने बॉक्स ऑफिस पर ओपनिंग ली है वैसी ओपनिंग तो कई सितारों की फिल्मों को भी नहीं मिली है। 
 
सभी दक्षिण भारतीय फिल्में सफल हो जरूरी नहीं, राधेश्याम और वलिमै के हाल बेहाल 
इस बारे में सीआई सर्किट के फिल्म वितरक अशोक राव का कहना है 'जिस तरह से पिछले कुछ महीनों में बॉलीवुड फिल्मों ने कमजोर प्रदर्शन किया है, उसके आधार पर यह कहना कि हिंदी फिल्म सितारों से लोगों का मोहभंग हो गया है, गलत होगा। दरअसल ये फिल्में ही कमजोर थीं। जिस तरह की मसाला फिल्में हिंदी भाषी दर्शकों को चाहिए वैसी फिल्म प्रोड्यूस नहीं की जा रही है। दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं ने दर्शकों की नब्ज पकड़ ली है इसलिए वे पैन इंडिया फिल्में बना रहे हैं। साथ ही यह नहीं भूलना चाहिए कि 'रॉ', 'वलिमै' और 'राधेश्याम' जैसी बड़े बजट की फिल्में भी डब होकर हिंदी क्षेत्रों में रिलीज हुईं, लेकिन ये बुरी तरह फ्लॉप रही। इनकी हालत तो इतनी बुरी थी कि कुछ सिनेमाघरों से इन्हें दूसरे ही दिन उतारना पड़ा। सीधी सी बात है जो फिल्में अच्‍छी हैं वो चलेगी, चाहे वो बॉलीवुड वाले बनाए या साउथ वाले। इसमें फिल्म स्टार्स से मोहभंग होने वाली बात नहीं आती।'    
 
बॉलीवुड को दक्षिण भारतीय फिल्मों से खतरा नहीं 
फिल्म निर्माता-निर्देशक रामगोपाल वर्मा जो हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं में कई फिल्में बना चुके हैं, का कहना है कि बॉलीवुड खत्म नहीं हो सकता। साल भर में कितनी बड़े बजट की दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिंदी में डब कर रिलीज किया जाएगा? मुश्किल से दस। बचे समय में तो दर्शकों को बॉलीवुड सितारों से ही काम चलाना पड़ेगा। ऐसे में बॉलीवुड के खत्म होने वाली बात खारिज हो जाती है। 
 
ड्रग्स, नेपोटिज्म, सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या के मामलों ने बॉलीवुड को पहुंचाया धक्का 
एक मशहूर फिल्म निर्माता और वितरक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि दक्षिण भारतीय फिल्में इस समय हिंदी बेल्ट पर छाई हुई है। दर्शक अल्लू अर्जुन, प्रभास, जूनियर एनटीआर, यश जैसे सितारों को चाहने लगे हैं। एकाएक इनको मिली लोकप्रियता से हिंदी फिल्मों के सितारे घबराए हुए हैं। इन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस आंधी को कैसे संभाला जाए। संभव है कि आगे चलकर हिंदी फिल्म निर्माता, दक्षिण भारतीय सितारों को लेकर फिल्म बनाएं। इससे बॉलीवुड सितारों को नुकसान होगा। पिछले कुछ सालों में ड्रग्स, नेपोटिज्म और सुशांत राजपूत के आत्महत्या मामले में जिस तरह से बॉलीवुड सितारों की किरकिरी हुई है उससे इनकी लोकप्रियता कम हुई है। लोग इन स्टार्स को नापसंद करने लगे हैं। दक्षिण भारतीय सितारे अपने फैंस के लिए बहुत कुछ करते हैं। बॉलीवुड सितारों को अनुशासित होना चाहिए, नखरे कम दिखाना चाहिए, फीस आधी करना चाहिए और अपने फैंस के लिए कुछ करना चाहिए, तभी वे लोगों के दिल में जगह बना पाएंगे।  
 
ओटीटी और टीवी पर भी दक्षिण भारतीय फिल्मों का कब्जा 
न केवल सिनेमाघरों में बल्कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और टीवी चैनल पर भी दक्षिण भारतीय फिल्में छाई हुई हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिंदी में डब कर दिखाया जा रहा है और इन्हें अच्छे दर्शक भी मिल रहे हैं। इनमें कमर्शियल फिल्मों के साथ-साथ कला फिल्में भी होती हैं, जो हिंदी भाषी क्षेत्रों के सिनेमाघरों में रिलीज नहीं होती है। इससे सराहनीय फिल्में भी दर्शकों को देखने को मिल रही है। टीवी चैनल पर तो पिछले दस सालों से दक्षिण भारतीय फिल्मों का कब्जा है। कई दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिंदी में डब कर बार-बार दिखाया जा रहा है और टीआरपी भरपूर मिल रही है। दरअसल मसाला फिल्मों का दर्शक वर्ग टीवी पर चला गया है क्योंकि उसे मसाला फिल्में सिनेमाघर में देखने को नहीं मिल रही थी। टीवी पर इन फिल्मों को देख ही दर्शक दक्षिण भारतीय फिल्म सितारों को न केवल पहचानने लगे बल्कि उनका फैन बेस भी तैयार हो गया है। 
 
कहा जा सकता है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों ने बॉलीवुड में सफलता का इतिहास रच दिया है। इससे बॉलीवुड सितारे आहत जरूर हैं, लेकिन गेम से बाहर नहीं हुए हैं। दो-तीन फिल्में ही इन सितारों की खोई लोकप्रियता लौटा सकती है, लेकिन ये बात भी तय है कि कुछ फिल्म स्टार्स अपनी चमक खो बैठे हैं और अब उनके पुराने दिन लौटने की संभावना शून्य है।