समीरात्मज मिश्र (बीबीसी हिन्दी के लिए, लखनऊ से)
सीतापुर ज़िले के प्रमुख तीर्थस्थल नैमिषारण्य में ओडिशा और आंध्रप्रदेश से तीर्थयात्रियों का एक जत्था मार्च महीने में यह सोचकर आया था कि वेदव्यास की तपोभूमि में वे भागवत कथा का आयोजन करेंगे। भागवत कथा का आयोजन शुरू भी हुआ लेकिन कथा महज़ 2 दिन ही चली थी कि देश में कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई और कथा बंद करनी पड़ी।
इन राज्यों के क़रीब 70 श्रद्धालु लॉकडाउन के चलते यहीं रह गए। न तो ये ख़ुद यहां से जा सके और न ही प्रशासन की ओर से इन्हें भेजने का अब तक कोई इंतज़ाम हो पाया। श्रद्धालुओं ने घर वापसी के लिए प्रशासन से कई बार कुछ इंतज़ाम करने की मांग की लेकिन जब कोई उपाय नहीं निकला तो सोमवार को ये लोग पैदल ही घर के लिए रवाना होने लगे। लेकिन प्रशासन ने इन्हें रोककर अगले कुछ दिनों में कोई इंतज़ाम करने का भरोसा दिया है।
मिश्रिख के उपज़िलाधिकारी राजीव पांडेय ने बीबीसी को बताया कि 18 लोग आंध्रप्रदेश और 51 लोग ओडिशा के हैं। ये लोग भागवत कथा के लिए यहां आए थे। लॉकडाउन के बाद इन्हें घर जाने के लिए कहा गया लेकिन ये लोग जा नहीं सके। बाद में हमने इन्हें उसी गौड़ीय मठ में क्वारंटाइन कर दिया।
दरअसल, इन लोगों को अन्य किसी जगह पर भाषा की भी असुविधा थी इसलिए मठ को ही इस उद्देश्य से प्रशासन के क़ब्ज़े में ले लिया गया और वहीं इन्हें सारी सुविधाएं दी गई हैं। फ़िलहाल कोई दिक़्क़त नहीं है। कोशिश की जा रही है इन्हें जल्द से जल्द इनके घर पहुंचाने की।
बताया जा रहा है कि 16 मार्च को नैमिषारण्य स्थित उड़िया आश्रम में ओडिशा के बोलांगीर, पुरी और गंजाम जनपदों से 51 श्रद्धालु भागवत कथा का आयोजन करने आए थे। इनके अलावा इस कथा में भाग लेने के लिए 18 लोग आंध्रप्रदेश से भी आए थे। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप की वजह से 22 मार्च को लगाए गए जनता कर्फ़्यू और फिर उसके बाद 24 मार्च से ही लॉकडाउन शुरू हो गया। इसकी वजह से ये सभी लोग यहीं फंस गए।
श्रद्धालुओं में ज़्यादातर बुज़ुर्ग हैं जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है। श्रद्धालुओं की टीम के प्रमुख कथा व्यास गौड़जी महाराज ने बीबीसी को बताया कि कई दिनों से हम लोग प्रशासन के लोगों से घर जाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है।
कई श्रद्धालु बुज़ुर्ग हैं तो कुछ डायबिटीज़ के मरीज हैं। साथ में बच्चे भी हैं, जो क़रीब 2 महीने से अपने परिवारों से दूर हैं। हम लोग प्रशासन से निराश होकर पैदल ही 50 लोग निकल पड़े थे लिकन तहसीलदार और स्थानीय पुलिस ने हमें रोक दिया।
एसडीएम राजीव पांडेय बताते हैं कि सरकार ने श्रद्धालुओं को भेजने की व्यवस्था की है और मध्यप्रदेश और बिहार के कई श्रद्धालु भेजे भी जा चुके हैं। हमने इन श्रद्धालुओं को भेजने की अनुमति और वाहन की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को लिखा है। राजीव पांडेय के मुताबिक़ 2-3 दिन के भीतर ही अनुमति मिल जाएगी, उसके बाद इन लोगों को सकुशल इनके घरों तक पहुंचा दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि इस मठ के अलावा भी नैमिषारण्य में कई और मठों में भी दूसरे राज्यों के तमाम श्रद्धालु रुके हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि जो भी श्रद्धालु जाना चाहेंगे, उनकी व्यवस्था होगी और जो लोग यहां रुके हुए हैं उन्हें भी किसी तरह की कोई खाने-पीने की दिक़्क़त नहीं है।
नैमिषारण्य लखनऊ से लगभग क़रीब 80 किमी दूर सीतापुर ज़िले में गोमती नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। ऐसी मान्यता है कि पहले यहां बहुत ही घना और बड़ा जंगल था और इसी जंगल यानी अरण्य में वेद व्यासज ने वेदों, पुराणों और शास्त्रों की रचना की थी और ऋषियों को गूढ़ ज्ञान दिया था। (चित्र साभार :
बीबीसी)