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Last Modified: सोमवार, 19 अक्टूबर 2015 (13:23 IST)

लालू प्लास्टिक की चप्पल से कटने वाले दर्द की तरह हैं-राधामोहन सिंह

लालू प्लास्टिक की चप्पल से कटने वाले दर्द की तरह हैं-राधामोहन सिंह - Bihar election 2015
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने लालू-आरजेडी के 15 साल के शासन को प्लास्टिक के चप्पल से कटने पर होने वाले दर्द की तरह करार दिया है, जिसे बिहार की जनता कभी नहीं भूल सकती है। उन्होंने न्यूज 18 से खास बातचीत के दौरान कहा कि लालू के उस जंगलराज की वापसी से सहमी जनता एनडीए को वोट कर रही है।
चुनाव प्रचार के लिए तीन महीने से पटना में डटे वरिष्ठ भाजपा नेता इस बात से इनकार करते हैं कि शुरुआती दो चरणों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल युनाईटेड (जेडीयू) का महागठबंधन आगे है। राधा मोहन सिंह के मुताबिक, अब तक जिन 82 सीटों पर मतदान हुआ है उसमें एनडीए को 50 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। 
 
पढ़ें, केन्‍द्रीय मंत्री राधामोहन सिंह से बातचीत के मुख्‍य अंश
 
लालू-नीतीश जनता से कह रहे हैं कि दाल के बदले मुर्गा खाओ क्योंकि दालें महंगी हो गई हैं। क्या इस चुनाव में महंगाई कोई मुद्दा है?
बिल्कुल नहीं। नीतीश जनता को गुमराह कर रहे हैं। हमारी सरकार आई है तब से महंगाई तो निगेटिव जोन में चली गई है। महंगाई और भ्रष्टाचार तो कांग्रेस की कोख से पैदा हुई है। मोदी सरकार ने तो उस पर लगाम लगाई है। रही बात दलहन-तिलहन की तो केंद्र सरकार ने दलहन पर बोनस बढ़ाया है। यही नहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत आधा पैसा राज्यों को सिर्फ दलहन की फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए दिया गया। ये 27 राज्यों के 622 जिलों के लिए है। पश्चिम बंगाल और आंध्र जैसे राज्यों ने इस पर अमल किया है। अब नीतीश कुमार बताएं कि उन्होंने उस फंड का क्या किया? सिर्फ भाषणबाजी से काम नहीं चलने वाला है।
 
आप ये तथ्य और आंकड़ें कैसे आम जनता को समझा पाएंगे?
जैसे बाकी मुद्दों पर हम समझाते आए हैं। इसका कोई मतलब नहीं है। लालू-नीतीश बीफ, रिजर्वेशन जैसे मुद्दों को उठाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
 
बाकी दो चरणों में भाजपा की रणनीति क्या होगी ?
सिर्फ विकास, लालू कहीं से टिकने वाले नहीं हैं। आप याद कीजिए बरसात में जब कोई प्लास्टिक की नई चप्पल खरीदता है और उसका नंबर छोटा-बड़ा हो जाता है तो क्या होता है। उस चप्पल से पैर कट जाता है और उस दर्द को इंसान कभी भूल नहीं पता है। ये दर्द हर साल उसकी याद दिलाता है। लालू उसी की तरह हैं। 15 साल तक उन्होंने बिहार में जिस तरह शासन किया उसे जनता कभी नहीं भूल पाएगी, कभी नहीं।
 
लालू खुद ही कह रहे हैं कि नीतीश विकास पुरुष हैं और बिहार में मोदी के विकास मॉडल की जरूरत नहीं है?
सुन लीजिए। नीतीश कुमार के एक कंधे पर पति-पत्नी (लालू-राबड़ी) और दूसरे कंधे पर मां-बेटा (सोनिया-राहुल) सवार हैं। ऐसे में कौन सा विकास का एजेंडा बता रहे हैं। जनता सबक सिखाएगी। अब मुर्गा, कौआ, सरसों-मिरचाई से दाल नहीं गलने वाली है। लालू बिग बॉस की तरह व्यवहार कर रहे हैं। नीतीश उनकी गोद में बैठे हैं। दोनो सौ-सौ सीटों पर लड़ रहे हैं। अगर सरकार बन भी गई तो लालू ही चलाएंगे ये सब जानते हैं, इसलिए जनता सचेत है।
 
वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी और खास तौर पर महिलाओं के जमकर मतदान करने का क्या आशय है?
जनता आक्रोश में है। ये आक्रोश नीतीश और लालू के खिलाफ है। महिलाएं भी चाहती हैं कि केंद्र में मोदी की तरह यहां बीजेपी का शासन हो। ये वोटिंग हमारे पक्ष में हो रही है।
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