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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 29 दिसंबर 2021 (11:28 IST)

महात्मा गांधी को गाली देने वाले 'कालीचरण महाराज' कौन हैं?

महात्मा गांधी को गाली देने वाले 'कालीचरण महाराज' कौन हैं? - Who is kalicharan maharaj
नितीन सुलताने, बीबीसी मराठी के लिए
हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में विवादास्पद बयानों से जुड़ा विवाद थम पाता, उससे पहले ही रायपुर में आयोजित धर्म संसद ने नया विवाद पैदा कर दिया।
 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्म संसद का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें साफ़ देखा जा सकता है कि अकोला के कालीचरण महाराज महात्मा गांधी को गाली दे रहे हैं।
 
वीडियो में दिख रहा है कि कालीचरण महाराज महात्मा गांधी के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और उनकी हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की प्रशंसा कर रहे हैं। वीडियो में ये भी दिखाई देता है कि उनके भाषण पर धर्म संसद के अंदर कुछ लोग तालियां भी बजा रहे हैं।
 
स्थानीय पुलिस ने कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है, यह मामला रायपुर नगर निगम के स्पीकर और कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत के बाद किया गया है।
 
दिलचस्प संयोग यह है कि प्रमोद दुबे धर्म संसद के आयोजकों में शामिल हैं। इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक मोहन मरकाम ने भी शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की मांग की है।
 
प्रमोद दुबे ने बीबीसी को बताया, "हमें उम्मीद नहीं थी कि महात्मा गांधी के लिए ऐसी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल होगा। लग रहा है कि यह किसी एजेंडे के तहत किया गया होगा।"
 
महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल का मामला महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उछला।
 
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने इस मामले में कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज करने की मांग की। वहीं, राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस मामले में सख़्त कार्रवाई करने की बात कही है।
 
कालीचरण महाराज कौन हैं?
कालीचरण महाराज पहली बार सुर्ख़ियों में तब आए थे जब शिव तांडव पर उनका भजन सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। उनका वास्तविक नाम अभिजीत सराग है।
 
वे मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला ज़िले के हैं और शिवाजी नगर के भवसर पंचबंगला इलाके में रहते हैं। स्थानीय पत्रकार उमेश अकेला के मुताबिक़ उनका बचपन अकोला में ही गुज़रा है।
 
कालीचरण महाराज की शिक्षा को लेकर विश्वसनीय और एकदम सटीक जानकारी तो नहीं मिल सकी है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वे आठवीं तक पढ़े हैं।
 
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि कालीचरण महाराज अपने और अपने परिवार के बारे में जानकारी देने से बचते रहे हैं।
 
हालांकि, अपने एक इंटरव्यू में कालीचरण महाराज ने कहा, "मुझे स्कूल जाना कभी पसंद नहीं रहा। मेरी पढ़ाई-लिखाई में भी कोई दिलचस्पी नहीं रही। अगर मुझे ज़बर्दस्ती स्कूल भेजा जाता था तो मैं बीमार हो जाता था। हालांकि सब लोग मुझसे प्यार करते थे, इसलिए सब मेरी बात मानते थे। मेरी धर्म में दिलचस्पी हुई और मैं अध्यात्म की ओर मुड़ गया।"
 
नगर निगम चुनाव में हारे
कालीचरण महाराज अपनी युवावस्था में इंदौर गए। वे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने लगे थे।
 
इंदौर में वे भैय्यूजी महाराज के सानिध्य में भी आए। लेकिन कुछ दिनों के बाद वे भैय्यूजी महाराज के आश्रम से निकल कर वापस अकोला पहुंच गए।
 
स्थानीय पत्रकार उमेश अकेला बताते हैं, "कालीचरण महाराज 2017 में अकोला लौट आए और उन्होंने नगर निगम के चुनाव में क़िस्मत आज़माई और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।"
 
वैसे अभिजीत सराग के कालीचरण में तब्दील होने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। उनका दावा है कि देवी काली ने ना केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उन्हें एक दुर्घटना से बचाया।
 
इस दावे के बारे में उन्होंने मीडिया से कहा, "एक दुर्घटना में मेरे पांव टूट गए थे। मेरे पांव 90 डिग्री से ज़्यादा मुड़ गए थे और दोनों हड्डी टूट गई थी। लेकिन काली मां ने मुझे दर्शन दिए और उन्होंने मेरे पांव को पकड़ खींचा और उसी वक्त मेरे पांव ठीक हो गए।"
 
"यह एक गंभीर दुर्घटना थी लेकिन मुझे सर्जरी नहीं करानी पड़ी, मेरे पांव में रॉड नहीं डालना पड़ा। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। मैं काली मां को देख सकता था और उसके बाद मैं उनका परम भक्त बन गया।"
 
कालीचरण महाराज बताते हैं, "मेरी दादी मां कहा करती थी कि मैं रात में भी काली मां का नाम जपा करता था। मैंने काली मां की पूजा शुरू की और मेरी धर्म में दिलचस्पी शुरू हुई और तब से मैं काली मां का बेटा बन गया।"
 
वैसे कालीचरण महाराज अपने गुरु का नाम महर्षि अगस्त्य बताते हैं। कालीचरण महाराज का दावा है कि महर्षि अगस्त्य से उनकी मुलाकात तब हई जब वे 15 साल के थे। वे कहते हैं कि महर्षि अगस्त्य ने उन्हें लाल कपड़े पहनने को कहा था लेकिन वे दावा करते हैं कि वे ऋषि नहीं हैं।
 
कालीचरण महाराज कहते हैं, "ऋषि मुनि कोई मेकअप नहीं करते हैं। लेकिन मुझे अच्छे आकर्षक डिज़ाइन वाले कपड़े पसंद हैं। मैं कुमकुम भी लगाता हूं, मैं दाढ़ी बनाता हूं इसलिए मैं ख़ुद को ऋषि मुनि नहीं कह सकता।"
 
जब हुआ वीडियो वायरल
कालीचरण पिछले साल सुर्ख़ियों में तब आए थे जब जून, 2020 में उनका एक वीडियो वायरल हो गया था। इस वीडियो में वे शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते नज़र आए थे। कुछ दिनों पहले कालीचरण महाराज ने कोरोना वायरस को लेकर भी अजीबो ग़रीब बयान दिए थे।
 
उन्होंने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक फ़्रॉड संस्था है और इसके डॉक्टर एवं विशेषज्ञ भी फ़्रॉड हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन कंपनियों से मिली भगत करके लोगों को डरा रहा है ताकि वैक्सीन की बिक्री बढ़े।
 
उन्होंने यह भी दावा किया था कि जिन कोविड मरीज़ों की मौत हुई है उनके शव परिवार वालों को नहीं सौंपे जाते हैं, ऐसे में उनकी किडनी और आंखें वगैरह निकाल ली जाती होंगी। हालांकि, अपने इन आरोपों की पुष्टि के लिए कालीचरण महाराज कोई सबूत नहीं दे सके थे।
 
क्या कालीचरण महाराज पर कोई कार्रवाई होगी?
महात्मा गांधी पर उनके विवादास्पद बयान के बाद कालीचरण महाराज पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है। महाराष्ट्र सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के मंत्रियों ने कालीचरण महाराज की गिरफ़्तारी की मांग की है।
 
वहीं सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स सवाल पूछ रहे हैं कि क्या छत्तीसगढ़ में बहुमत की कांग्रेस सरकार कालीचरण पर कोई कार्रवाई करेगी।
 
फ़ैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने ट्वीट किया है, "क्या कालीचरण को गिरफ़्तार किया जाएगा या फिर यहां भी हरिद्वार की तरह मामले में कुछ नहीं होगा।"
 
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "बापू को गाली देकर और समाज में ज़हर फैलाकर, यदि कोई पाखंडी सोचता है कि वह अपने इरादे में कामयाब होगा तो यह उसका भ्रम है।"
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