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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 23 नवंबर 2020 (13:08 IST)

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बताया वो क्यों नहीं दे रहे जो बिडेन को बधाई

Joe Biden | रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बताया वो क्यों नहीं दे रहे जो बिडेन को बधाई
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया है कि उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन को जीत की बधाई क्यों नहीं दी है। व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वो क़ानूनी लड़ाई के फ़ैसले आने तक इंतज़ार करेंगे तभी बिडेन को बधाई देंगे।
 
रूसी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पुतिन ने कहा कि औपचारिक बधाई देने में देरी से रूस और अमेरिका के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि दोनों देशों के बीच के संबंधों में पहले से ही तनाव रहा है। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से पुतिन की तारीफ़ करते रहे हैं और उन पर राष्ट्रपति बनने में रूस से मदद लेने का भी आरोप है।
 
क्या बोले पुतिन
 
पुतिन से पूछा गया कि बधाई न देकर क्या पुतिन दोनों देशों के रिश्तों को ख़राब नहीं कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'जो रिश्ता पहले से ही ख़राब है वो और क्या ख़राब होगा'। पुतिन ने कहा, 'हमलोगों का दोनों से सम्मानजनक संबंध है। निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन दोनों से सम्मानजनक रिश्ते हैं। हमें किसी से कोई समस्या नहीं है। यह एक औपचारिक मामला है। हमारा कोई छुपा हुआ एजेंडा नहीं है। मुझे नहीं लगता कि औपचारिक रस्म निभाने में जल्दबाज़ी दिखाने से ख़राब रिश्ते अच्छे हो जाएंगे।'
 
पुतिन ने कहा कि दुनिया के जिन नेताओं ने बधाई दी है वे सभी अनुभवी लोग हैं और उन्हें पता है कि कब क्या करना है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली बार भी सबने हिलेरी क्लिंटन को बधाई दे दी थी लेकिन जीत ट्रंप को मिली थी।
राजनीतिक संघर्ष के थमने तक इंतज़ार
 
पुतिन ने कहा कि वो अमेरिका के किसी भी राष्ट्रपति के साथ काम करने को तैयार हैं जिन्हें वहां की जनता ने चुना है लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वोट गिने जाने और घरेलू राजनीतिक संघर्ष के थमने तक इंतज़ार किया जाए। पुतिन ने कहा, 'अमेरिकी जनता का जिस भी राष्ट्रपति में भरोसा होगा हम उनके साथ काम करने को तैयार हैं।'
 
अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव हुआ था। चुनावी नतीजों में ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बिडेन को विजेता घोषित किया गया है। लेकिन ट्रंप इसे मानने को तैयार नहीं हैं। ट्रंप दावा कर रहे हैं कि वोटों की गिनती में धोखाधड़ी हुई है। कई राज्यों में वोटों की गिनती अब भी चल रही है।
 
बिडेन को ट्रंप से 60 लाख ज़्यादा वोट मिले हैं। अमेरिका में जीत के लिए 270 इलेक्टोरल कॉलेज के वोट चाहिए और बिडेन को 306 वोट मिल गए हैं। इसके बावजूद ट्रंप अपनी हार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
चीन की चुप्पी
 
जो बिडेन को बधाई देने को लेकर रूस के दोस्त चीन ने भी लंबे समय तक चुप्पी रखी। पर चीन ने आख़िरकार 13 नवंबर को बिडेन को बधाई दी थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 13 नवंबर को एक बेहद ही औपचारिक भाषा में कहा था, 'हम अमेरिकी नागरिकों की पसंद का सम्मान करते हैं। जो बिडेन और कमला हैरिस को चीन बधाई देता है।'
 
चीन और अमेरिका के रिश्ते हाल के दिनों में काफ़ी तल्ख़ी वाले रहे हैं। ट्रेड, जासूसी और कोरोनो महामारी को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव कई बार बद से बदतर स्थिति में पहुंच गया। जो बिडेन के सामने वो पांच चुनौतियां जिनसे उन्हें निपटना होगा। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा 'जो बिडेन जीते अमेरिकी चुनाव, पर...'
 
और जिन देशों से नहीं मिली बधाई
 
जब ट्रंप को जीत मिली थी तो पुतिन ने तत्काल बधाई दी थी लेकिन बिडेन को लगता है कि पुतिन की बधाई के लिए और इंतज़ार करना पड़ सकता है। लेकिन बात केवल रूस और चीन तक ही सीमित नहीं है। बिडेन को अभी ब्राज़ील, मेक्सिको और उत्तर कोरिया से भी बधाई नहीं मिली है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ट्रंप के अच्छे विश्वासपात्र माने जाते हैं। बिडेन ने अपने चुनावी कैंपेन में अमेज़न के जंगलों को बचाने के लिए ब्राज़ील पर दबाव डालने की भी बात कही थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि ब्राज़ील की वर्तमान सरकार को ट्रंप की तुलना में बिडेन शायद अच्छे लगें।
 
वहीं मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुएल लोपेज ने कहा है कि वो बिडेन को बधाई देने में जल्दबाज़ी नहीं दिखाएंगे। लोपेज़ के भी ट्रंप से अच्छे रिश्ते हैं। ऐसा तब है जब ट्रंप मेक्सिको से आने वाले प्रवासियों को लेकर बहुत ही सख़्त रहे हैं।
 
उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन भी बिडेन को बधाई देने के मामले में चुप हैं जबकि पिछले चुनाव में उन्होंने ट्रंप के तत्काल बधाई दी थी। बिडेन को लेकर कहा जाता है कि वो चीन और रूस को लेकर बहुत सख़्त रहेंगे और ऐसा कोई मौक़ा नहीं देंगे जिनसे दोनों देश वैश्विक रणनीति में भारी पड़ें। वहीं ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि उनकी ग़लत नीतियों के कारण पिछले चार सालों में रूस और चीन को उभरने का मौक़ा मिला।
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