चीन अपने यहां अल्पसंख्यक मुसलमानों पर नियंत्रण को और मज़बूत करने के लिए एक राजनीतिक अभियान की शुरुआत करने वाला है। इसके लिए एक पंचवर्षीय योजना बनाई जा रही है जिसके तहत इस्लाम का चीनीकरण किया जाएगा ताकि इस्लाम को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विचारों के अनुरूप किया जा सके।
इस पांच वर्षीय योजना को अभी सार्वजनिक तो नहीं किया गया है लेकिन इसके मसौदे को लेकर 6 और 7 जनवरी को हुई बैठक के बाद चाइनीज़ इस्लामिक एसोसिएशन की वेबसाइट पर एक प्रेस रिलीज में इसका ज़िक्र है। चीनीकरण के ये नए उपाय अंतरराष्ट्रीय जांच को बुलावा दे सकते हैं। खासतौर से ऐसे समय में जब चीन में लाखों वीगर मुसलमानों को शिनजियांग में शिविरों में रखे जाने की रिपोर्टें आई हैं।
शिनजियांग एक स्वायत्त क्षेत्र है और चीन के सुदूर पश्चिम में मध्य एशिया की सीमा पर स्थित है। साल 2015 में शी जिनपिंग की जोरदार अपील के बाद पार्टी की एक इकाई यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट विदेशी धर्मों इस्लाम, ईसाइयत और बौद्ध धर्म के चीनीकरण के लिए प्रमुखता से काम कर रही है। यह इकाई उन कारणों को शांत करने का काम करती है जो देश में अस्थिरता पैदा करते हैं।
पंचवर्षीय योजना क्या है
कथित तौर पर इस मसौदे का मक़सद इस्लाम को और ज़्यादा 'चीनी' बनाना है। राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिमों को संगठित करने और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले एक औपचारिक निकाय चाइनीज़ इस्लामिक एसोसिएशन का कहना है कि इस योजना में इस्लाम में चीन के साम्यवादी सिद्धांतों के अनुसार बदलाव किए जाएंगे। बीजिंग में चाइना इस्लामिक इंस्टीट्यूट के वाइस डीन गाओ ज़ैनफु ने 6 जनवरी को चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में इस बदलाव के बारे में बात की थी।
उन्होंने कहा था, इस्लाम के चीनीकरण का मतलब उसकी मान्यताओं, रीति-रिवाजों और विचारधारा को बदलना नहीं है बल्कि उसे समाजवादी समाज के अनुकूल बनाना है। अख़बार कहता है कि चीन में ही मौजूद इस्लामिक समुदायों ने अपने राजनीतिक रुख में सुधार करके और पार्टी के नेतृत्व का अनुकरण करके उनके धर्म के चीनीकरण के लिए आग्रह किया है। कुछ रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि चीनीकरण की इस पंचवर्षीय योजना क्या-क्या हो सकता है।
चाइना इस्लामिक एसोसिएशन के प्रमुख यंग फेमिंग ने कहा कि इसमें मूल सामाजिक मूल्यों, कानून और पारंपरिक संस्कृति पर लेक्चर्स और प्रशिक्षण दिया जाएगा। एक सकारात्मक भाव के साथ विभिन्न कहानियों के माध्यम से मुसलमानों का मार्गदर्शन किया जाएगा। गाओ ज़ैनफु कहते हैं कि मदरसों में किताबें रखी जाएंगी ताकि लोग इस्लाम के चीनीकरण को और बेहतर ढंग से समझ सकें। हालांकि इस योजना के बारे में और ज़्यादा जानकारी नहीं दी गई है। अभी इसे गुप्त रखा जा रहा है।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पूरी योजना आने वाले समय में सामने आएगी। चीन सरकार की ये योजना ऐसी ही एक और पंचवर्षीय योजना की याद दिलाती है जो पिछले साल ईसाइयों पर लागू की गई थी। कुल पांच अभियानों के साथ इस योजना में ईसाइयों से उनके धर्म और समाजवादी मूल्यों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए, धर्मशास्त्र की नींव को गहरा करने, धार्मिक शिक्षा को विनियमित करने, "चीनी विशेषताओं" पर विश्वास विकसित करने और परोपकार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया था।
मीडिया में किस तरह आई ख़बर
यह ख़बर जिस तरह मीडिया में आई उसके भी खास मायने निकाले जा रहे हैं। चीनीकरण की इस योजना को लेकर हुई बैठक की ख़बर चीनी भाषा में छपने वाले अख़बारों में नहीं दी गई थी। यह बहुत अजीब है क्योंकि चीनी मीडिया पूरे साल इस्लाम के चीनीकरण की ख़बरें देता रहा है। विशेष रूप से चीनी अधिकारी इसे नैतिक-धार्मिक अतिवाद से प्रेरित आतंकवाद पर नियंत्रण का मुख्य पहलू मानते हैं। लेकिन इस बैठक की ख़बर ग्लोबल टाइम्स के अंग्रेजी संस्करण में दी गई थी जबकि यह चीनी संस्करण में नहीं थी।
इसका मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि चीन की सरकार इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहती थी। ग्लोबल टाइम्स के संपादक हु शीजिन पिछले आधे साल में शिंजियांग को लेकर चीन का नज़रिया प्रमुखता से रखते रहे हैं। खासतौर पर तब जब बीबीसी सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने उइगुर मुसलमानों को उस क्षेत्र में नज़रबंदी शिविरों में रखने का मामला उठाना शुरू किया था। इस दौरान अख़बार को शिनजियांग में जाने की अनुमति दी गई। हु शीजिन ख़ुद वहां गए और बताया कि ये शिविर सिर्फ वोकेशनल ट्रेनिंग केंद्र हैं जो अतिवाद ख़त्म करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
वार्षिक इस्लामिक बैठक में कौन था
यह बैठक बीजिंग में हुई थी, जिसमें प्रतिनिधित्व बीजिंग, शंघाई और अन्य छह प्रांतों: आंतरिक मंगोलिया, जियांग्सु, हुनान, गुआंगडोंग, युन्नान और क्विंगहाई से प्रतिनिधि शामिल हुए थे। यह ध्यान देने वाली बात है कि शिनजियांग से इसमें एक भी प्रतिनिधि शामिल नहीं था जबकि इस क्षेत्र में मुख्यतः मुस्लिम आबादी रहती है।
इस्लाम के चीनीकरण में क्या होगा
पहली बार इस्लाम के चीनीकरण का जिक्र शी जिनपिंग ने साल 2015 में यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट में भाषण के दौरान किया था। इसके तहत जो समूह निशाने पर होंगे उनमें विदेश में रहने वाले चीनी नागरिक, धार्मिक संगठन, बुद्धिजीवी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग शामिल हैं। अपने भाषण में शी जिनपिंग ने विभाग के लिए धर्म संबंधित एजेंडे की रूपरेखा प्रस्तुत की और चार प्रमुख क्षेत्रों में काम करने की जरूरत बताई जिनमें से सबसे पहला चीनीकरण है।
अन्य तीन जिनका उल्लेख किया गया, वो थे कानून के शासन को बढ़ावा देना, समाज में धर्मों के उपयोग का आकलन करने के लिए मार्क्सवादी दृष्टिकोण का इस्तेमाल करना और सामाजिक सद्भाव व आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्वों की भूमिका को बढ़ावा देना। तब से यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट ने मस्जिदों पर और ज़्यादा नियम-क़ानून लागू करने शुरू कर दिए।
उन्हें ये चार चीजें अपनाने के लिए कहा गया, जिनमें राष्ट्रीय ध्वज, चीनी संविधान और कानून, समाजवाद के मूल मूल्य और पारंपरिक चीनी मूल्य शामिल हैं। इनका ज़मीनी स्तर पर पालन करने के लिए प्रमुखता से राष्ट्रीय ध्वज लगाना, मस्जिदों में समाजवाद के बारे में बताना और अन्य बातों के लिए जैसे महिलाओं का सम्मान करें आदि से संबंधित निर्देश देना शामिल होगा। इन नियमों को सही ठहराने के लिए चाइनीज़ इस्लामिक एसोसिएशन ने मई 2018 में एक लेख में बार-बार कुरान का ज़िक्र किया है।
इस लेख में कहा गया है कि कुरान देशभक्ति, वादा निभाने, निष्पक्षता और परोपकार को दर्शाता है और खासतौर पर चीन को ज्ञान के स्रोत के रूप में पेश करता है। लेकिन इस लेख में आखिरी की तीन बातें सही नहीं थीं क्योंकि कुरान में चीन का ज़िक्र नहीं है। हालांकि अरबी में एक कहावत है जो पैगंबर मोहम्मद के हवाले से कही जाती है, अगर आपको ज्ञान चाहिए तो चीन तक भी जाइए।