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Last Updated : शुक्रवार, 16 अगस्त 2019 (12:10 IST)

पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिन जैन मुनि का ज़िक्र किया वो कौन हैं

पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिन जैन मुनि का ज़िक्र किया वो कौन हैं - PM Modi on Jain Muni Budhisagarji Maharaj
टीम बीबीसी गुजराती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त की सुबह लाल क़िले की प्राचीर से पानी के महत्व को बताते हुए जैन मुनि बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज का नाम लिया।
 
नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जैन मुनि महुड़ी ने लिखा है कि एक दिन ऐसा आएगा जब पानी किराने की दुकान में बेचा जाएगा। उन्होंने यह 100 साल पहले लिखा था।'
 
'आज हम किराने की दुकान से पानी लेते हैं। जल संचय का यह अभियान सरकारी नहीं बनना चाहिए, जन सामान्य का अभियान बनना चाहिए।' महुड़ी उत्तर गुजरात का एक तीर्थ क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग तीर्थ करने आते हैं।
 
बुद्धिसागरजी महाराज जैन मुनि थे लेकिन उनका जन्म पटेल परिवार में हुआ था। जैन शास्त्र के छात्र और गुजरात के प्रसिद्ध लेखक कुमारपाण देसाई ने बीबीसी को बताया कि आचार्य श्री बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज विजापुर के कणबी पटेल थे। उनका नाम बेचरदास पटेल था। जैन भिक्षु बनने के बाद उनका नाम बुद्धिसागर हो गया।
 
आख़िर वो बेचरदास पटेल से बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज कैसे बने?
 
इस सवाल के जवाब में कुमारपाण देसाई एक क़िस्सा सुनाते हैं। एक बार बेचरदास पटेल विजापुर में अपने एक भैंस को चराने बाहर निकले थे। वह भैंस दो भिक्षुओं पर हमला करने वाली थी। बेचरदास पटेल का शरीर तब पहलवानों जैसा था। उस समय उन्होंने पूरी ताक़त से भैंस की सींग पकड़ ली और उसे हमला करने से रोका।
 
यह देख एक भिक्षु ने कहा कि तुम शारीरिक रूप से बलवान हो लेकिन यह बल पर्याप्त नहीं है। अंतर्बल सबसे बड़ा बल है। बेचरदास ने सोचा कि भिक्षु उनकी प्रशंसा करेंगे लेकिन उन्हें वो सोच में पड़ गए कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा। तब वो भिक्षुओं के पास गए और पूछा कि अंतर्बल क्या होता है।
 
आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
कुमारपाण देसाई बताते हैं, 'भिक्षुओं से अंतर्बल के बारे में जानने के बाद उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई और वे एक भिक्षु बन गए। इस प्रकार वह बेचरदास पटेल से बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज बन गए।'
 
उस वक़्त बेचरदास पटेल की उम्र महज़ 25 साल थी। उन्होंने क़रीब 25 साल तक अपना जीवन साधुओं की तरह बिताया। साल 1925 में उनकी मृत्यु हो गई।
 
दो हज़ार कविताएं लिखी हैं बुद्धिसागर जी महाराज ने
कुमारपाण देसाई बताते हैं कि जैन भिक्षु बनने के बाद उन्होंने गुजरात के विभिन्न गांवों का दौरा किया। उन्होंने अपने जीवन में दो हज़ार से अधिक कविताएं लिखी थीं, जिनमें साबरमती नदी के बारे में सबसे अधिक कविताएं शामिल हैं।
 
उन्होंने गुजराती, हिंदी और संस्कृत में 130 से अधिक ग्रंथ लिखे थे। यह अलग बात है कि उन्होंने महज़ छठी कक्षा तक पढ़ाई की थी।
 
कुमारपाण देसाई बताते हैं कि बुद्धिसागर जी महाराज ने जितनी कविताएं साबरमती नदी पर लिखी हैं, उतनी कविताएं किसी और ने नहीं लिखी। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साबरमती नदी के किनारे उनकी मूर्ति लगानी चाहिए।
 
विजापुर में ही मृत्यु
बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज ने महुड़ी में एक तीर्थ स्थान की स्थापना की। गांधीनगर ज़िले के माणसा तालुक़ा में विजापुर के पास महुड़ी गांव है।
 
कुमारपाण देसाई बताते हैं कि बुद्धिसागर जी महाराज यहीं भविष्यवाणी की थी और कहा था कि एक समय आएगा जब आदमी एक कमरे बैठकर दूसरे कमरे के आदमी से बात करेगा। बुद्धिसागर जी महाराज का कहना था कि विज्ञान पूरी दुनिया को बदल देगा।
 
जब पूछा गया कि बुद्धिसागर सूरीश्वरजी ने इन बातों का ज़िक्र कौन से किताब में किया है तो कुमारपाण देसाई कहते हैं, 'मैं अभी उस पुस्तक का नाम नहीं बता सकता लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि एक दिन पानी किराने की दुकान में बेचा जाएगा, जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किया है।'
 
वो कहते हैं कि कई गणमान्य लोगों ने बुद्धिसागर सूरीश्वरजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की है। 'वड़ोदरा के महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने बुद्धिसागर जी महाराज के बारे में कहा था कि अगर उनके जैसे और भी होते, तो इस देश का उद्धार हो जाता।'
 
भाषाविद, शोधकर्ता और संपादक केशवलाल हर्षदराय ध्रुव ने भी एक पुस्तक लिखी है, जिसमें बुद्धिसागरजी महाराज को श्रद्धांजलि दी गई है।
 
बुद्धिसागरजी महाराज का जन्म विजापुर में हुआ था और उनकी मौत भी यहीं हुई थी। विजापुर में ही उनकी समाधि है।