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Written By Author अनिल जैन
Last Modified: पटना , मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015 (19:40 IST)

प्रचार के लिहाज से तो लड़ाई दीए और तूफान की!

प्रचार के लिहाज से तो लड़ाई दीए और तूफान की! - Bihar assembly elections
पटना। बिहार में जनता दल (यू) राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन और भाजपा नीत राजग यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की लड़ाई को अगर संसाधनों की कसौटी पर कसा जाए तो आसानी से कहा जा सकता है कि यह दीए और तूफान की लड़ाई है। इसका नजारा पटना से लेकर सूबे के किसी भी कोने तक देखा जा सकता है। 
भाजपा और उसके गठबंधन की ओर चुनाव अभियान के सूत्र पूरी तरह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संभाल रखे हैं जो पटना के एक पांच सितारा होटल को अपना ठिकाना बनाए हुए हैं। पार्टी ने इस होटल के ज्यादातर कमरे दिल्ली से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं के लिए आरक्षित करवा रखे हैं। एक तरह से इसी होटल में भाजपा का वॉर रूम है जहां से पूरे चुनाव का संचालन हो रहा है। इसी होटल में रोजाना रात में भाजपा के प्रमुख नेताओं की बैठक होती है। 
 
राजग की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो सुपर स्टार प्रचारक हैं ही, उनके अलावा राजग के दर्जनों नेता, केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई मंत्री भी लगातार प्रचार में जुटे हुए हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों के कई सांसदों-विधायकों और बड़ी संख्या में संघ के प्रचारकों-स्वयंसेवकों को उनकी जाति के हिसाब से अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात किया गया है, जबकि महागठबंधन का प्रचार अभियान मुख्यतः नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव संभाले हुए हैं। 
 
चुनाव प्रचार के लिए हेलिकॉप्टर और सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों के मामले में ही नहीं, बल्कि सड़कों पर लगे होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर, झंडे आदि के मामले में भी भाजपा और उसके गठबंधन से महागठबंधन का कोई मुकाबला नहीं है। पटना एयरपोर्ट से रोजाना 18 से 20 हेलिकॉप्टर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को लेकर सूबे के विभिन्न इलाकों के लिए उड़ान भर रहे हैं। ये सभी हेलिकॉप्टर दो इंजन वाले हैं, जिनका एक घंटे की उड़ान का किराया करीब लाख रुपए होता है।
 
दूसरी ओर महागठबंधन के पास महज चार हेलिकॉप्टर हैं, जिसमें दो इजिन वाला तो एक ही है, जिसका इस्तेमाल मुख्यमंत्री होने के नाते नीतीश कुमार करते हैं। बाकी लालू यादव, शरद यादव आदि नेता एक इंजन वाले सस्ते हेलिकॉप्टर से प्रचार कर रहे हैं। 
 
होर्डिंग्स, बैनर, पोस्टर आदि प्रचार सामग्री के मामले में भी यही स्थिति है। भाजपा और उसके गठबंधन की अलग-अलग डिजाइन और अलग-अलग मजमून वाली प्रचार सामग्री की हर चुनाव क्षेत्र में भरमार है। जबकि नीतीश-लालू के कुछ बड़े होर्डिंग्स सिर्फ पटना में ही नजर आते हैं। बाकी गांव-शहरों में उसके छोटे-छोटे बैनर और झंडे ही दिखाई देते हैं। यही स्थिति अखबारों में दिए जाने वाले चुनावी विज्ञापनों के मामले में देखने को मिल रही है। बिहार से निकलने वाले तमाम अखबार भाजपा और राजग उम्मीदवारों के विज्ञापनों से पटे रहते हैं, जबकि महागठबंधन के विज्ञापनों की संख्या इन अखबारों में नगण्य रहती है। 
 
महागठबंधन अखबारों मे यह विज्ञापन भी नही दे रहा है कि आज किस नेता की कहां सभा है। लालू यादव दिन में सात-आठ सभाएं कर रहे हैं, लेकिन बिना प्रचार के। ऐसे ही नीतीश कुमार भी रोजाना पांच-छह सभाएं कर रहे हैं। इसके विपरीत राजग की ओर उसके हर बड़े नेता की सभाओं के विज्ञापन अखबारों में दिखाई दे रहे हैं।
 
कुल मिलाकर किसी भी स्तर पर भाजपा के सामने महागठबंधन का प्रचार कहीं नहीं ठहर पा रहा है। नीतीश कुमार का जद (यू) और लालू यादव का राजद सत्ता में होते हुए भी चुनाव मैदान गरीब-गुरबा की पार्टी साबित हो रहे हैं। चुनाव के बाकी तीन चरणों में भी लगता है प्रचार का यही पैटर्न रहेगा।