गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. ज्योतिष
  4. »
  5. राशियाँ
Written By WD

कर्क राशि फलादेश

कर्क राशि फलादेश -
(राशि के आद्याक्षर - हि हू हे हो डा डी डू ड डे डो)

आपकी जन्मकुंडली में चंद्रमा चार अंक के साथ लिखा होगा। इसी कारण आपकी जन्म राशि कर्क मानी जाएगी। राशि चक्र में इसका चौथा स्थान है। इस राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है, अतः चंद्रमा के प्रभाव में ही यह राशि होती है। इन लोगों का मन चंचल होता है तथा विचारों व कार्यों में भी चंचलता पाई जाती है। इस राशि के लोगों में तीन गुण प्रायः देखे जाते हैं- महत्वाकाँक्षा, उद्योग और धीरज।

इन गुणों के बल पर ही ये जीवन का संघर्ष टाल सकने में समर्थ रहते हैं। खाना-पीना व सोना असमय ही करते रहते हैं, इसी कारण रोग के कीटाणु इनके शरीर में शीघ्र ही स्थान बना लेते हैं। इस राशि के लोगों के जीवन चक्र में 35 वर्ष की आयु में अच्छे से बुरा अथवा बुरे से अच्छा परिवर्तन आता है, तत्पश्चात एक-सा क्रम चलता रहता है।

इस राशि में गुरु श्रेष्ठ फल देता है। यह गुरु की श्रेष्ठ राशि मानी गई है। इस राशि में मंगल नीच राशि का होने से अशुभ फल देता है। जल प्रवास, धार्मिक प्रवास अथवा अन्य प्रवासों का अवसर जीवन में आता रहता है। समुद्र तट अथवा नदी तट के ग्राम या शहर में रहने से भाग्योदय होता है। संस्था या समाज का कार्य इन्हें करना पड़ता है।

इनके मकान के चारों ओर खुली जगह हो या मकान के एक कमरे में अंधेरा बना रहता हो या मकान गली के अंत में हो या मकान में वृक्ष हो, तो लाभप्रद रहता है। कृष्ण पक्ष की अपेक्षा शुक्ल पक्ष लाभदायक तथा यशकारक रहता है। कृष्ण पक्ष में कार्य बिगड़ता है तथा मन की अस्वस्थता बनी रहती है।