कहां से आए रत्न कैसे बने कीमती, पढ़ें पौराणिक कथा
रत्नों के उद्भम की पौराणिक कथाएं
आचार्य वराहमिहिर ने भी पुराण परंपरा का आश्रय ले आज से 1500 वर्ष पूर्व अपनी वृहतसंहिता में रत्नाध्याय का वर्णन करते हुए रत्नोत्पत्ति के कारणों का वर्णन किया है, परंतु उन्होंने साथ ही 'केचिद्भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम् (पृथ्वी के स्वभाव ही से कुछ लोगों के मत से रत्नों की विचित्रता हुई है) कहकर अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं ली।रत्नानि बलाद्दैत्याद्दैधिचितोन्ये वदंन्ति जातानि।केचिद् भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम।।
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बलि दैत्य और दधीचि की हड्डियों से रत्नों के उत्पन्न होने की बात बताकर पृथ्वी की स्वाभाविक रत्न प्रसव सामर्थ्य की चर्चा भी की है। उन्होंने कहा है कि जब बलि दैत्य की अस्थियां इधर-उधर उड़कर गिरीं तब वे जहां गिरीं उस प्रदेश में इंद्रधनुष को चकाचौंध कर देने वाले विचित्र हीरे उत्पन्न हो गए।