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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024 (10:32 IST)

20 सितंबर : श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्मदिन आज, जानें उनका जीवन और 25 बहुमूल्य कथन

Pandit Shriram Sharma Acharya
Highlights 
 
श्रीराम शर्मा आचार्य के बारे में जानें। 
आपका जीवन सुधार देंगे श्रीराम शर्मा आचार्य के वचन।
शांतिकुंज गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य।


Pandit Shriram Sharma Acharya : आज पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की जयंती हैं। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के आगरा जनपद के आंवलखेड़ा गांव में 20 सितंबर 1911 को तथा तिथिनुसार आश्विन मास में हुआ था। 
 
उनके पिता का नाम पंडित रूपकिशोर शर्मा और माता का नाम दानकुंवरी देवी था। भारत के आध्यात्मिक संत रहे श्रीराम शर्मा ने वैदिक परंपरा की पुन:स्थापना में महत्वपूर्ण कार्य किया था। उन्हें शांतिकुंज गायत्री परिवार के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है। 
 
वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा एक सक्रिय स्वयं सेवक भी माने जाते हैं। हिंदुओं में जात-पात मिटाने हेतु गायत्री आंदोलन की शुरुआत तथा हरिद्वार में शांति कुंज की स्थापना भी उन्होंने ही की थी। पं. मदनमोहन मालवीय से उन्होंने गायत्री मंत्र की दीक्षा ली तथा वेद तथा उपनिषदों का हिंदी में सरलतम अनुवाद और अखंड ज्योति नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया था। भारत के अध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने शांतिकुंज में 80 वर्ष की आयु में अपनी देह छोड़ी तथा उनकी आत्मा 2 जून 1990 को अपना शरीर त्याग कर परमात्मा में विलीन हो गई थी। उन्होंने एक दार्शनिक और समाज सुधार के रूप में भी जीवनभर कार्य किया। 
 
आइए यहां जानते हैं श्रीराम शर्मा आचार्य के अनमोल विचार- 
 
• मनुष्य खुद अपने भाग्य को बनाता है, ईश्वर नहीं।
 
• कभी निराश न होने वाला, सच्चा साहसी होता हैं।
 
• दूसरों को पीड़ा नहीं देना ही, मानव धर्म है।
 
• सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी खुद को ना पहचान पाए तो सारा ज्ञान निरर्थक है।
 
• जिस भी व्यक्ति ने अपने जीवन में स्नेह और सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया है, वह सचमुच ही सबसे बड़ा कलाकार है।
 
• दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसंद नहीं है।
 
• मनुष्य अपने रचयिता की तरह ही सामर्थ्यवान है।
 
• किसी का आत्मविश्वास जगाना उसके लिए सर्वोत्तम उपहार है।
 
• जीवन को प्रसन्न रखने के दो ही उपाय है- एक अपनी आवश्यकताएं कम करें और दूसरा विपरित परिस्थितियों में भी तालमेल बिठाकर कार्य करें।
 
• संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना ही गृहस्थ का तपोवन है।
 
• खुद की महान् संभावनाओं पर दृढ़ विश्वास ही सच्ची आस्तिकता है।
 
• फूलों की खुशबू हवा के विपरीत दिशा में नहीं फैलती लेकिन सद्गुणों की कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है।
 
• अपने आचरण से प्रस्तुत किया उपदेश ही सार्थक और प्रभावी होता है, अपने वाणी से किया गया नहीं।
 
• मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है।
 
• जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।
 
• अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।
 
• मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता खुद ही होता है।
 
• जीवन का हर पल एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना को लेकर आता है।
 
• जिन्हें लंबी जिंदगी जीनी हो, वे बिना ज्यादा भूख लगे कुछ भी न खाने की आदत डालें।
 
• जो शिक्षा मनुष्य को परावलंबी, अहंकारी और धूर्त बनाती हो, वह शिक्षा, अशिक्षा से भी अधिक बुरी है।
 
• मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छैनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।
 
• गलती करना बुरा नहीं है बल्कि गलती को न सुधारना बुरा है।
 
• आज का नया दिन हमारे लिए एक अमूल्य अवसर है।
 
• हर व्यक्ति को अपना मूल्य समझना चाहिए और खुद पर यह विश्वास करना चाहिए कि वे संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है।
 
• किसी भी व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप उसके साथ रोग, शोक, पतन और संकट साथ लेकर ही आते है।
 
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