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Written By BBC Hindi
Last Updated : शुक्रवार, 24 जनवरी 2020 (08:51 IST)

रजनीकांत ने आख़िर पेरियार पर क्या बोल दिया जिस पर हंगामा मच गया

रजनीकांत ने आख़िर पेरियार पर क्या बोल दिया जिस पर हंगामा मच गया - Uproar over Rajinikanth's statement
हाल में अभिनेता रजनीकांत के द्रविड़ विचारक ईवी रामस्वामी पेरियार पर दिए एक बयान ने तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल-सा ला दिया है। तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 2017 में रजनीकांत ने कहा था कि वे 2021 में चुनाव लड़ने के लिए अपनी राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने वाले हैं।
रजनीकांत ने यह बयान 14 जनवरी को दिया था। तब वे एक तमिल पत्रिका 'तुग़लक़' की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आरएसएस विचारक एस. गुरुमूर्ति और 'तुग़लक़' पत्रिका के संपादक चो रामस्वामी उपस्थित थे।
 
क्या कहा था रजनीकांत ने?
 
अपने भाषण में रजनीकांत ने कहा था कि तमिलनाडु के सेलम में एक रैली के दौरान पेरियार ने श्री रामचंद्र और सीता की निर्वस्त्र मूर्तियों का जूतों की माला के साथ जुलूस निकाला था। किसी ने यह ख़बर नहीं छापी थी लेकिन चो रामस्वामी ('तुग़लक़' पत्रिका के संस्थापक और पूर्व संपादक) ने इसकी कड़ी आलोचना की थी और पत्रिका के कवर पेज पर इसे प्रकाशित किया था।
 
इससे डीएमके का बहुत नाम ख़राब हुआ था। इसलिए उन्होंने पत्रिका की कई कॉपियों को ही ज़ब्त कर लिया। लेकिन, 'तुग़लक़' में उस संस्करण को फिर से छापा गया था। यह पत्रिका ब्लैक में भी बिकी थी। पत्रिका के नए संस्करण में चो रामस्वामी ने कवर पेज पर लिखा था कि इस तरह करुणानिधि ने 'तुग़लक़' को लोकप्रिय बना दिया। इसके साथ ही चो पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए थे।
 
रजनीकांत का यह भाषण वायरल होने के बाद उनका विरोध होना शुरू हो गया। द्रविड़ कडगम और अन्य पेरियारवादी संगठनों ने इस बयान का विरोध करते हुए रजनीकांत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए। एक संगठन तंताई द्रविड़ कडगम ने रजनीकांत पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए उनके ख़िलाफ़ शिकायत तक दर्ज करा दी। कई राजनेता उनसे माफ़ी की मांग करने लगे।
मैं ख़ुद रैली का हिस्सा था
 
उस रैली में शामिल द्रविड़ कडगम के महासचिव काली पूंगुंद्रन ने कहा कि रजनीकांत उस घटना के तथ्यों को घुमाने की कोशिश कर रहे हैं। 24 जनवरी, 1971 को वो रैली अंधविश्वास के ख़िलाफ़ हुई थी। उस समय के मशहूर भारतीय आविष्कारक जीडी नायडू ने उस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था।
 
रैली के दौरान पेरियार एक ट्रक पर सवार थे। इस दौरान जनसंघ के सदस्यों को रैली में काले झंडे दिखाने की इजाज़त मिल गई। जब पेरियार की गाड़ी गुज़री तो जनसंघ के एक सदस्य ने उन पर चप्पल फेंकी लेकिन वो उन्हें लगी नहीं। ये चप्पल पीछे से पेरियार की गाड़ी पर लगी। इससे द्रविड़ कडगम के सदस्य ग़ुस्से में आ गए और वो एक ट्रक पर लगी भगवान राम की एक तस्वीर पर मारने लगे।
 
उस समय डीएमके सरकार ने दक्षिणपंथी संस्थानों को पेरियार और उनकी रैली के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी।
 
किसने क्या कहा?
 
तमिलनाडु में पेरियारवादी संस्थान द्रविड़ इयक्का तमिल पेरावई के संस्थापक सुबा वीरापंडी ने कहा कि 1971 में चो रामस्वामी द्वारा फैलाए गए प्रचार में कई लोग फंस गए थे। उस वक़्त डीएमके के ख़िलाफ़ कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। लोगों ने पेरियार के पुतले और तस्वीरें जलाईं। तब जाकर पेरियार ने इस शीर्षक 'कॉमरेड शांत रहो' के साथ एक निबंध लिखा था।
 
इसमें उन्होंने लिखा था कि ये विरोध प्रदर्शन न तो राम के पक्ष में हैं और न ही विरोध में। यह बस इसलिए हो रहे हैं ताकि डीएमके अगले विधानसभा चुनाव में जीत न पाए। अगर वो मुझे जला भी दें, तो भी चिंता मत करो। ये चालें हमारे लिए नई नहीं हैं। पेरियार तमिलों और द्रविड़ विचारधारा के लिए इस अपमान को भी सहने के लिए तैयार थे। चो या रजनीकांत इसे कभी नहीं समझ पाएंगे।
 
विदुथलाई चुरुथइगल कात्ची पार्टी से सांसद थोल तिरुमावलावन कहते हैं कि रजनीकांत को पेरियार पर की गई इस टिप्पणी के लिए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी चाहिए। संघ परिवार के एजेंडे के लिए रजनीकांत को बलि का बकरा नहीं बनना चाहिए।
 
तमिलनाडु के मत्स्य पालन मंत्री जयकुमार ने कहा कि रजनीकांत लोगों को एक काल्पनिक घटना के ज़रिए भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। वो 50 साल पहले हुई घटना के बारे में बात क्यों कर रहे हैं। 'इंडियन एक्सप्रेस' में यह छपा था कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। यहां तक कि कोर्ट में भी चो रामस्वामी ने कहा था कि उन्होंने लोगों से मिली जानकारी के आधार पर उस घटना के बारे में लिखा था और वो इसके अलावा कुछ नहीं जानते हैं।
 
जयकुमार एआईएडीएमके के नेता हैं और बीजेपी का तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन है।
 
मैं माफ़ी नहीं मांगूंगा
 
दूसरी ओर रजनीकांत ने अपने बयान से पीछे हटने और माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया है। मंगलवार को द्रविड़ कडगम ने चेन्नई में रजनीकांत के घर के सामने उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी। विरोध शुरू होने से पहले रजनीकांत ने प्रेसवार्ता बुलाई और पेरियार पर अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि कई लोग कहते हैं कि मैंने जिस घटना के बारे में बात की थी, वह हुई ही नहीं। मेरे पास 'आउटलुक' है, जो 'द हिन्दू' ग्रुप की पत्रिका है। 2017 में 'आउटलुक' के एक लेख में इस घटना के बारे में ज़िक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि राम और सीता की डॉल्स को चप्पलों से पीटा गया और माला पहनाई गई। मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा, जो हुआ ही नहीं। ये कोई कल्पना नहीं है। मैं उस चीज़ के बारे में बात कर रहा हूं जिस पर पहले भी बोला गया है और वो मीडिया में छप चुका है इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहूंगा कि मैं अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी नहीं मांगूंगा।
 
मैंने लिखा था लेख
 
2017 में 'आउटलुक' ने एक लेख प्रकाशित किया था जिसका शीर्षक था 'तमिल गैग राज'। ये लेख कार्टून के माध्यम से तमिलनाडु सरकार की आलोचना करने वाले कार्टूनिस्ट की गिरफ़्तारी के बाद लिखा गया था। अपनी प्रेसवार्ता में रजनीकांत ने इसी लेख का जिक्र किया था। इसलिए बीबीसी ने वो लेख लिखने वाले पत्रकार जीसी सेकर से बात की।
 
इस लेख में उन्होंने बताया था कि तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने 1971 की रैली की तस्वीरों के साथ ग़लत जानकारी प्रकाशित करने के लिए चो रामस्वामी के ख़िलाफ़ कैसे कार्रवाई की थी। चो ने बाद में एक स्थानीय अदालत में माफ़ी मांगते हुए कहा था कि उन्हें यह जानकारी केवल सेलम में एक स्रोत से मिली है, जहां रैली हुई थी।
 
जीसी सेकर ने बताया कि कई साल पहले 'टेलीग्राफ़' में काम करने के दौरान मैं एक कहानी के लिए चो रामस्वामी का साक्षात्कार करने गया था। उन्होंने अपनी कई पुरानी यादें मेरे साथ साझा कीं। तब उन्होंने बताया था कि 1971 में सेलम ज़िले में हुई रैली के बारे में छापने के कारण 'तुग़लक़' पत्रिका और उन्हें कई मुद्दों पर तमिलनाडु सरकार का सामना करना पड़ा था। मैंने उनके दफ़्तर में वो विशेष संस्करण भी देखा था।
 
इस मुद्दे के अलावा लोग इस बात के लिए भी रजनीकांत को ट्रोल कर रहे हैं कि 'आउटलुक' पत्रिका 'द हिन्दू' ग्रुप का हिस्सा नहीं है।
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