गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. heera ben said, narendra modi will be PM
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022 (08:02 IST)

हीराबेन ने नरेंद्र मोदी के पीएम बनने की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी

हीराबेन ने नरेंद्र मोदी के पीएम बनने की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी - heera ben said, narendra modi will be PM
इक़बाल अहमद, बीबीसी संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ हीराबेन का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। तबीयत बिगड़ने पर हीराबेन को बुधवार को अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती किया गया था।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी माँ के निधन पर ट्वीट कर कहा है, ''शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... माँ में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।''
 
प्रधानमंत्री ने एक और ट्वीट में कहा, ''मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।''
 
बेटे के लिए भविष्यवाणी
इसे एक मां की दुआ का असर कहा जाए, भविष्यवाणी या नरेंद्र मोदी की मेहनत या फिर इन तीनों कारणों का प्रभाव कहा जाए, हीराबेन ने साल 2002 में ही कह दिया था कि एक दिन नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।
 
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार भार्गव पारेख तीन बार हीराबेन का इंटरव्यू कर चुके हैं। वो शायद अकेले ऐसे पत्रकार होंगे या फिर उन गिने चुने पत्रकारों में होंगे जिन्हें हीराबेन का इंटरव्यू करने का मौक़ा मिला हो।
 
भार्गव पारेख ने साल 2002, 2012 और 2014 में हीराबेन का इंटरव्यू किया था। बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं कि 2002 में मोदी जब विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे तो उसी दौरान उन्हें हीराबेन से बातचीत करने का मौक़ा मिला था। हीराबेन ने उस इंटरव्यू में कहा था, "ए एक दिवस वडोप्रधान बनशे (एक दिन प्रधानमंत्री बनेगा)।"
 
गुजरात के एक और पत्रकार देवसी बराड भी भार्गव पारेख की ही बात की पुष्टि करते हैं। उन्होंने भी 2007 में हीराबेन का इंटरव्यू किया था। देवसी बराड कहते हैं कि हीराबेन ने उनसे कहा था कि उनका सपना है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें।
 
हीराबेन ने उन्हें एक क़िस्सा सुनाया था कि नरेंद्र मोदी जब बहुत छोटे थे तब उनके घर में कोई साधु आए थे। उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी असामान्य आदमी बनेंगे। वो घर छोड़कर संन्यासी बन जाएंगे, लेकिन फिर लौटकर राजनीति में आएंगे और देश-विदेश में ख्याति पाएंगे।
 
जन्म और शुरुआती जीवन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का जन्म 18 जून, 1923 में गुजरात के मेहसाणा ज़िले के विसनगर में हुआ था। यह गांव वडनगर के क़रीब है। वडनगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर है।
 
उनके बारे में ज़्यादा जानकारी लोगों को नहीं है। नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री बने उसके बाद ही कुछ लोगों को उनके बारे में पता चला और मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात के बाहर के लोगों को उनके बारे में कुछ-कुछ पता चला।
 
हीराबेन सत्ता की चमक-दमक से दूर रहने वाली पूरी तरह एक प्राइवेट पर्सन थीं। उनके बारे में बहुत सारी जानकारी ख़ुद नरेंद्र मोदी के एक ब्लॉग से मिलती है। इसके अलावा नरेंद्र मोदी के बारे में लिखी गई कुछ एक किताबें हैं जिनसे हमें उनकी मां हीराबेन के बारे में कुछ जानकारी मिलती है।
 
मोदी ने जून, 2022 में उनके जन्मदिन के मौक़े पर एक ब्लॉग लिखा था। उस ब्लॉग में मोदी ने लिखा है कि उनकी मां ने स्कूल का दरवाज़ा नहीं देखा था, उन्होंने देखी थी तो सिर्फ़ ग़रीबी और घर में हर तरफ़ अभाव। हीराबेन जब बहुत छोटी थीं तभी उनकी मां का देहांत हो गया था, इसलिए उन्हें अपनी मां का प्यार नहीं मिल सका।
 
उस ज़माने के हिसाब से बहुत ही कम उम्र में दामोदर दास मोदी से उनकी शादी हो गई। दामोदर दास क्या काम करते थे या उनकी रोज़ी-रोटी का क्या ज़रिया था इसके बारे में बहुत कम ही जानकारी है।
 
बाद में नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनके पिता रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे और ख़ुद मोदी भी बचपन में उनकी मदद करते थे। शादी के बाद नरेंद्र मोदी के माता-पिता वडनगर में बस गए।
 
दामोदर दास और हीराबेन के कुल छह बच्चे हुए जिनमें पांच बेटे (सोमा मोदी, अमृत मोदी, नरेंद्र मोदी, प्रह्लाद मोदी, पंकज मोदी) और एक बेटी वासंती मोदी हैं। नरेंद्र मोदी तीसरे बेटे हैं। वडनगर का घर बहुत छोटा था और उसी घर में उन्हें अपने छह बच्चों को पालना था।
 
मां का संघर्ष
अपनी मां के संघर्ष का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी लिखते हैं, "घर चलाने के लिए दो चार पैसे ज़्यादा मिल जाएं, इसके लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं। समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं क्योंकि उससे भी कुछ पैसे जुट जाते थे।
 
कपास के छिलके से रूई निकालने का काम, रूई से धागे बनाने का काम, ये सब कुछ मां ख़ुद ही करती थीं। उन्हें डर रहता था कि कपास के छिलकों के कांटें हमें चुभ ना जाएं।"
 
मोदी ने अपनी मां के रहन-सहन का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि उनकी मां शुरू से ही साफ़-सफ़ाई को तवज्जो देने वाली रही हैं। घर साफ़ रहे इसलिए घर को ख़ुद ही लेपती थीं, घर की दीवारों पर कांच के टुकड़े चिपकाकर आकृतियां बनाती थीं।
 
मोदी उसी ब्लॉग में लिखते हैं, "हर काम में परफ़ेक्शन का उनका भाव इस उम्र में भी वैसा का वैसा ही है। और गांधीनगर में अब तो भैया का परिवार है, मेरे भतीजों का परिवार है, वो कोशिश करती हैं कि आज भी अपना सारा काम ख़ुद ही करें।"
 
1989 में नरेंद्र मोदी के पिता का देहांत हो गया। तब हीराबेन वडनगर का घर छोड़कर अपने सबसे छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ गांधीनगर के बाहरी इलाक़े रायसन गांव में रहने लगीं। पंकज मोदी गुजरात सरकार के सूचना विभाग में काम करते थे और उन्हें सरकारी घर मिला हुआ था।
 
मोदी और मां का रिश्ता
मोदी ने जून में लिखे अपने ब्लॉग में अपनी मां के जीवन के कई पहलुओं को उजागर किया है। वो लिखते हैं कि जैसे कोई मां खाना खिलाने के बाद अपने बच्चे का मुंह पोछती हैं, वैसे ही उनकी मां अब भी उनके साथ वैसा ही करती हैं।
 
वह लिखते हैं, "मैं जब भी उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई ज़रूर खिलाती हैं। मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रुमाल से मेरा मुंह ज़रूर पोंछती हैं। वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं।"
 
नरेंद्र मोदी ने सिर्फ़ 16-17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। पत्रकार देवसी बराड कहते हैं कि उन्होंने इस बारे में हीराबेन और परिवार के दूसरे सदस्यों से पूछा था। उनके अनुसार, परिवार के सभी लोगों का मानना था कि मोदी बचपन से ही लोगों की सेवा को घर पर तरजीह देते थे।
 
फ़्रांस की लेखिका सौन्तल देलोबेल आर्दिनो ने एक किताब लिखी है, 'Narendra Modi : A Life For India'। इस किताब में वो लिखती हैं कि वडनगर में 17 साल रहने के बाद मोदी ने जशोदाबेन के साथ सांसारिक जीवन न शरू करने और घर छोड़ने का फ़ैसला किया था। उनके अनुसार नरेन्द्र मोदी को आध्यात्म और साधु संतों की संगत में रुचि थी।
 
अपनी किताब में हीराबेन के हवाले से उन्होंने मां-बेटे के बीच एक संवाद का ज़िक्र किया है।
 
वो लिखती हैं, "मां, हमारे यहां परंपरा है कि पति के घर जाने के लिए बेटी माता-पिता का घर छोड़ती है। मेरी विदाई को भी ऐसे ही देखिए और मैं जो करूंगा देश के लिए करूंगा।"
 
मोदी की मां आगे कहती है, "घर छोड़ने से पहले दो दिन तक वो मेरे साथ रहे।।।मैंने उनके सिर पर तिलक लगाया और थोड़े रुपए दिए। उन्होंने घर छोड़ दिया।।।।उसके बाद कुछ महीने मैं विषाद में पागल जैसी हो गई थी।"
 
भार्गव पारेख कहते हैं कि जब नरेंद्र मोदी 2001 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो हीराबेन दूर एक कोने में बैठी थीं और बहुत ही कम लोग उन्हें पहचानते थे कि वो नरेंद्र मोदी की मां हैं।
 
भार्गव के अनुसार, साल 2003 में मुख्यमंत्री आवास पर एक पारिवारिक गेट-टू-गेदर था जब हीराबेन पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर आई थीं। मुख्यमंत्री 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान मुश्किल से एक या दो बार वो मुख्यमंत्री आवास पर गई थीं।
 
चमक-धमक से दूर
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, "आपने भी देखा होगा, मेरी मां कभी किसी सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं जाती हैं। अब तक दो बार ही ऐसा हुआ है जब वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ आई हैं।"
 
उन दो मौक़ों का ज़िक्र करते हुए बताया कि जब वो पहली बार एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर लौटे थे तब अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में उनकी मां ने मंच पर उनका टीका किया था।
 
वो आगे लिखते हैं, "दूसरी बार वो सार्वजनिक तौर पर मेरे साथ तब आई थीं जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 20 साल पहले का वो शपथग्रहण ही आख़िरी समारोह है जब मां सार्वजनिक रूप से मेरे साथ कहीं उपस्थित रही हैं। इसके बाद वो कभी किसी कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं आईं।"
 
मोदी अपनी मां को साथ क्यों नहीं रखते थे?
साल 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और दिल्ली रहने लगे। वो पिछले आठ सालों से भारत के प्रधानमंत्री हैं और अब तक केवल एक बार सार्वजनिक तौर पर ऐसा देखा गया है कि उनकी मां दिल्ली में उनसे मिलने प्रधानमंत्री आवास आई थीं। मोदी ने ख़ुद अपने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर की थीं।
 
विपक्षी पार्टी समेत बहुत सारे लोग यह सवाल पूछते हैं कि आख़िर नरेंद्र मोदी अपनी मां को अपने साथ क्यों नहीं रखते। जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी उनकी मां मुख्यमंत्री आवास से सिर्फ़ तीन-चार किलोमीटर दूर स्थित अपने छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ रहती थीं। मोदी जब प्रधानमंत्री बने तब भी वो अपने छोटे बेटे के ही साथ रहती थीं।
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल इसको लेकर नरेंद्र मोदी पर निशाना साध चुके हैं।
 
बात जनवरी, 2017 की है। मोदी अपनी मां से मिलने गांधीनगर गए थे। मोदी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि योग छोड़कर वो मां से मिलने गए थे। उनके साथ नाश्ता किया था।
 
इस पर केजरवील ने मोदी पर हमला करते हुए ट्वीट किया था, "मैं अपनी मां के साथ रहता हूं। रोज़ उनका आशीर्वाद लेता हूं, लेकिन ढिंढोरा नहीं पीटता। मैं मां को राजनीति के लिए बैंक की लाइन में भी नहीं लगाता।"
 
राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप
केजरीवाल समेत कई लोग मोदी पर यह आरोप लगाते हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए अपनी मां के साथ तस्वीरों या वीडियो का इस्तेमाल किया। 2017 के यूपी चुनाव में प्रचार के दौरान मोदी ने फ़तेहपुर की एक रैली में कहा था कि उनकी मां ज़िंदगी भर चूल्हे में लकड़ी जलाकर खाना बनाती थीं। उनका दर्द उन्होंने देखा और महसूस किया है।
 
इस पर केजरीवाल ने तंज़ करते हुए ट्वीट किया था कि मोदी अपनी मां को अपने साथ क्यों नहीं रखते।
 
नोटबंदी के दोरान बैंक जाकर रुपए निकलवाने को लेकर भी केजरीवाल ने मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर कभी लाइन में लगना हो तो वो ख़ुद लाइन में लग जाएंगे, लेकिन अपनी मां को लाइन में नहीं लगाएंगे।
 
मोदी ने ख़ुद ही दिया था जवाब
मोदी की मां ने शायद कभी सार्वजनिक तौर पर नहीं कहा कि वो अपने तीसरे बेटे के साथ क्यों नहीं रहती हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी ने एक बार ख़ुद इसका जवाब दिया था।
 
साल 2019 में फ़िल्मस्टार अक्षय कुमार के साथ एक बातचीत में मोदी ने इस बारे में ज़िक्र किया था। वो बातचीत पूरी तरह ग़ैर-राजनीतिक थी और इस दौरान अक्षय कुमार ने उनसे उनकी ज़िंदगी के बारे में कई सवाल किए थे। उनमें एक सवाल यह भी था कि वो अपनी मां या परिवार के दूसरे लोगों को साथ क्यों नहीं रखते।
 
इस सवाल के जवाब में मोदी ने कहा था कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था क्योंकि वो ज़िंदगी बहुत अलग थी।
 
बातचीत में मोदी ने कहा था, "अगर मैं प्रधानमंत्री बनकर घर से निकला होता, तो मेरा मन रहता कि सब वहीं रहें। लेकिन मैंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था और इसलिए लगाव, मोह माया यह सब मेरी ट्रेनिंग के कारण छूट गया। मेरी मां कहती हैं कि मैं तुम्हारे घर पर रहकर क्या करूंगी। मैं तुमसे क्या बात करूंगी।"
ये भी पढ़ें
लापरवाही का पाकिस्तान : प्लास्टिक की थैलियों में बिक रही है कुकिंग गैस, जानमाल का खतरा