वृषभ लग्न : मिथुन राशि पर साढे़साती- 3
परिश्रम से भाग्योन्नति होगी
वृषभ लग्न में मिथुन राशि पर शनि के वृषभ राशि पर आने से प्रथम साढे़साती लगेगी। शनि इस राशि में भाग्येश व कर्मेश होकर शुक्र की अतिमित्र राशि वृषभ में होने से यह अपने परिश्रम से भाग्योन्नति करने में सक्षम होंगे। कर्मक्षेत्र में भी वृद्धि होकर राज्य, व्यापार नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने में समर्थ होंगे। पिता का भरपूर सहयोग मिलेगा लेकिन धर्म-कर्म में रुचि कुछ कम रहेगी। सप्तम गोचरीय दृष्टि शत्रु मंगल की राशि वृश्चिक पर होने से अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर विपरित असर कारक रहेगी। अविवाहितों के विवाह में विलंब रहेगा। तृतीय सम दृष्टि तृतीय भाव पर पड़ने से भाईयों का सहयोग मिलाजुला रहेगा, पराक्रम में वृद्धि होगी वहीं शत्रु पक्ष प्रभावहीन होंगे। कर्म भाव दशम पर स्वदृष्टि पड़ने से कर्म क्षेत्र में वृद्धि होकर कार्यों में सफलता पाएँगे। व्यापार-व्यवसाय में भी अनुकूल स्थिति रहेगी। पिता का साथ मिलेगा, राजनीतिज्ञों को अपने उद्देश्य में सफलता मिलेगी। शनि की द्वितीय साढे़साती मिथुन पर शनि के आने से शुरू होगी जो धन, कुटुंब के मामलों में अनुकूल स्थिति का वातावरण तैयार करेगी। वॉंक चातुर्य का भी लाभ रहेगा। शनि की तृतीय-चतुर्थ माता, भूमि, भवन भाव पर शत्रु दृष्टि होने से माता के स्वास्थ्य, मकान बनाते वक्त परेशानी का अनुभव करेंगे। आयु उत्तम रहेगी लेकिन चौपायों से बच कर चलना होगा। एकादश गुरु की राशि मीन पर दशम दृष्टि होने से आय में मिले-जुले परिणाम रहेंगे। शनि की उतरती साढे़साती तृतीय भाव पर कर्क राशि पर शनि के आने से शुरू होगी जो शत्रु वर्ग परास्त करेगी, भाईयों का सहयोग मिलेगा। भाग्य भाव नवम पर सप्तम स्वदृष्टि पड़ने से भाग्य में वृद्धि होगी, धर्म कर्म में भी खर्च होगा। शनि की दशम दृष्टि द्वादश भाव पर नीच दृष्टि होने से बाहरी मामलों में सावधानी रखना पड़ेगी, ऐसे समय में बाहरी व्यक्तियों को धन देने से बचे। यात्राओं में भी सावधानी रखना होगी। शनि का अशुभ प्रभाव दिखे तो धर्म-कर्म के कार्यों में खर्च करते रहें। अण्डा, माँसादि का सेवन ना करें। शनि वृषभ, मिथुन, मकर, कुंभ में जन्म लग्न में हो व शनि की दशा अन्तरदशा चलती हो तो परिणाम शुभ ही रहेंगे।