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Last Updated : गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023 (13:34 IST)

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड में अंतर

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड में अंतर | Difference between Dada Saheb Phakle award and dada saheb phalke international film festival award
आम लोग फिल्म पुरस्कार के बारे में भले ही ज्यादा जानकारी नहीं रखते हों, लेकिन उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के बारे में इतना पता है कि यह बेहद प्रतिष्ठित और भारतीय सिनेमा का बड़ा पुरस्कार है। भारत में इससे बड़ा सिनेमा का पुरस्कार नहीं है। दादा साहेब के नाम पर ही कुछ प्राइवेट संस्थानों ने भी पुरस्कार देने का सिलसिला शुरू किया है। वे फिल्म वालों को पुरस्कार दे रहे हैं और दादा साहेब फाल्के का नाम का उपयोग कर रहे हैं। इससे भ्रम यह फैल रहा है कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार फलां फिल्म या व्यक्ति को मिला है, जिससे आम लोगों में उसका कद बढ़ जाता है। मिलते-जुलते नामों से सावधान रहिए, ये लाइन अक्सर नामी ब्रांडेड कंपनियां अपने विज्ञापनों में उपयोग करती हैं क्योंकि मिलते-जुलते नामों से लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। 
 
सबसे पहले तो ये जानते हैं कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार है क्या? 
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है। यह उस व्यक्ति को मिलता है जिसने भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान दिया हो। पुरस्कार के तहत स्वर्ण कमल, दस लाख रुपये और एक शॉल दी जाती है। पुरस्कृत व्यक्ति का चयन एक समिति द्वारा किया जाता है। यह ऐसा पुरस्कार है जिसे पाने की तमन्ना भारतीय फिल्मों से जुड़े हर व्यक्ति की होती है। 
 
दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड 
कई प्राइवेट संस्थाएं भी फिल्मों से जुड़े पुरस्कार और सम्मान देती हैं। ऐसी ही एक पुरस्कार है दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड जो कि वर्ष 2012 से शुरू हुआ। हाल ही में इस पुरस्कार की घोषणा हुई जिसके तहत बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड द कश्मीर फाइल्स को, बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड रणबीर कपूर को, बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड आलिया भट्ट को मिला। और भी कई पुरस्कार दिए गए।चूंकि पुरस्कार से दादा साहेब का नाम जुड़ा हुआ है इस कारण गलतफहमी हो जाती है कि यह वही वाला प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार है जो सरकार देती है। इस वजह से यह पुरस्कार कुछ ज्यादा चर्चा में आ जाता है। मीडिया भी इस बारे में ज्यादा तहकीकात नहीं करता। 
 
दादा साहेब के नाती ने जताई नाराजगी 
दादा साहेब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर ने इस अवॉर्ड पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि इन दोनों पुरस्कारों में जमीन-आसमान का अंतर है। उनका कहना है कि कई पुरस्कार पैसे देकर दिए जाते हैं। दूसरी तरफ कई लोगों ने दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड का विरोध किया है। सरकार से मांग की है इसे बंद किया जाए क्योंकि दादा साहेब के नाम का दुरुपयोग हो रहा है। साथ ही लोगों के बीच गलत जानकारी भी जा रही है। 
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