RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान, फैसले को हार-जीत की नजर से न देखें
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए आज कहा कि इस फैसले से जनभावना, आस्था एवं श्रद्धा को न्याय मिला है।
भागवत ने यहां झंडेवालां स्थित संघ के कार्यालय केशवकुंज में प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत अंतिम निर्णय हुआ है।
इस लंबी प्रक्रिया में श्री रामजन्मभूमि से संबंधित सभी पहलुओं की बारीकी से विचार हुआ है। सभी पक्षों के अपने अपने दृष्टिकोण से रखे गए तर्कों का मूल्यांकन हुआ है।
उन्होंने कहा कि धैर्यपूवर्क इस दीर्घ मंथन को चलाकर सत्य और न्याय को उजागर करने वाले सभी न्यायमूर्ति और सभीपक्षों के अधिवक्ताओं का धन्यवाद और अभिनंदन करते हैं।
इस लंबे प्रयास में अनेक प्रकार से योगदान देने वाले सभी सहयोगियों और बलिदानियों का हम कृतज्ञतापूर्वक अभिनंदन करते हैं।
भगवत ने कहा कि निर्णय स्वीकार करने की मन:स्थिति भाईचारा बनाये रखते हुए पूर्ण सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार एवं समाज के स्तर पर हुए सभी लोगों के प्रयास का भी स्वागत करते हैं।
अत्यन्त संयम से न्याय की प्रतीक्षा करने वाली जनता भी अभिनंदन की पात्र है। इस फैसले को जीत-हार नहीं बल्कि सत्य एवं न्याय की दृष्टि से देखना चाहिए।
सत्य एवं न्याय के मंथन से प्राप्त निष्कर्ष को देश के पूरे समाज की एकात्मता औँर बन्धुत्व का पोषण करने वाले निर्णय के रुप में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने देशवासियों से अनुरोध किया कि विधि और संविधान की मर्यादा में रहकर संयम और सात्विक रीति से अपने आनंद व्यक्त करें।
लोगों को अतीत की सभी बातों को भूलाकर भव्य राम मंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने एक प्रश्न पर कहा कि हिन्दू और मुस्लिम भारत के नागरिक हैं और सभी को मिलकर रहना चाहिए। संघ आंदोलन नहीं करता, वह मनुष्य निर्माण का काम करता है।