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Written By WD

राहु ग्रह सदैव अनिष्टकारी नहीं रहते

आकस्मिक लाभ भी दिलाते हैं राहु

Rahu Planet in Astrology | राहु ग्रह सदैव अनिष्टकारी नहीं रहते
राहु अपने गुण-दोष में शनि के समान ही हैं। यह शनि के समान ही धीमी गति वाले, काले, रोगयुक्त, स्नायु-रोग के कारक, पृथकतावादी, अंधकारप्रिय, दीर्घ आकारमय और भय उत्पन्न करने वाले हैं।

राहु अचानक फल देने वाले ग्रह हैं, यह उत्तम फलकारक भी हो सकते हैं और अनिष्ट फलकारी भी हो सकते हैं।


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यह जन्म कुंडली में ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है कि जन्म कुंडली में राहु की त्रिकोण में स्थिति अर्थात् पंचम या नवम भाव में यदि राहु स्थित हो तो यह शुभ और आकस्मिक लाभ दिलवाता है।

राहु नवम स्थान में अवस्थित हो और नवमेश बलवान हो तो अचानक भाग्योन्नति होती है और पद तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होती हैं।


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यही स्थिति के पंचम भाव में स्थित होने और पंचमेश के बलवान होने पर रहती है, इसमें लॉटरी, जुआ, सट्टा आदि से अचानक धन लाभ होता है।

शनि के साथ राहु की युति व्यक्ति को कष्ट पहुंचा सकती है। इनकी संयुक्त दृष्टि, सप्तम स्थान को सीधे प्रभावित कर सकती है। बशर्तें सप्तम स्थान शत्रु ग्रह का स्थान हो